Thursday, January 10, 2019

पाप-पुण्य (मु )

पाप -पुण्य पर विचार करो।

पापी  के लिए पाप कार्य में संतोष।

पुण्यात्मा  के लिए पाप कर्म से असंतोष।

भगवान की सृष्टियों  का अध्ययन किया  तो

बाघ  के  हिरन का शिकार
 उसके लिए
ईश्वरीय  देन।

इसे देख पछताते हुए
बकरी का  माँस  खरीदने जाने वाला
बुद्धि  जीवी मनुष्य  का काम
पाप  है  या पुण्य ?

सोचिये !
 अभिमन्यु का वध पाप है  तो
 छल से जयद्रध का  वध पुण्य कैसे ?
कर्ण  का वध  पाप है  या  पुण्य ?

नरसिंहावतार   पुण्य है ,
वध भी स्वीकार्य है।

द्रोण  का वध ?
यही निष्कर्ष पाप या पुण्य
सब के मूल में एक  अज्ञात शक्ति।

तभी कहते हैं ऋषी मूल ,
 नदी मूल न देखना।

सबहीं  नचावत  राम गोसाई।

इसमें पाप क्या ? पुण्य क्या ?

पैसे लेकर वोट देना पाप।
भ्रष्टाचारियों को वोट देना पाप।
भ्रष्टाचारियों को सांसद बनना -बनाना
सिरोरेखा  या  भाग्यवाद पता नहीं।

समझ में  नहीं आता
पाप क्या ?पुण्य क्या?

पाप -पुण्य
दोनों की सृष्टि का दोष
किसका है  ?
अनजाने में दुर्घटनाएं ,
मृत्यु ,रोग ,असाध्य रोग
पाप -पुण्य  का फल कहते ;
पर महानों की मृत्यु  अल्प  आयु में ?
बोलिये पाप क्या ?पुण्य क्या ?

स्वरचित ,स्वचिंतक :   यस. अनंतकृष्णन


No comments:

Post a Comment