Wednesday, February 28, 2018

हिंदी प्रचार

   तमिल नाडू  में  हिंदी पढ़े लिखे लोगों  को  नौकरी देने 

   दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा 
   कोई कदम न उठाकर
   अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल 
     ,उच्च शिक्षा ,प्रशिक्षण कालेज

    तोरण द्वार ऐसे  करोड़ों रूपये 

   खर्च कर रही हैं.

   केंद्र सरकार हिंदी अफसर  को कितने रूपये  देती है ?

   कितने लोग हिंदी सीखते  हैं .

  कितने करोड़ खर्च कर  रही है.
  आजादी के सत्तर साल में हिंदी के कितने करोड़ खर्च ?

  नतीजा क्या हुआ?
 यहाँ प्रचारक एडी चोटी एक करके छात्र भेज रहे  है. 
  उनमे कितने प्रशिक्षित?
  केवल आंकड़ों  पर ध्यान देते  हैं  तो 
  हिंदी  परिक्षा केन्द्रों को परिक्षा के समय 
  निरीक्षण करना  है. 
  प्रवीण बी.ए .,  स्तर  की  परीक्षा 
  दस -तेरह साल में  उत्तीर्ण छात्र ?
  क्या बी.ये ,  स्तर के लिए आयु निर्णय नहीं.

  एक   प्रिंसिपल  पूछती हैं ,

   मेरे   स्कूल  में   सातवीं  कक्षा में दस प्रवीण उत्तीर्ण छात्र है ,
  उनमें हिंदी  की योग्यता बी. ये.  स्तर की नहीं  है .
  क्या उनको हिंदी प्रमाण पत्र के आधार पर
   हिंदी पंडित      की   नियुक्ति कर  सकते  हैं ?



 वहां सभा के द्वारा हर जिले में स्थायी  प्रशिक्षित  हिंदी   अध्यापक  को 
   वेतन ,इन्क्रीमेंट ,देकर स्थायी प्रचारक 
  आम  लोगों में प्रचार करने   नियुक्त नहीं कर रही है .


    जो भी आते हैं  सुन्दर इमारत देख सभा की प्रशंसा में           लग   जाते  हैं.

    उनसे पूछिए--आम जनता में हिंदी प्रचार के लिए 

   स्थायी प्रचारकों की नियुक्ति क्यों  नहीं  की है?

    पैसे के आभाव है तो

   तोरण द्वार, 

  अंग्रेज़ी  माध्यम  स्कूल की इमारत आदि के लिए

   पैसे कहाँ से  आती हैं ?

  आम लोगों  में क्यों सभा अप्रशिक्षित प्रमाणित प्रचारकों     पर  निर्भर है?

  सौ करोड़ रूपये  इमारत  बनाने की योज़ना 

  सभा के कार्यकारिणी समिति बना सकती हैं ? 

  केवल दिखावा और बाह्याडम्बर के  लिए ?

  उनसे पूछिए,

   हिंदी प्रचार करने सभा ने

  कितने स्थायी प्रचारकों की नियुक्ति की है ?

  जवाब नहीं. 

 जहां स्चूलों में  हिंदी  नहीं , 

 वहां सभा अपने स्थायी प्रचारक नियुक्ति करके

  हिंदी प्रचार में लागायेगी तो तमिलनाडु  में

  हिंदी छात्र संख्या बढ़ेगी.

 अंग्रेज़ी माध्यम विद्यालय तो  क्यों ?

 वहां भी स्थायी अध्यापक है  या अस्थायी ?

 जब वहां स्थायी अध्यापक की नियुक्ति कर सकती है तो 

 हर जिला में स्थायी हिंदी प्रचारक नियुक्ति क्यों  नहीं  कर      सकती ?

  इसके लिए क्यों  पैसे वसूल न  कर सकती ?


  इस प्रश्न का सवाल किया तो जवाब नहीं .क्यों ?

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