Thursday, May 17, 2018

पाश्चात्यीकरण

हमारे पूर्वज कितने चतुर
 और मानव जीवन की शांति  के लिए  जीवन को
बहुत आनंदमय, त्यागमय
मार्ग दिखाया.

तेरह साल की उम्र में शादी.
 सम्मिलित परिवार.
त्यागमय   जीवन.
संयम की सीख.
 ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास.
पतिव्रत, पत्नी व्रत का महत्व.
 आजकल संयम नहीं,
संभोग का महत्व देकर
प्रेम  का महत्व देकर
जनसंपर्क के साधन,
युवक कुत्तों की तरह
प्रेमिका की तलाश में.
न संयम, शादीसुदा
युवक के मन में चंचल,
युवतियों के  मन  मेंचंचल,
न नियंत्रण,
सार्वजनिक स्थानों में
चुंबन, आलिंगन,  यहाँ तक
दोपहर के समय
समुद्रतट पर स्तन पकडकर काम लीला,
पाश्चात्यीकरण
 मनको प्रदूषित कर रहा है.
तन   सुख में पति बदलने
तैयार युवतियाँ-युवक,

गैर प्रेम में पति पत्नी
 एक दूसरे को
 छोडने
मारने तैयार.

पत्नी पति को मारने तैयार.
तलाक  तलाक के मुद्दों की बढती,

प्रेमी या प्रेमिका  न मिलें तो
तेजाब  फेंकना, हत्या करना,
आत्महत्या कर लेना,
पाश्चात्यीकरण
 हमें पशु तुल्य
जीवन की ओर
ले जा रहा है,
कौन समझाएगा इसे.
समाज हित
 हमें संयम की बात
भारतीय  जीवन शैली
विदेशियों के आने के
 पहले जो थी,
उनका प्रचार करना है,
 जितेंद्र  बनना बनाने बनवाने की
सीख
 सिखाना है,
भारतीय  भाषाओं  के नीति ग्रंथ
जो धूल दूषित हैं,
इनमें युवकों में अति प्रचार करना है.

Sunday, May 13, 2018

लव फेइलियर

लव फेइलियर

   मुझे हमेशा समाज का  चिंतन है.
नव युवकों  की दशा बिलकुल बदल गई है.
चित्रपट,  चित्रपट गीत, दूरदर्शन   के नाटक,
सब के सब प्रेम/मुहब्बत/इश्कआदि ही.
संयम की बात नहीं सिखाई जाती.
र्रुष्यशृंग  की कहानी तो नहीं सिखाते.
भारतीय इतिहास  में भी
 युद्ध  राजकुमारियों को लिए होता था.
भगवान कार्तिक  भी अपनी प्रेयसी से शादी करने
लडे थे. छद्मवेश  में गये थे.  रावण सीता को
उठाकर ले गया.  शाहजहाँ  ने शेरखाँ  को मारकर
मुहताज से शादी की थी.
तमिल कवि कंबर के बेटे ने  भी  राजकुमारी  से प्रेम  किया.
परिणाम  मृत्यु दंड मिल गई.
 इतिहास, पुराण, कहानी आदि सब में
जिन घटनाओं का चित्रण  मिलते हैं,
वह आजकल के समाज के अध्ययन  से
स्पष्ट होता है. बलात्कार  की खबरें आजकल
के समाज के अध्ययन से पता चलता है.
समाज में स्नातक-स्नातकोत्तर  की संख्याएँ
 उत्तरोत्तर  बढती रहती है. पर उन सब में
एक प्रकार  का मानसिक तनाव ज्यादा  है.
तलाक की संख्याएँ बढ रही हैं. शिक्षित  समाज में
ऐसी परेशानियाँ. हैं. खूब कमाते  हैं, आर्थिक  कष्ट नहीं है.

