Tuesday, February 27, 2018

हरे कृष्ण

कन्हैया !तेरे गुण यशोगान
कैसे गाऊँ .
नाम स्मरण ही पर्याप्त
नारायण का प्यार प्राप्त .
हरे राम हरे राम , हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कुष्ण कृष्ण हरे हरे.
मुख में अग जग , माक्खन की चोरी ,
माँ से ठगने की बोली ,
दुष्टों का संसार ,
भक्तों का सन्देश ,
"सत्य बोल ,कर्तव्य कर ,
फल मेरे वश."
मानता नहीं कोई ,
करता मनमाना.
उठाता कष्ट तेरे मन जो माना .
हरे राम ! हरे कृष्ण ! हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे ! हरे हरे .

No comments:

Post a Comment