तोल्काप्पियम जो "पोरुलिलक्कणम" अर्थविचार के व्याकरणिक ग्रन्थ है,वह लोगों के जीवन व्याकरण बतानेवाला श्रेष्ठ ग्रन्थ है.
तोल्काप्पियम लोगों के जीवन को दो भागों में विभाजित करता है. एक आतंरिक जीवन ,दूसरा बाह्य जीवन.
मिलकर रहना अक वाल्वु अर्थात आतंरिक जिन्दगी.इसी आधार पर गृहस्थ का महत्त्व है; आतंरिक जिंदगी को चोरी, अनघता , संयम शुद्धता (chastity) नामक दो रूप में तोल्काप्पियम विभाजित करता है.चोरी गुप्त र्रोप में वैवाहिक सम्बन्ध , जिसे उच्चतम न्यायालय भी मन चूका है,मिलकर रहना .दूसरा खुला गृहस्थ जीवन.
आतंरिक जीवन पाँच क्षेत्र कुरिंज्ची,पालै,मुल्लै,मरुदम ,नेयतल आदि के लिए सामान्य मान नियम है.
अज्ञात गुप्त जीवन में भी संयम शुद्धता पर जोर दिया जाता है.तोल्काप्पियम में संयम शुद्धता पुरुष और स्त्री दोनों को समान मानता है.
संयम शुद्धता पर तोल्काप्पियम :-
कर्पेनप पडूवतु करनमोडू पुनरक
कोलर्कुरी मरबिर किलवन किलात्तियै
कोडैक्कुरी मरबिनोर कोडुप्पक कोल्वातुवे.
नायक-नायिका एक दुसरे को माकर सम्भोग करना.
तोल्काप्पियम में बाह्य और अंतः क्षेत्र के सम्बन्ध को भी व्याख्या मिलता है.
बाह्य क्षेत्र --आतंरिक क्षेत्र
वेट्ची * कुरिंज्ची
वंचि * मुल्लै
उलिग्नै * मरुतम
वाकै * पालै
कांची * पेरुन्तिनै
पाटाण * कैक्किलै
आतंरिक जिन्दगी का विकास ही बाह्य जीवन माना गया है.
वेट्ची क्षेत्र --- वेट्चि क्षेत्र के वीर राजा शातू देश की गायों को कब्ज़ा कर लाते थे.वे वेट्चि नामक फूलमाला पहनकर जाते थे. ये गायें लाना भी धर्म ही है ; क्योंकि इस वीरता का उद्देश्य गायों को सुरक्षित रखना.
आनिरै कवर्तल अरत्तिन पोरुट ट न्रू गायों को चोरी करके ले जाना ,उनको छुड़ाने आदि में उनको कोई कष्ट न होना चाहिए. उसीको नोयिनरी वुयित्तल कहते हैं. जो गायें चुराकर ले आते हैं ,उनको राजा या सेनापति अपने लिए न रखकर धर्मानुसार वे सार्वजनिक संपत्ति हैं ,उन्हें दूसरों को भी बांटकर दिया करते थे. इसीको "पातीडु" कहते थे.
वंजी क्षेत्र :- दूसरो की भूमि पर के लालची राजा और उसको रोकनेवाले राजा दोनों की लड़ाई का धर्म बताना वंजी क्षेत्र है.भूमि के लोभ में लड़ना अधर्म युद्ध और भूमि की रक्षा में लड़ना धर्म युद्ध है.यह युद्ध-नीति तमिल लोगों के ऊंचे विचार के लिए प्रशंसनीय है.
उलिग्न्यैत तिनै:---दुश्मनों के दुर्ग को घेरना,कब्ज़ा करना ,नाश करना, यह क्षेत्र राजा की विशेषता है.इस क्षेत्र के धर्म है:--दुखी दिली,निःसंतानी ,विधुर , सैनिक हीन ,कायर,अपने असं का वीर आदि से लड़ना,मारना आदि अधर्म है.यह रदूसरों की भूलें सह्नेवाले ण-धर्म है.
तुम्बै तिनै ;--बलवान राजा का सामना करना हराना वही श्रेष्ठता मानना तुम्बै तिनै.
