एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार।
वणक्कम।
शीर्षक ---शिक्षक
विधान --अपनी भाषा, अपने सोच विचार, अपनी शैली।
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शिक्षक
शिष्टाचार सिखानेवाले।
क्षमता बढ़ानेवाले
कर्म सिखानेवाले,
कर्म फलों के पाप-पुण्य
दंड सजा की व्याख्या करने वाले
अनुशासन, अच्छी चालचलन सिखानेवाले।
आजकल के शिक्षकों में
धन प्रधान माननेवाले
स्वार्थ भी होते हैं,
पुलिस भी, न्यायाधीश भी।
हे ईश्वर ,
हमें चाहिए ,
आदर्श शिक्षक।
न लोभी हो,न क्रोधी हो।
ज्ञान के पारंगत हो।
तटस्थ हो,
सभी छात्रों को माने,
एक समान।
धनी छात्रों का आलिंगन।
गरीब छात्रों से नफ़रत न हो।
अंक देने में न हो पक्षपात।
आदर्श शिक्षक न्याय प्रिय हो।
न चाहिए हिरण्यकश्यप के आतंकित गुरु।
न चाहिए ऐसे गुरु जो अपने एक शिष्य को ऊँचा करने
दाहिने हाथ का अंगूठा काटे।
न चाहिए ऐसे गुरु,
जाति भेद को बड़ा मान,
शिष् को शाप दें।
आदर्श शिक्षक
तटस्थ हो,
सर्वशिक्षा अभियान में
साथ दें। लाख
एस. अनंतकृष्णन,
स्वरचित स्वचिंतक।
तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक।
आदर्श शिक्षक
जाति, धन, कुल, रंग, संप्रदाय नहीं देखते।
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।।
मोलकरो तलवार का,पड़ा रहन दो म्यान।।
एकलव्य ही निपुण न अर्जुन।
कितना पक्षपात द्रोह चिंतन।
परिणाम तमिलनाडु राजनीति
जाति भेद समूल नष्ट करना चाहती।
पर आर्थिक भेद मिटाना,
मधुशाला बंद करना,
शिक्षा सीखने धन की अनिवार्यता
मिटाना असंभव ।
अंग्रेज़ी भाषा की अनिवार्यता
आदर्श शिक्षा नहीं।
धन प्रधान शिक्षा,
न नीति,न अनुशासन,न संस्कृति,न अच्छी चालचलन।।
न देश भक्ति, न राष्ट्र सेवा,
पढ़, प्रतिभाशाली बनो,
एनकएनप्रकारेन धन जोडो।
विदेश में बस जाओ।
यह शिक्षा देश की तेज़ प्रगति में बाधक।
स्नातक स्नातकोत्तर की संख्या से हम फले फूले हैं।
पर तलाक के मुकद्दमे,
अवैध संबंध , अर्द्धनग्न पोशाक
जलवायु के प्रतिकूल भोजन
बढ़ते वृद्धाश्रम मानव मन को
निर्दयी/बेरहमी बना रही है।
इस कमी को दूर करने राष्ट्रीय शिक्षा की अनिवार्यता ही आदर्श शिक्षक बनाएगा।
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