Thursday, February 22, 2018

सपना

सपना /स्वप्न / होते हैं 
कई तरह के. 
दिवा सपना साकार होता नहीं, 
तडके के स्वप्न का 
होता है फल. 
सपन को कार्यान्वित करने
परिश्रम कठोर करने की आवश्यकता है.
कितने आविष्कारक हुए जग में
अग जग के कल्याण के लिए.
अघ जग अलग, वे हैं गरीबी में,
आविष्कारकों के सपने साकार होने
धन कमाना है आवश्यक.
तभी बनता है अघ जग.
भ्रष्टाचारी / रिश्वतखोरी / हतयारे/ आतंकवादी.
यह धन का सपना पाप की कमाई.
पुण्य की कमाई भाग्यवानों के लिए.
न राजा, न मंत्री, न सांसद न विधायक न अधिकारी
पाप की कमाई से जग को अघ जग ही बना देते.

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