व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने बल दिखाने लड़ना अधर्म युद्ध है. आम लोगों की भलाई के लिए लड़ना धर्म युद्ध है. तुम्बै युद्ध धर्म के आधार पर होगा.
वाकैत्तिनै:--युद्ध की अंतिम स्थिति "जीत".वाकै का अर्थ है विजय. यह विजय दुखप्रद न हो. विजय धर्म में धर्म मार्ग के सज्जन,चरित्रवान ,दूसरों की भूलें सह्नेवाले ,सत्य ज्ञान के ज्ञाता , आदि लोगों के धर्म पर वाकैत तिनै बताते हैं.
कुरिन्जित तिनै ;--कांची क्षेत्र अशाश्वत संसार के दशा को जिक्र करके शाश्वत दिशा की ओर खोज करने का मार्ग दिखाता है.रण-क्षेत्र में घायल वीरों .मृत वीरों की दुर्दशा पर ध्यान खींचता है.नायक की मृत्यु पर असहनीय दुःख से मरनेवाली नायिका,पति के साथ मरी नायिका की प्रशंसा,,प्रेमी के बिछुड़ने पर दुखी प्रेमिका,प्रेमिका से बिछड़े प्रेमी ,गृहस्थ जीवन की विषमताएं आदि धर्म और कर्तव्य की व्याख्या इस क्षेत्र में मिलते है.
पाडाण तिनै:--राजा के आवश्यक धर्म सिखाते हैं.इसमें वायुरै,सेवियरिउ हैं वायुरै -मौखिक है इसमें बिना कठोर वचन के मार्ग दिखाना वायुरै है.यह कार्य करना फलदायक बताना.
सेवियरिऊ बिना क्रोध दिखाए अपराधियों के अपराध सहकर धर्म की बातें बताना.
संघ साहित्य में बाह्य धर्म सागर में चंद बिंदु इसमें दर्शाए गए है.
आतंरिक जीवन "अकम" में प्रेम करना, रहस्य (चोरी)इन सब में ,शादी ,दाम्पत्य -गृहस्थ जीवन आदि धर्म पर व्याख्या करता है . प्रेम चोरी गुप्त शादी धर्म पर आधारित है.
इसमें चरित्र प्रधान है.
बाह्य जीवन में रण- नीति -धर्म पर व्याख्या तोल्काप्पियम में मिलता है.
तोल्काप्पियम लोगों के जीवन को दो भागों में विभाजित करता है. एक आतंरिक जीवन ,दूसरा बाह्य जीवन.
मिलकर रहना अक वाल्वु अर्थात आतंरिक जिन्दगी.इसी आधार पर गृहस्थ का महत्त्व है; आतंरिक जिंदगी को चोरी, अनघता , संयम शुद्धता (chastity) नामक दो रूप में तोल्काप्पियम विभाजित करता है.चोरी गुप्त र्रोप में वैवाहिक सम्बन्ध , जिसे उच्चतम न्यायालय भी मन चूका है,मिलकर रहना .दूसरा खुला गृहस्थ जीवन.
आतंरिक जीवन पाँच क्षेत्र कुरिंज्ची,पालै,मुल्लै,मरुदम ,नेयतल आदि के लिए सामान्य मान नियम है.
अज्ञात गुप्त जीवन में भी संयम शुद्धता पर जोर दिया जाता है.तोल्काप्पियम में संयम शुद्धता पुरुष और स्त्री दोनों को समान मानता है.
संयम शुद्धता पर तोल्काप्पियम :-
कर्पेनप पडूवतु करनमोडू पुनरक
कोलर्कुरी मरबिर किलवन किलात्तियै
कोडैक्कुरी मरबिनोर कोडुप्पक कोल्वातुवे.
नायक-नायिका एक दुसरे को माकर सम्भोग करना.
तोल्काप्पियम में बाह्य और अंतः क्षेत्र के सम्बन्ध को भी व्याख्या मिलता है.
बाह्य क्षेत्र --आतंरिक क्षेत्र
वेट्ची * कुरिंज्ची
वंचि * मुल्लै
उलिग्नै * मरुतम
वाकै * पालै
कांची * पेरुन्तिनै
पाटाण * कैक्किलै
आतंरिक जिन्दगी का विकास ही बाह्य जीवन माना गया है.
