Saturday, February 3, 2018

हिंदी चिंतन मन की बातें

आज मेरे मन की बात


सब को मेरा प्रणाम.
हिंदी  सीखी,
परिणाम  स्वरूप
भारत भर के कई मित्र मिले.
दक्षिण  भारत के दोस्त मिले,
वीर गाथा काल से सीख मिली,
एक सुंदर  राजकुमारी के लिए
हजारों वीरों की विधवाएँ, अनाथ बच्चे
बनाना-बनवाना राजा की नहीं वीरता,
जनता की नहीं राज भक्ति.
कितने स्वार्थ, कितने बेरहमी
राजा और कवि न देश की चिंता,
न देशोन्नति की चिंता,
लडो-भिडे, मरे, मारो,
एक राजकुमारी  पकड लाओ,
यह तो भीष्म के राजकुमारी
 अपहरण   का  परिणाम.
रावण के सीता अपहरण  का फल.
कवि जिसका खाना, उसका गाना,
आज  की राजनीति  भी धन की विजय,
धनियों की विजय.
पक्षवादी  राजनीतिज्ञ.
वीर गाथा  काल  की वही हालत
आज भी इत्र तत्र  सर्वत्र,
मजदूरी  खूनी,  पैसे मिल जाएँ  तो
तेजाब, बम, आत्म हत्याएँ करने तैयार.
एक स्वार्थ  नेता के संकेत के कारण
रेल, बसें जलाने तैयार.
सडक खोदने, रेल की पट्रियाँ
उखाड़ने तैयार .
पैसे  के  बल  वोट पाने,
रिश्वत के बल अन्याय करने तैयार.
 आध्यात्मिकता के भय दिखाकर
लूटने तैयार.
अनुशासन  नहीं,
आत्म संयम नहीं,
बाल बलात्कारी ,
बाल अपराधी  को छोडना,
जिस देश में तेरह साल के वीर -वीरांगनाओं का
जन्म हुआ, जहाँ बाल अपराधी प्रशिक्षण केंद्र हैं.
कितना बडा न्याय विरुद्ध  कार्य हैं.
  हिंदी साहित्य वीर गाथा  काल
 फिर न पनप ने देना.
कवियों! लेखकों!
ऐसी कविताएँ लेख कहानी लिखना
जिनमें माया /शैतानियत / लौकिक  प्रेम तज
आत्मसंयम, मनुष्यता, त्याग, दान धर्म
देश की एकता ,अनुशासन, चरित्र निर्माण  आदि
का  जोश बढें
पैसे के बल वोट पाकर,
जीतनेवालों  को हार ही हार मिलें .











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