Thursday, February 22, 2018

मूक साधना

वाह ! माली जी श्री युक्त मालीजी !
नरसिम्ह प्रहलाद !
मूक साधना में 
जगत का कल्याण 
उज्जवलित.
सूरज न चमकते तो
उदर पूर्ती असंभव
जग की ,
सूर्योदय -सूर्यास्त ,
मध्याह्न ताप
आदी और अंत
आदी में कोलाहाल ,
अस्त में मधुर चहचहाहट,
फिर चुप चुप चुप.
सूरज ! अकेले दीखता है दिन में ,
रोशनी में तारे छिप छिप.
अदृश्य पर भरोसा नहीं ,
दृश्य पर भले ही मिथ्या हो ,
सत्य जानने मूक साधना.

No comments:

Post a Comment