वेट्ची क्षेत्र --- वेट्चि क्षेत्र के वीर राजा शातू देश की गायों को कब्ज़ा कर लाते थे.वे वेट्चि नामक फूलमाला पहनकर जाते थे. ये गायें लाना भी धर्म ही है ; क्योंकि इस वीरता का उद्देश्य गायों को सुरक्षित रखना.
आनिरै कवर्तल अरत्तिन पोरुट ट न्रू गायों को चोरी करके ले जाना ,उनको छुड़ाने आदि में उनको कोई कष्ट न होना चाहिए. उसीको नोयिनरी वुयित्तल कहते हैं. जो गायें चुराकर ले आते हैं ,उनको राजा या सेनापति अपने लिए न रखकर धर्मानुसार वे सार्वजनिक संपत्ति हैं ,उन्हें दूसरों को भी बांटकर दिया करते थे. इसीको "पातीडु" कहते थे.
वंजी क्षेत्र :- दूसरो की भूमि पर के लालची राजा और उसको रोकनेवाले राजा दोनों की लड़ाई का धर्म बताना वंजी क्षेत्र है.भूमि के लोभ में लड़ना अधर्म युद्ध और भूमि की रक्षा में लड़ना धर्म युद्ध है.यह युद्ध-नीति तमिल लोगों के ऊंचे विचार के लिए प्रशंसनीय है.
उलिग्न्यैत तिनै:---दुश्मनों के दुर्ग को घेरना,कब्ज़ा करना ,नाश करना, यह क्षेत्र राजा की विशेषता है.इस क्षेत्र के धर्म है:--दुखी दिली,निःसंतानी ,विधुर , सैनिक हीन ,कायर,अपने असं का वीर आदि से लड़ना,मारना आदि अधर्म है.यह रदूसरों की भूलें सह्नेवाले ण-धर्म है.
तुम्बै तिनै ;--बलवान राजा का सामना करना हराना वही श्रेष्ठता मानना तुम्बै तिनै.
व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने बल दिखाने लड़ना अधर्म युद्ध है. आम लोगों की भलाई के लिए लड़ना धर्म युद्ध है. तुम्बै युद्ध धर्म के आधार पर होगा.
वाकैत्तिनै:--युद्ध की अंतिम स्थिति "जीत".वाकै का अर्थ है विजय. यह विजय दुखप्रद न हो. विजय धर्म में धर्म मार्ग के सज्जन,चरित्रवान ,दूसरों की भूलें सह्नेवाले ,सत्य ज्ञान के ज्ञाता , आदि लोगों के धर्म पर वाकैत तिनै बताते हैं.
कुरिन्जित तिनै ;--कांची क्षेत्र अशाश्वत संसार के दशा को जिक्र करके शाश्वत दिशा की ओर खोज करने का मार्ग दिखाता है.रण-क्षेत्र में घायल वीरों .मृत वीरों की दुर्दशा पर ध्यान खींचता है.नायक की मृत्यु पर असहनीय दुःख से मरनेवाली नायिका,पति के साथ मरी नायिका की प्रशंसा,,प्रेमी के बिछुड़ने पर दुखी प्रेमिका,प्रेमिका से बिछड़े प्रेमी ,गृहस्थ जीवन की विषमताएं आदि धर्म और कर्तव्य की व्याख्या इस क्षेत्र में मिलते है.
पाडाण तिनै:--राजा के आवश्यक धर्म सिखाते हैं.इसमें वायुरै,सेवियरिउ हैं वायुरै -मौखिक है इसमें बिना कठोर वचन के मार्ग दिखाना वायुरै है.यह कार्य करना फलदायक बताना.
सेवियरिऊ बिना क्रोध दिखाए अपराधियों के अपराध सहकर धर्म की बातें बताना.
संघ साहित्य में बाह्य धर्म सागर में चंद बिंदु इसमें दर्शाए गए है.
आतंरिक जीवन "अकम" में प्रेम करना, रहस्य (चोरी)इन सब में ,शादी ,दाम्पत्य -गृहस्थ जीवन आदि धर्म पर व्याख्या करता है . प्रेम चोरी गुप्त शादी धर्म पर आधारित है.
इसमें चरित्र प्रधान है.
बाह्य जीवन में रण- नीति -धर्म पर व्याख्या तोल्काप्पियम में मिलता है.
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