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Saturday, January 12, 2019

सबहीं नचावत रामगोसाई (मु)

सबको सविनय सादर प्रणाम।

आज के चिंतन
आस्तिक चिंतन
भगवान के बारे में कितने विचार ?
है कि नहीं ?
प्रत्यक्ष दिखा सकते हैं ?
सचमुच भगवान दयालू है ?
हीरे के मुकुट पहनानेवाले
भाग्यवानों के साथ है तो
दुखी लोगों के साथ कौन है ?
उनकी सृष्टियों में भेद भाव क्यों ?
अमीर के यहाँ जन्म लेने से
मानव सुखी है क्या ?
गुरु दक्षिणा देने से ज्ञान मिल जाता है क्या ?
ज्ञानी सब अमीर है क्या ?
गुरु के स्मरण और अभ्यास से
अंगूठा दान देने का छल-कपट।
राजकुमार सिद्धार्थ दुखी ,
सर्वस्व त्यागकर अमीरी।
धन ,नौकर चाकर पद
आदि से सुख नहीं।
महाराज दशरथ दुखी ,
कर्म फल पुत्र शोक।

गरीब के यहाँ जन्म लेने से दुखी है क्या ?
मैं कभी कभी देखता हूँ
फुट पात का बच्चा
अंतर और बाह्य मन से
पवित्र हँसी हँसते हैं।
अमीर के बच्चे केवल हँसने के लिए
डरता है , हँसने बराबरी देखता है.
मान -अपमान की चिंता करता हैं।
स्वस्थ शारीर के गरीब
दीर्घ रोगी के अमीर
बुद्धि के गरीब ,
दिल से गरीब ,
आचार व्यवहार में गरीब ,
मान-सम्मान में गरीब
सभी में गरीबी ही देखते हैं।

धन बिन बड़े पद ,
धनी के पद का
प्रयत्न असफल।
चुप कोने में पागल सा बैठे
चिथड़े के सिद्ध पुरुष का सम्मान।
अमानवीय अपूर्व सृष्टियाँ
हर बात मानव ज्ञान से पारकर
घटनाएँ ,देख समझ ,
अंतिम काल में
भगवान को नास्तिक भी
मान ही लेता है.
भेद भाव की सृष्टि कर
तमाशा देखने में सानंद होते सर्वेश्वर।
उनको समझने के ही प्रयत्न में
बिना समझे ही हो जाता जीवन अंत.
सार्थक -निरर्थक जीवन में
मनुष्य का प्रयत्न कम।
सर्वेश्वर का हाथ बड़ा.
स्वरचित ,स्वचिंतक यस.अनंतकृष्णन

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