आंडाल रचित तिरुप्पावै. 19.
भगवान होने पर
उनको भी लौकिक आनंद और नींद जाने न देता.
आंडाल कृष्ण के जगाती है...
दीपस्तंभ जल रहे हैं,
हाथी दाँत के पलंग पर कोमल
शय्या पर
सो रहे हैं.
नप्पिननै के स्तनभार पर सिर रख लेटे हुए
प्रफुल्लित छाती वाले कृष्ण जागो.
काजल लगाई नप्पिननै! कब तक अपने पति को
सोने दोगी.पल पर भी कृष्ण के संग से हटना न चाहती.
यह धर्म नहीं है. सहक्रिया भी नहीं है.
उनको जगाने दो. हमको भी दर्शन करने दो .
तिरुप्पावै आंडाल 20
श्री कृष्ण! तुम कलियुग के देव हो. तीन तीस करोड दोनों के होम पर भी भक्तों के दुख दूर करने त्वरत गति से आकर रहनेवाले हरी! जल्दी जागो.
तुम सशक्त हो., नेक हों, शतृको भयभीत करनेवाले हो, पवित्र हो. जाहो. स्वर्ण कलश सम स्तन, पतली कमर, मँगाया रंग के ओंठवाली नप्पिन्नै! तुम लक्ष्मी सम हो. तुमभी जागो.
तुम हमें चूडियाँ, पंखा, दर्पण आदि देकर तुम्हारे पति कृष्ण तो भी देकर, अनुग्रह की वर्षा करो.
पति पत्नी दोनों को प्रशंसा कर जगाना आँडाल की चतुराई भक्ति श्रद्धा स्तुत्य है
भगवान होने पर
उनको भी लौकिक आनंद और नींद जाने न देता.
आंडाल कृष्ण के जगाती है...
दीपस्तंभ जल रहे हैं,
हाथी दाँत के पलंग पर कोमल
शय्या पर
सो रहे हैं.
नप्पिननै के स्तनभार पर सिर रख लेटे हुए
प्रफुल्लित छाती वाले कृष्ण जागो.
काजल लगाई नप्पिननै! कब तक अपने पति को
सोने दोगी.पल पर भी कृष्ण के संग से हटना न चाहती.
यह धर्म नहीं है. सहक्रिया भी नहीं है.
उनको जगाने दो. हमको भी दर्शन करने दो .
तिरुप्पावै आंडाल 20
श्री कृष्ण! तुम कलियुग के देव हो. तीन तीस करोड दोनों के होम पर भी भक्तों के दुख दूर करने त्वरत गति से आकर रहनेवाले हरी! जल्दी जागो.
तुम सशक्त हो., नेक हों, शतृको भयभीत करनेवाले हो, पवित्र हो. जाहो. स्वर्ण कलश सम स्तन, पतली कमर, मँगाया रंग के ओंठवाली नप्पिन्नै! तुम लक्ष्मी सम हो. तुमभी जागो.
तुम हमें चूडियाँ, पंखा, दर्पण आदि देकर तुम्हारे पति कृष्ण तो भी देकर, अनुग्रह की वर्षा करो.
पति पत्नी दोनों को प्रशंसा कर जगाना आँडाल की चतुराई भक्ति श्रद्धा स्तुत्य है
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