यों कई प्रकार के विचार  सोचते सोचते बस में बैठा,तो
अचानक उदासी  युवक मेरे पास बैठा . उसका चेहरा  ऐसा लगा मानो मुझसे कुछ कहना चाहता  हो.
मैं उसको देखता रहा. वह मोबाइल में किसी नंबर को काल करता रहा. जवाब न आने से उसकी परेशानियाँ  बढती रही.
  उसकी दशा देखकर  मेंने उससे पूछा-  तुम क्यों  इतनी परेशानी दुख पडता है?   क्या तुम्हारे  घर में  कोई बीमार है?
क्या उसकी पूछ ताछ कर रहे हो?
 युवक की आँखों से आँसू  निकले. दुखी  स्वर में कहा-
लव फेइलियर. टिल यसटर्डे  शी वास रेडी टु मेरी मी
नौ शी ईस नाट रेडी टु मेरी  मी. नाट अटंडिंग मै कालस.
मैं कल आत्महत्या  करूँगा. उसकी  यु
सिसकियाँ  बढने लगी. अन्य यात्री भी मुडकर  दे खने लगे.
सिसकियाँ  भरते हुए कई बातें  बताई. वह  और उसकी प्रेमिका कहाँ कहाँ घूम रहे  थे और फोटो भी दिखाया.
और दोहराता रहा  कि  मैं मर जाऊँगा. उसकी दशा देखकर
मैं असमंजस में पड गया.
 उसको कैसे समझाऊँ?  कैसे धीरज बाँधूँ?
कैसे समझाऊँ?  यह तो  संवेदनशील  बात है.
 मेंने पूछा -वह कल अन्य से  शादी कर लेगी तो
आनंदमय जीवन बिताएगी.   तुम तो अपने परिवार वालों  को
दुख सागर में डुबोकर  चले जाओगे. क्या तुम्हारी  आत्मा को शांति  मिलेगी. माँ-बाप ,भाई -बहन की हालत  क्या होगी?
 तुम्हारी  प्रेमिका का प्रेम मिथ्या है. यदि उसका प्रेम सच्चा है तो बिताएगी. वह तो बिलकुल इनकार कर दिया.  तुम पुरुष हो.  नया आदर्श दिखाओ.
 सार्वजनिक काम में मन लगाओ. वह तो अपने मन को काबू  में न पाया. वह अपनी आत्म हत्या का धुन दोहराता रहा. लव फेइलियर, हौ केन ऐ लिव?  सूसयिड ओन ली वे. दूसरा कोई
मार्ग नहीं. वह न मिलती तो जीना बेकार.
उसके प्रति मेरी हम दर्दी  बढती गयी.
उसके दिल में परिवर्तन  लाना था.
 मेंने उसको समझाया--
असफलता तेरी  भाषा  के कारण.
लव फेइलियर....
मातृभाषा  में बोलने पर तो
प्रेम में विजय मिलेगी.
 तेरी विजया मिलेगी.
वह अंग्रेजी  तो तलाक  (डैवर्स)की भाषा है.
तुम को संयम सीखना चाहिए.
जितना अंग्रेज़ी  बोलते हो,
 उतना आमदनी बढेगी.
आत्म शांति  ,भारतीयों का विशिष्ट आत्माभिमान,
आत्म संतोष, संयमी जीवन न मिलेगा.
हमारी संस्कृति लड़कियों से दूर खडे होने को सिखाती

वह  पाश्चात्य  सभ्यता  हाथ मिलाने,
आलिंगन करने की बात सिखाती.
  इतना ही नहीं पराई   स्त्री  के संभोग को
 पशु के समान  सार्वजनिक  मानता है.
 हमारी ऊँची सभ्यता देखिए,
अग्नि प्रवेश  से पतिव्रता स्थापित   सीता को
धोबी की बात  को महत्व देकर वन में छोड दिया.
  अब रोज भारतीय  समाचार  पत्र में
  गैर पुरुषों  से संबंध  स्थापित कर
अपने निजी पति को  केवल शारीरिक  संबंध  के लिए
हत्या कर देती है.  यह अंग्रेज़ी  प्रभाव   है.

