जिन्दगी  जीने  के  लिए ,
आधुनिक युवकों में 
कलियुग  में आत्म चिंतन ,
आत्मानुभूति , 
आत्म विश्वास आदि
आत्म विश्वास आदि
कम हो रहे  हैं. 
खुद  मरना , 
दूसरों की हत्या करना ,
दूसरों की हत्या करना ,
प्रेम करो ,
न तो तू दुसरे के लिए भी नालायक बनो ,
न तो तू दुसरे के लिए भी नालायक बनो ,
तेज़ाब फेंकना ,
बलात्कार करना,
बलात्कार करना,
कितना न्याय सोचिये ?!
संभ्य स्नातक -स्नातकोत्तर
संभ्य स्नातक -स्नातकोत्तर
युवकों!  
आजकल आत्म हत्या की 
खबरें आती   ही  रहती हैं , 
हत्या  या आत्म हत्या   
संदेह प्रद  हो गए. 
 चतुर , चालाक , बुद्धिमान , प्राकृतिक शक्ति को 
नियंत्रण  में रखने वाले  युवकों  को  
ऐसी  दुर्बलता कैसे और  कहाँ  से  आयी ?
शिक्षा  में  अनुशासन  की कमी ,
नैतिक  बातों  की कमी ,
वेतन भोगी अध्यापकों में तटस्थता की कमी ,
शिक्षा में अंक प्रधान , 
अंक पाने आम जनता घूस  देने    तैयार ,
ज्ञान हो  या न हो प्रमाण -पत्र सब के हाथ. 
योग्यता पात्र कितने ?
एक छात्र से पूछा , पैसे देकर प्रमाण पत्र ! क्या फायदा?
कहा  उसने  हमारे अनपढ़ दादा की संपत्ति देखिये,
और कई पीढ़ियाँ  बैठकर खा सकते. 
लडकी वाले लडकी देने  
दहेज़ देते हैं प्रमाण पत्र  के आधार पर.
हमारी परम्परागत संपत्ति के आधार पर.
हम तो छोटे बड़े व्यापार में लगें हैं. 
नौवीं  कक्षा  पास हो , पढाई छोड़ो ,
एक  लाख  दहेज़.
यों ही  प्रमाण पत्र, डिग्री बढ़ाता है दहेज़. 
 सोचता हूँ , क्या होगा  समाज .
जितने कम पढ़े लिखे हैं ,
शिक्षा संस्थान  चलाते हैं ,
उनकी योग्यता   केवल अमीरी.
उनसे  मिलने बड़े बड़े डाक्ट्रेट प्रतीक्षा  कर  रहे  हैं .
ऐसे समाज  में जीने की राहें , उम्मीदें  ज्यादा है.
सोचिये  , मरना, मारने के मनोवृत्तियाँ  छोड़ दें. 
मृत्यु तो निश्चित , क्यों खुद मारने - मरने  के  विचार 
ईश्वर के नाम लीजिये , आत्मविश्वास बढ़ाइए.
ध्यान कीजिये , शान्ति मार्ग अपनाइए.