हिन्दी प्रेमी समुदाय ,
ह्रदय से जुड़ते हैं ,
अर्थ को अर्थहीन समझ 
बिताते हैं सार्थक जीवन.
शुद्ध हिंदी, अंग्रेज़ी से दूर,
मतलब  है अर्थ के आडम्बर नहीं, 
अर्थ क्या  चंचल   बूढ़े  की पत्नी ,
रहीम ने कहा,हम ने सोचा मुगलों का व्यंग्य.
सच मुच  लक्ष्मी   मातृभाषा से दूर,
अँगरेज़ के पीछे छलती है,
चलना -छलना में उच्चारण भेद ,
उछलती -कूदती   आश्रमों में धन भी अंग्रेज़ी 
भाषण से बरस रहा है, 
अतः बढे बढे आश्रम के आचार्य 
कम संस्कृत , कम मातृभाषा, अधिक अँगरेज़ 
अर्थ तो बढ़ रहा है , पर युवा पीढी 
अर्थहीन जीवन की और  ही संस्कृति 
प्रेम विवाह , तलाक ,  मधुशाला,पर 
नारी को तंग की आह्वान समझ रहे हैं,
आतंक है भविष्य में न रहेगा परिवार.
न रहेगा स्त्री मोह , न रहेगा प्यार का घुमाव.
कुत्ते के पिल्लै जैसे लेंगे बच्चे बाज़ार से ,
शुक्ल दान बैंक से गर्भ धारण .
विज्ञान की तरक्की , अंग्रेजों का शान 
ले जा रहा है अज्ञान की और.

