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Sunday, January 20, 2019

नई ज़िंदगी (मु )


नई ज़िंदगी (मु )
नई सी जिंदगी घुलना लगी,
हाँ, प्यार, सेवा, जन कल्याण.
हिंसा का अवतार अशोक,
कलिंग के निर्दय युद्ध  के बाद
क्रूर अशोक  की जिंदगी में
 नई सी जिंदगी घुलना लगी.
 सिद्धार्थ  सुखी सिद्धार्थ
रोगी, शव, कोढी देख
दुखी   त्यागी संन्यासी  राजकुमार,
जिंदगी में इक नई-सी
जिंदगी घने लगी.
सिद्धार्थ  बुद्ध  बन
भारत के चार चाँद बन
जिंदगी में इक ऩई. सी जिंदगी
अगजग में चमककर घुलना लगी.
 थप्पड पडा दक्षिण  ईपत्रिका में
वह मोहनदास की जिंदगी में इक
नई सी जिंदगी  घुलने लगी.
बना विश्ववंद्य  महात्मा.
गांधी बनिया भूल
सब अपने नाम के साथ
खान  हो या ब्राह्मण  गांधी जोड
गांधी वंश को  छिपा जिंदगी में
 इक नई सी ज़िंदगी घुलना लगी .
नश्वर जग में रत्नाकर वाल्मीकि  बन
जिंदगी में इक नई सी रामायण
जिंदगी घुलना लगी.
जिंदगी नहीं हाडमाँस के तनसे
लिपटकर रहना, वह तो नश्वर
आँखें  लाल हुई पत्नी को वचन
तुससीदास को अवधि के शशि बनाया.
 महानों की  जिंदगी के अध्ययन  से
कइयों की जिंदगी  में
इक नई जिंदगी घुलना लगी.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन 

छंदबद्ध कविता -निकली यह सांत्वना.(मु )

सब मित्रों  को सप्रेम प्रणाम.
सब को बहुत बहुत धन्यवाद.
कविता नियमानुसार  कुछ
लिखने के प्रयास में
निकली  यह सांत्वना.
**************
छंदबद्ध  कविता -निकली  यह सांत्वना.(मु ) मात्रा गिना ,
शब्द खोजा ,
समय तो हुआ
 बेकार.
मन के विचार 
प्रकट में
छंदबद्ध 
खोजना बेकार.

दोहा  ,चौपाई शब्द
कोई स्नातकोत्तर,  शोधार्थी  न करते.

मन लगाता नव कविता  है कूँ में.

ईश्वरीय  देन कविता,
जैसे आदी कवि, तुलसी, कबीर
तपस्वी, अनपढ की रचना,सतसंग
बने अमर सूर सूर तुलसी शशि.

 पढ बन जाते स्नातक स्नातकोत्तर.

तमिल कवि कण्णदासन, वर कवि भारती सम
न कवि बना स्नातक स्नातकोत्तर  डाक्टरेट.

उपाधियां पाना अन्यों की रचना खा ,
कै करना .
जग विख्यात  कोई आविष्कर्ता,
 धनी  आदि ने न पायी
उपाधी.
चायवाले  की चतुराई  न स्नातकोत्तर  को.

तमिलनाडु  के शिक्षा  मंत्री एम. ए.,
मुख्य मंत्री करूणा, यम.जी.आर,जया  न स्नातक.
सोचते विचारे पता चलता
सबहीं  नचावत राम गोसाई.
  माफ करना  मैं हूँ
 अधजल गगरी छलकत जाय.
  वेतन पाने पाया एम. ए,
 वेदना में सांत्वना ऐसा बकना -संभलना.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन

Saturday, January 19, 2019

प्रेम प्रस्ताव. (मु )

सबको नमस्कार.
संचालक  को नमस्कार.

शीर्षक :-
प्रेम प्रस्ताव :
जब मैं बच्चा था
 तभी लड़कियों से
बोलना मना ू.
दादाजी कहते,
लडका लडकी
बात करना मना.

आज प्रेम  प्रस्ताव  के लिए
न कबूतर, न हंस.
सीधे मिलना,  प्रस्ताव  रखना,
न मना तो उच्छवास.
पत्र लिखना पुराना हो गया.
मोबाइल है सीधे मुख देखने भय है
तो मोबाइल में बुलाना.
सरलतम प्रेम प्रस्ताव.
जूतों का मार सहज.
गाली तो मधुर.
अंग्रेज़ी  शिक्षा,  लव लौ  .
केवल प्रस्ताव  रखने साहस चाहिए.
मोबिल चाहिए.
अमीरी का प्रस्ताव
गरीबी का प्रस्ताव
सब कुछ  आसान.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन

खुदा की परेशानी (मु )

खुदा  की परेशानी (मु )

रहम बेरहम के लोग.
अगजग में  हैं तो
किसका कसर.
खुदा?
मनुष्य  को   बुद्धि  देकर
खुदा खुद  परेशानी में.