अपनी  तमिल भाषा    में देखो,
 तिरुवल्लुवर की पत्नी
वासुकि पति की आज्ञा कारी पत्नी है.
   सति सावित्री, नलायिनी,  ,सति अनुसिया ,आदि की दुनिया,
शकुंतला का प्रेम, दुष्यंत को  भूलना
 ये सब  आदर्श  प्रेमिकाएँ हैं.
तेरी प्रेमिका तो सच्ची नहीं है.
  तुम को संयम  सीखना है,   कायर ही मरते हैं.
 एक  मिथ्या
प्रेमी के लिए   आत्महत्या   करना
 मनुष्यता नहीं है.
पौरुष नहीं है.
लैला मजनू की कहानी तो   युवकों  को
गलत मार्ग दर्शक है.
हम भगवान  को  घाट घाट का निवासी मानते हैं.
वह कहानी तो  जहाँ देखो,
 वहाँ लैला का लौकिक
 माया मोह सिखाती है.
 एक चंचल प्रेम  की बात तजो,
उसे भूल दो,  तेरे प्रेम को अलौकिक
प्रेम में बदल लो.
सार्वजनिक की सेवा में लगो.
तुम वन्दनीय नायक  बनोगे.
वल्लुवर  को पढो .
कछुए  के  समान   पंचेंद्रियों को
काबू  में  रखो. वह  तो " यू  टू  ब्रूटस " है.
तुमको  जितेन्द्र  बनना  है.
 चार-पांच  कुत्ते    ही  कुतिया    के  पीछे  जाएँगे.
लड़ेंगे. लडकी  के  पीछे जानेवाला नायक नहीं  बनेगा.
हीरो  बनो ,जीरो  न  बनो.
कुत्ता  तो  पशु है ,वह  मनुष्य नहीं  है.
तुम तो  मनुष्य हो.  तुममें पशुत्व नहीं ,
मनुष्यता होनी  चाहिए.
जवानी में   एक  लडकी  के  लिए  मरना,
आत्म हत्या की  बात  सोचना  कायरता  है.
आत्म हत्या  कायरता  की चरम  सीमा  है.
कसम  खाओ ;आत्म हत्या का  विचार  छोड़ो.
 मेरी बात मानो . ठुकराई लडकी को तुम ठुकरा दो.
उसने  कहा- आपकी दिलासा भरी बातें   ज़रा  धीरज बंधा  रही    है.
 मैं कुत्ता नहीं ,   मनुष्य  हूँ .
कुत्ते  का  विशेष गुण  कृतज्ञता  इ.
उसमें   वह  नहीं  है.
 मैं अपनी  माता -पिता  के  प्रति   कृतज्ञ  रहूँगा.
उसने  तिरुक्कुरल तक  कहा--
आमै  पोल  ऐन्तडक्कल  आट्रिन
एलुमैयुम एमाप्पुडैत्तु .

अर्थात  कछुए  की  तरह अपने पंचेंद्रियों  को  नियंत्रण  न रखें  तो
सातों  जन्मों  में  श्रेष्ठ पुरुष  रहोगे.
*********


























तरंगें

विचारों  की तरंगें
समुद्र की तरंगों से बडी.
बीच के  समुद्र तो शांत.
पर मन तो कभी शांत  नहीं.
मन शांत का मतलब है,
ब्रह्मत्व  पाना.
ब्रह्मत्व पाना है तो
शरीर तजकर जाना.
निश्चल मन योग साधना  का
सर्वोच्च  शिखर.
निश्चल मन में न मोह ,
न बंधन.
 हवा रहित स्थिति  में  ही
तरंगें  रुकती है.
विचार तरंगों ते बिना
न वेद, न कुरान, न बाइबिल.
वैसा तो मन की तरंगों  को
रोकना कैसा?





