देशद्रोही की बात भारतीय
इतिहास में
ऐतिहासिक कहानियों में
नाटक में
सिकंदर के आक्रमण काल से
आज तक
भरी पडी है .
पैसे पद ख़िताब ,
ब्राह्मण सब आचार भूल बैठे ,
संस्कृत भूल बैठे
संस्कृति भूल बैठे.
नियम ,पोशाक ,खान -पान ,बदल चुके
चोटी खो बैठे .
न सिख बदला, न मुग़ल बदला , न ईसाई बदले.
हिन्दू अर्थात सनातनी
अपने आचार छोड़ बैठे.
अपनी प्रतिभा खो बैठे.
इतिहास में
ऐतिहासिक कहानियों में
नाटक में
सिकंदर के आक्रमण काल से
आज तक
भरी पडी है .
पैसे पद ख़िताब ,
ब्राह्मण सब आचार भूल बैठे ,
संस्कृत भूल बैठे
संस्कृति भूल बैठे.
नियम ,पोशाक ,खान -पान ,बदल चुके
चोटी खो बैठे .
न सिख बदला, न मुग़ल बदला , न ईसाई बदले.
हिन्दू अर्थात सनातनी
अपने आचार छोड़ बैठे.
अपनी प्रतिभा खो बैठे.
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