Sunday, September 17, 2023

खुशी

 परिंदा खुशी।

पशु-पक्षी खुशी।

न उनको वर्तमान की चिंता।

न कपड़ों की चिंता।

न षडरस स्वाद की चिंता।

न परिवार की चिंता।

न अस्पताल की चिंता।

न नाते रिश्ते परिवार की चिंता।

न श्मशान खर्च की चिंता।

न आत्मशांति पुरोहित की चिंता।

न कर की चिंता।न आय की चिंता।

न नौकरी की चिंता, न पदोन्नति की चिंता।

शं

न पेशाब पट्टी संभोग के लिए

आठ जगह की चिंता।।

न पंखा, वातानुकूलित कमरे की चिंता।।

न मान मर्यादा की चिंता।

न जलन न लोभ न ईर्ष्या।।

न स्वार्थ ।न अहंकार।न ख्वाब।

मानव  में न चैन।

 स्वरचित स्वचिंतक स्वरचनाकार एस.अनंतकृष्णन, तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

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