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Wednesday, June 29, 2016

मन माना

मेरे लिखित विषय के चाहकों  को मेरे  हार्दिक बधाइयाँ। ।
जी  न तौडना, जी जान  से प्यार करना,
जी से प्रकटे सुविचारों   का जीवन्त परिणाम!
जी ,हमारे गरु जी  की आशीषें।
जी ठीक नहीं तो कर्म  भी सही नहीं।
कर्म  ठीक नहीं तो सहा  नहीं जाएगा।
पवित्र जीवन  के लिए पवित्र  सद्विचार।
प्यार प्यार प्यार , इश्क , मुहब्बत
बिगाड देता युवा वस्था।
मंडन मिश्र का तोता  बोलता वेद मंतंर ।
चित्रपट  देख जवानी बोलती -- इश्क ,इश्क ।
बलातकार, सार्वजनिक चुंबन।
सोचो विचारो दूर रहो अश्लीली नजारों से ।
जी ,मन| रखो  पवित्र, मनमाना करने से बचो।।

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