साहित्य का आधार समाज है. हमारे देश का इतिहास साहित्य पर आधारित है.खासकर तमिल संस्कृति हमें जान ने के लिए संघम काल के साहित्य ही प्रधान हैं. चेर ,चोला ,पांडिया राजाओं के बाद संघम की उतनी प्रधानता नहीं रही. राजाश्रित जमाने में तमिल साहित्य का खूब विकास हुआ. उन साहित्यों में तमिल नाडू के लोगों की वीरता,प्यार आदि के विवरण मिलते हैं.संघ साहित्य पत्तुप्पाट्टू, एटटूत तोकै है.
इनमें धर्म दो प्रकार से मिलते हैं.एक अहम् अर्थात आतंरिक जीवन के साहित्य और दूसरा पुरम अर्थात बाह्य जीवन के संघ साहित्य।
संघ के गीतों की संख्या २३८१. इनमें अकत्तिनै १८६२ हैं.
अकनानूरू ४०० गीत नटरिनै-- ४००। कुरुन्तोकै----४०१. गीत ऐन्गुरुनूरू -५००. कलित्तोकै - १४९ गीत। परिपाडल --८
पत्तुप्पा ट टू ------------- ४.
इन सब के अलावा पुरनारु,पतित्रुप्पत्तु मदुरैक्कांची, आदि पुरत्तिने। बाह्य जीवन।
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