Saturday, June 25, 2016

निष्काम कर्म फल.

कहते हैं---निष्काम सेवा करो; फल की प्रतीक्षा भगवान पर छोड दो.

वास्तव में सोचो , कितने निष्काम सेवकों को मिला है सम्मान.

नेता को कितना सम्मान ,सेवकों के कारण .

मंदिर के गर्भ-गृह के देव-देवी के सम्मान पुजारी के कारण.

सच्चे सेवक निष्काम कर्मक पर न किसी काध्यान.

खुशामद करो, साथ चलो, हाँ में हाँ मिलाओ ,

धन जोड़ो, दान करो,दानी का सम्मान एक दिन.

ज्ञानी का सम्मान उसके स्वर्गवास के बाद.

निष्काम सेवा कर, कर्मफल जरूर आपके वंशज भोगेंगे.

पेड़ लगा रहा था , बूढा!

राहगीर ने पुछा---फल देने दस साल लगेंगे.

क्यों करते हो यह काम; तुम तो भोगोगे नहीं.

बूढ़े का अंग तो अति शिथिल,

कमान सा बन गया शरीर वह बोला--

मेरे कर्मफल न मिलेगा तो मुझे,

मेरे वंशज तो फल भोगेंगे ;

और किसी को फल मिलेगा ही;

यही है निष्काम कर्म फल,परोपकार.

सोचो, करो, निष्काम कर्म. फल तो मिलेगा ही.


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