Monday, April 29, 2019

संस्मरण (मु.गद्य )

 परिषद को प्रणाम ।
लेखकों को बधाइयाँ ।
  संस्मरण ।

शादी होकर तीन महीने हो गये।
पहली बार चेन्नै पत्नी के साथ।
बडा होटल जोरू के साथ।
पति की गम्भीरता ।
बडे पेपर रोस्ट मांगा।
पहली बार बडा दो सै देखकर 
बीबी चकित रह गई ।
उसमें भूना हूआ काक्रोच ।(तिलचिट्टा )
पत्नी ग्रामीण की बडी चीख ।
पड़ोस के ग्राहक डरकर उठे।

 क्या करें।

जोश प्यार प्रेम भरा स्पर्श

सूर्य के आगे बरफ की तरह नदारद।
प्रेम भरी आंखों मेँ आँसू ।

बस
1975 से आज तक 43 साल

होटल जाने की इच्छा

कभी नहीं उठी।
यह घटना 
होटल माने
लापरवाही की मुद्रा लगा चुकी।
स्वरचित स्वचिंतक यस ।अनंत कृष्णन।
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