Thursday, February 1, 2018

प्राकृतिक सन्देश

प्राकृतिक परिवर्तन अति सूक्ष्म, 
अपने को देखा, 
अपने छाया चित्र देखा
पोते से पूछा -वह बोला -
यह अंकिल   कौन-है  ?
 नहीं जानता. 
कितना फरक,


कितनी महँगाई.

एक अना बस यात्रा
अब हो गया 25रुपये.
स्थानीय व्यवहार
 परखने   समय नहीं,

ईश्वरीय अति सूक्ष्म निरीक्षण
करेगा कैसा?

जब मैं बच्चा  था ,
तब  यही कहते  --
पाप की कमाई
शान्ति न देगी .
माता -पिता का पाप
बच्चे को सजा देगी.

आज  कहते  हैं --
वह तो मालामाल.
भ्रष्टाचार ,रिश्वत तो
लेकर बड़ा  अमीर  बन  गया.

सौ करोड़ खर्च कर
सांसद  या  वैधानिक बन  गया.

वोट  के  लिए पैसे देता,
जीतने  के  बाद
नौ दो  बारह हो गया.

जैसे भी  हो  चुनाव  के  पर्व पर

रुपयों  की वर्षा  करता.

मतदाता तो अति भुलक्कड़

पांच  साल के पहले  वादा को
नया ही वादा  समझ  वोट  देता.

ऐसी दशा   में  ईश्वरीय  नचावत
 निरीक्षण वह कैसे  जानता ?

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