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Tuesday, February 27, 2018

हास्य

हास्य है तो
जीवन सदा आनंद है,
हास्य है तो मन में
स्वच्छ विचार है,
हास्य है तो तन मन में बल है,
ऐसी हँसी दुखप्रद है,
जिसमें व्यंग्य हो,
जलन हो, पीडा हो.
क्रोध और बदला का भाव उठे.
स्वस्थ हँसी चाहिए
जिससे सब के दुख नदारद हो.
घमंड की हँसी,
नाश की ओर.
हास्य रस ऐसा हो
जिससे हास्य ही प्रधान हो,
जिससे केवल हँसी नहीं,
दर्शन का भी स्थान हो.
स्वरचित अनंतकृष्णन द्वारा

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