मन की बात

मन की बातें
बताने में है,
मान की बात.
मनाने की बात.
उम्र का बात.
उलझनों की बातें
ऊधम मचाने की बातें
उत्तम बातें
अधम बातें
बडों की बातें.
छोटों  की बातें.
चोरों की बातें.
बूढों की बातें.
ठगों की बातें.
राजनैतिक बातें.
राजनीतिग्ञ की दुरंगी बातें.
मोह की बातें.
प्यार की बातें.
बच्चों की तुतली बातें
वात्सल्य भरी बातें
मनोरंजन  का बातें
हास्य-व्यंग्य  की बातें
रोचक बातें
अरुचि बातें
सब के सब कीअंतरंग बातें
सहकर्मी  की  बातें.
सहपाठी  की बातें
योग -ध्यान  की बातें.
भोग विलास की बातें
ऐश आराम की बातें
इन सब बातों  में अच्छी लगती
अगजग के कल्याण  की बाते़
दुख भुलाने की तुतली बातें.







Saturday, May 12, 2018

पकौडा

पकोड़ा  बनाना रोजगार , सही या गलत ,
चुप रहने से  कुछ करना  बेहतर.
अचार बनाना ,मसाला चूर्ण बनाना
कितने लोग  रईश बने हैं ?
क्रिकट खेलना  अब फेशन बन गया.
क्रिकट मैं कोच से सिखा,पर क्रिकट में नौकरी नहीं ,
यह खेल  केवल मनोरंजन  के  लिए.
इन्जनीयर  कालेज  में केम्पस इंटरव्यू में ही नौकरी पानेवले ,
कोइल पिच्चाई जैसे  बड़े पद पर रहनेवाले,
केवल मासिक दो हज़ार  पाकर काम  करनेवाले बी.ई.,
परंपरागत  संपत्ति  और दहेज़ की संपत्ति से
सानंद रहनेवाले, कितने भाग्यवान.
  जो  भी सरकार हो इन्जनीयर स्नातक जितने  हैं
सब को कोई भी सरकार हो ,नौकरी देना असंभव.
कितने माँ -बाप  अपने बच्चों को पढ़ाते नहीं,
कितने बच्चे भीख मांगते जी रहे  हैं ,
पकौड़ा बेचना कोई अपमानित  काम  नहीं,
उदहारण  बता दिया, कोई न  कोई व्यापार करना.
खेती कर सकते हैं , स्नातक कीचड में उतरना अपमान नहीं,
कितने स्नातक ऑटो चला  रहें है,
भाजापा   के शासन और कांग्रस के शासन
दोनों के शासन काल  में स्व व्यवसाय ,भारतीय कुछ बनाओ
आत्म निर्भरता  ,आत्म विशवास,  किसकी  सरकार दे रही  है
सोचिये  पता चलेगा पकोड़ा बेचना , आत्म निर्भर  धंधा करना.

समाज.

प्रातःकालीन प्रणाम.
अति कालै वणक्कम.
 समाज धनि यों की है.
समाज खुशामदियें का है.
समाज स्वार्थियों का है.
समाज नम्रता से प्रेम  से
ठगनेवलों का समर्थक  हैं.
समाज प्रशासक, शासक,
आदि की गल्तियों  को,
अपराधों को सह लेता है.
स्वार्थ मय संसार  में
निस्वार्थ  स्वयं सेवकों  को
ईमानदारियों को
अधिकारियों   को

भी
कमी नहीं है.
इसलिए  प्राकृतिक प्रकोप
 कभी कभी  होता है.
निस्वार्थी  के कम  होते  होते
 प्राकृतिक संतुलन
बिगड़ता जाएगा.
 देश  सूखा पडेगा,
 पानी नहीं मिलेगा.
लोग दाने दाने के लिए
 तरसेंगे.
दुखी रहेंगे.

माँ

माँ!   ममता का प्रतीक.
हर दिन पूजनेलायक. .
अंग्रेजों को माँ अलग हो जाती.
पिता अलग हो  जाते.
हमारी संस्कृति  स्वर्ग वास के बाद
हर साल दिवस पूजा.
ज़िंदा माता पिता को
खुश रखना ,
दैनंदिन  का कर्तव्य है.
अतः माता -पिता पूजनीय
वंदनीय प्रतिदिन, प्रशिक्षण.
माँ को  प्रणाम.