शीर्षक :- रातें।
रातें क़ाफिया
शीर्षक दिया है
परिषद ने।
क़ाफिया क्या?
जानने की जिज्ञासा ।
रातें तेरी मेरी
सृष्टि की बातों की रातें ।
शहद चाँद की रातें
रातें मुलाकात की बातें ।
अमावास्या की रातें,
रातें बनाती जुगुनुको चाँद ।
रातें चोरों को आनंद की।
डाकुओं की रातें,
पुलिस की घाते ।
नव दंपति को
रातें आनंद भरी।
रातें पुलिस को सतर्क भरी।
रातें स्मग्लर्स की चालाकी।
सृष्टि कर्ता धर्ता को आनंद ।
रातें न होती तो ब्रह्मा को काम नहीं
पुलिस गुप्तचर को काम नहीं ।
रातें अच्छी मीठी फिर भी खतरे से खाली नहीं ।
स्वरचितस्वचिंतक यस ।अनंत कृष्णन।
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