Thursday, February 22, 2018

क्या होगा मानव हाल

नींद नहीं आ रही है,
नाते -रिश्ते की गलतफहमियाँ ,
ईर्ष्या , बदला ,घृणा ,
खुद नाश होनेवाला मनुष्य
खुश खोकर दुःख ही दुःख झेलकर 
कफन ओड जलनेवाला या
कब्रिस्तान में कीड़े -मकोड़े के आहार .
कबीर का एक दोहा-
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे मोहे,
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदूगी तोहे ।
कहते हैं मनुष्य बुद्धिमान पर
न जानता है अपना अंत .पर
जानता है अंत होगा ही.
ऐसी हालत में इतना इठलाना .
इतने मनोभाव ,इतने क्रोध .
अगर मृत्यु नहीं तो
क्या होगा मानव हाल.

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