Sunday, February 18, 2018

आज के चिंतन

कल मैंने प्रेम , नफरत ,और कुछ चिंतन जो आये लिखे हैं. उनके चाहकों को , प्रशंसकों को मैं आभारी हूँ . धन्यवाद प्रकट करता हूँ.

________आज के चिंतन__

मनुष्य क्यों असंतोष , दुखी ,नाखुशी , अशांत हैं ,
इन पर आज जो विचार आये ,
हर मनुष्य की सृष्टि में ,
ईश्वर ने सुख-दुःख ,पद ,
अधिकार , कर्तव्य आदि
लिखकर ही पैदा करता है.
मनुष्य की बुद्धी भी उसीने पहले ही
भरकर भेजता है.
कला संगीत ,नृत्य ,भक्ति ,
भी जन्मजात है.
प्रायः हम कहते सुनते हैं ,
मेरा बच्चा जन्म से गुन - गुनाते रहते हैं .
मेरा बच्चा हमेशा औजारों से खेलता है.
मेरा बच्चा कुछ न कुछ चित्र खींचता है.
मेरा बच्चा गणित में रूचि दिखाता है.
मेरा बच्चा वैज्ञानिक विचार में है,
मेरा बच्चा चालाक है,
मेरा बच्चा चतुर है ,
मेरे बच्चे को झूठ बोलना पसंद नहीं हैं .
मेरा बच्चा झूठ ही बोलता है, चोरी करता हैं ,
भगवान की प्रार्थना नहीं करता.
मेरा बच्चा किताब लेकर पढता रहता है.
मेरे बच्चे को राजनैतिक विचार है.
मेरे बच्चे को अभिनय आता हैं ,
भाषण देता है ,
यों ही बच्चपन में ही
अहंकार, क्रोध , ईर्ष्या , प्रतिशोध ,सेवा भाव ,
अधिकार ,आज्ञा आदि गुण-भाव मालूम हो जाते हैं .
जन्म से रोगी को देखते हैं ,
असाध्य रोगी को देखते हैं ,
जवानी में कमजोरी , संतान हीन लोगों को देखते हैं .
शादी पत्नी या पति में राक्षसी गुण देखते हैं ,
कामुक देखते हैं , छद्मवेशी देखते हैं ,
सन्यासी देखते हैं ,
विभानडक ने अपने पुत्र को
ब्रह्मचारी ही देखना चाहते थे ,
पर सहज ही वह स्त्री के मोह में
पड जाने की दशा होती हैं ,
बुद्ध को सन्यासी से बचाने की
बड़ी कोशिश की गयी.
पर असंभव ही रहा.
रत्नाकार ,तुलसी, दास , मूर्ख कालिदास ,
तमिल के स्त्री कामान्धाकार अरुण गिरी
,अशोक आदि अपने बुरे गुण तजकर
लोक प्रिय बन गए.
जनता उनके बुरे कर्मों को भूलकर
आदर- सम्मान की दृष्टी से देखते हैं.
जन्म से लिखी भाग्य रेखा को
बदलने की शक्ति किसी में नहीं.
ईसा को शूली पर चढ़ना पड़ा.
मुहम्मद को पत्थर की चोट सहनी पडी.
इंदिरा ,राजीव को निकट से ही ह्त्या हुयी.
दुर्घटना में अल्पायु में मर जाते हैं .
यों ही समाज के चालू व्यवहार के
अध्ययन करें तो
पता चल जाएगा--;
सबहीं नचावत ,राम गोसाई.

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