Thursday, January 17, 2019

हिंदी प्रचार (मु )


हिंदी प्रचार (मु )
हम ने पढी है हिंदी, 
दादा, नाना, नानी, दादी
जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में
सक्रिय भाग लिया, 
और गाँधीजी की हर बात को
अक्षरशः पालन किया. 
आजादी के बाद को नेता
अंग्रेज़ी के पटु, प्रवीण, 
विलायत की डिग्रियाँ,
हिंदी विरोध, 
इन्होंने हिंदी के विकास के लिए 
आम जनता में प्रचार करने 
कुछ नहीं किया, 
तमिलनाडु के प्रचारक 
जीविकोपार्जन में पैसा कमाने 
स्वेच्छा से हिंदी प्रचार में लगे हैं 
जिनसे हिंदी परीक्षार्थी संख्या बढी. 
पर केंद्र राज्य सरकार का समर्थन नहीं. 
केंद्र सरकार के हिंदी अधिकारियों के वेतन 
और तमिलनाडु के प्रचारक का त्याग 
किसी को पता नहीं. 
आजादी के सत्तर साल में 
प्रतीकों द्वारा ही हिंदी का विकास हुआ. 
प्रबोध, प्रज्ञा, प्रवीण के द्वारा 
कितने हिंदी कर्मचारी पता नहीं, 
कई लाख करोड आराम से पानेवाला वर्ग. 
पर प्रचारक 
चालीस छात्रों को परीक्षा में बिठाने
कितना कष्ट उठाये हैं, 
खुद दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के 
चुनाव जीते प्रतिनिधि नहीं जानते. 
वे आमदनी बढाना बी. एड, एम. यह, 
अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल मांगी ध्यान देने लगे हैं
प्रचारक को प्रोत्साहन देते
कमिशन एजंट का, 
उनसे, छात्रों से वसूल कर 100 करोड की इमारतें, 
न पंरचारकों के जीविकोपार्जन या आर्थिक सहायता के लिए 10 करोड की पूँजी. 
इस पर सवाल किया तो 
मुझपर व्यंग्य. 
सोचिए, और सेवा सच्चे प्रचारकों को 
कमिशन एजंट न बनाना. 
यह हिंदी प्रचार पवित्र क्षेत्र 
अपवित्रीकरण में न लगना.

Saturday, January 12, 2019

सबहीं नचावत रामगोसाई (मु)

सबको सविनय सादर प्रणाम।

आज के चिंतन
आस्तिक चिंतन
भगवान के बारे में कितने विचार ?
है कि नहीं ?
प्रत्यक्ष दिखा सकते हैं ?
सचमुच भगवान दयालू है ?
हीरे के मुकुट पहनानेवाले
भाग्यवानों के साथ है तो
दुखी लोगों के साथ कौन है ?
उनकी सृष्टियों में भेद भाव क्यों ?
अमीर के यहाँ जन्म लेने से
मानव सुखी है क्या ?
गुरु दक्षिणा देने से ज्ञान मिल जाता है क्या ?
ज्ञानी सब अमीर है क्या ?
गुरु के स्मरण और अभ्यास से
अंगूठा दान देने का छल-कपट।
राजकुमार सिद्धार्थ दुखी ,
सर्वस्व त्यागकर अमीरी।
धन ,नौकर चाकर पद
आदि से सुख नहीं।
महाराज दशरथ दुखी ,
कर्म फल पुत्र शोक।

गरीब के यहाँ जन्म लेने से दुखी है क्या ?
मैं कभी कभी देखता हूँ
फुट पात का बच्चा
अंतर और बाह्य मन से
पवित्र हँसी हँसते हैं।
अमीर के बच्चे केवल हँसने के लिए
डरता है , हँसने बराबरी देखता है.
मान -अपमान की चिंता करता हैं।
स्वस्थ शारीर के गरीब
दीर्घ रोगी के अमीर
बुद्धि के गरीब ,
दिल से गरीब ,
आचार व्यवहार में गरीब ,
मान-सम्मान में गरीब
सभी में गरीबी ही देखते हैं।

धन बिन बड़े पद ,
धनी के पद का
प्रयत्न असफल।
चुप कोने में पागल सा बैठे
चिथड़े के सिद्ध पुरुष का सम्मान।
अमानवीय अपूर्व सृष्टियाँ
हर बात मानव ज्ञान से पारकर
घटनाएँ ,देख समझ ,
अंतिम काल में
भगवान को नास्तिक भी
मान ही लेता है.
भेद भाव की सृष्टि कर
तमाशा देखने में सानंद होते सर्वेश्वर।
उनको समझने के ही प्रयत्न में
बिना समझे ही हो जाता जीवन अंत.
सार्थक -निरर्थक जीवन में
मनुष्य का प्रयत्न कम।
सर्वेश्वर का हाथ बड़ा.
स्वरचित ,स्वचिंतक यस.अनंतकृष्णन

विवाह का विवाद (मु )

तमिलनाडु  में तो विवाह के दिन,
मंगल सूत्र  दामाद वधु के गले में
बाँधते  तक तनाव ही तनाव।

दहेज का बोझ,
दो दिन की  शादी
अवकाश ग्रहण करने के बाद भी
कर्जा चुकाने  दौड धूप।

विवाह कितना  कौतूहल
उतना मध्य वर्ग  के लिए  नहीं।

मैं बाहरी हँसी,
भीतरी रुदन
अभी याद आती,
रीढकी हड्डी।

कुर्सी  की तरह खरीदना.

कितनी  प्रौढ कन्याएँ,

जवहरव्रत का देश

कितने प्रौढ वर.

विवाह का आनंद
अंबानी को भी नहीं
बेटी की विदा में बहे आँसू.

बहू की बिदा अलग कहानी.
विवाह की बातें
नकारात्मक  सकारात्मक
सम लिंग विवाह की भी चर्चा.

न्यायानुसार फैसले के मुताबिक
पर पुरूष पर नारी गमन
अपराध नहीं,
अब सीता होती तो राम जेल में.

एक विषय को छानबीन करें तो
फल दुःष्फल  दोनों पर विवाद.


यही विवाह दस साल की उम्र मे होता तो   ..

अब एक महिला डाक्टर ने बताया
शादी मेरी क्या हुई,
पैंतालीस  साल की उम्र में

केवल आनंद पक्ष कितने लोग,
दुखद पक्ष  के कितने लोग.