हमें जमाने के साथ चलना है।
हमें समाज के साथ चलना है।
हमें समय के साथ चलना है।
हमें दोस्ती निभाना है।
हमें रिश्ता निभाना है।
हमें सत्य पथ पर चलना है।
हमें ईमानदारी निभाना है।
हमें कर्तव्य करना है।
अपने देश ,अपनी भाषा से प्यार करना है।
कया हम कह सकते हैं भ्रष्टाचारी करो।
रिश्वत लो। असत्य बोलो।
अन्याय करो। अनियायी भी नहीं कहेगा।
अत्याचार करो। अत्याचारी भी नहीं कहेगा।
खून करो खूनी भी नहीं कहेगा।
इसीलिए नश्वर संसार भी अनश्वर है।
पापी दनिया में पुण्य बचा है।
प्रदूषण में सफाई| है।
नमक| का दारोगा श्री मुंशी प्रेमचंद की कहानी है।
पिताजी नैकरी की तलाश में है।
पिताजी समझाते हैं--
मासिक वेतन पूर्णिमा का चाँद है। ऐसी नोकरी ढूँढो
जिस में ऊपरी आमदनी मिलें।
दारोगा पद मिलता है। असत्य के पक्ष में वकीलों का तांता है। अराधी छूट जाता है।
न्याय को दंड। फिर वह काले व्यापारी
दारोगा से मीलता है । अपनी सारी संपत्ती का स्थाई मैनैजर की नियक्ति। अपनी संपत्ति भलै ही अन्याय की कमाई हो सुरक्षा के लिए ईमानदार कर्तव्य निष्ठ आदमी ही चाहता है।
इसलिए सत्य और धर्म मार्ग की बधाइयाँ। ।
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Sunday, June 5, 2016
ईमानदारी
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