खलनायक न हो तो...
हमारा जन्म केवल धन कमाने,
जमा करने, मर जाने के उद्देश्य से नहीं हुआ,
कुछ राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय विस्तृत काम के लिए हुआ है.
हम अपने नाते रिश्ते परिवार के लिए ही जीना चाहते हैं.
परिवार के लिए जीना चाहते हैं.
कुछ लूटने के लिए जीना चाहते हैं.
हमारा दिल संकीर्ण हो जाता है.
दुनिया की गतिविधियों के देखने पर मुझे
संसार में रहकर दूर एकांत में रहना अच्छा लगता है.
ईमानदारी 100प्रतिशत
ईमानदारी केवल हरिश्चंद्र की
कहानी में हैं.
रामावतार में नहीं,
कृष्णावतार में नहीं,
कुरूक्षेत्र युद्ध धर्म युद्ध कहना
उचित है ही नहीं.
क्यों? रामायण की कहानी कैसी है?
राम का व्यक्तिगत जीवन में अशांति के काले बादल.
कृष्ण को अपने प्राण बचाने की चिंता.
कुरु क्षेत्र युद्ध कर्ण को कुंती
प्रथम मिलन में ही
अपना परिचय कर्ण को देती तो
महाभारत कथा है ही नहीं .
लडकियों को उठा लाना लाकर शादी,
अवैध संबंध,
बच्चे फेंकना,
नवजात शिशु के साथ
निर्दय व्यवहार,
कबीर तालाब के किनारे तो सीता भूमि के अंदर,
तुलसी की अशुभ नक्षत्र,
सीता का त्याग,
रावण का सीता मोह
संसार में खलनायकों का प्रभाव.
हिरण्य कश्यप का
अपने पुत्र के साथ की गई क्रूरता..
खलनायक न तो संसार नहीं.
आज मन में कई बातें.
..मुझे संसार से बहुत दूर एकांत ही ओर ले जा रही है.
समाज के व्यवहार देखना ही नाटक है.
चित्रपट है.
अंत में यही निष्कर्ष
सबहीं नचावत राम गोसाई.
हमारा जन्म केवल धन कमाने,
जमा करने, मर जाने के उद्देश्य से नहीं हुआ,
कुछ राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय विस्तृत काम के लिए हुआ है.
हम अपने नाते रिश्ते परिवार के लिए ही जीना चाहते हैं.
परिवार के लिए जीना चाहते हैं.
कुछ लूटने के लिए जीना चाहते हैं.
हमारा दिल संकीर्ण हो जाता है.
दुनिया की गतिविधियों के देखने पर मुझे
संसार में रहकर दूर एकांत में रहना अच्छा लगता है.
ईमानदारी 100प्रतिशत
ईमानदारी केवल हरिश्चंद्र की
कहानी में हैं.
रामावतार में नहीं,
कृष्णावतार में नहीं,
कुरूक्षेत्र युद्ध धर्म युद्ध कहना
उचित है ही नहीं.
क्यों? रामायण की कहानी कैसी है?
राम का व्यक्तिगत जीवन में अशांति के काले बादल.
कृष्ण को अपने प्राण बचाने की चिंता.
कुरु क्षेत्र युद्ध कर्ण को कुंती
प्रथम मिलन में ही
अपना परिचय कर्ण को देती तो
महाभारत कथा है ही नहीं .
लडकियों को उठा लाना लाकर शादी,
अवैध संबंध,
बच्चे फेंकना,
नवजात शिशु के साथ
निर्दय व्यवहार,
कबीर तालाब के किनारे तो सीता भूमि के अंदर,
तुलसी की अशुभ नक्षत्र,
सीता का त्याग,
रावण का सीता मोह
संसार में खलनायकों का प्रभाव.
हिरण्य कश्यप का
अपने पुत्र के साथ की गई क्रूरता..
खलनायक न तो संसार नहीं.
आज मन में कई बातें.
..मुझे संसार से बहुत दूर एकांत ही ओर ले जा रही है.
समाज के व्यवहार देखना ही नाटक है.
चित्रपट है.
अंत में यही निष्कर्ष
सबहीं नचावत राम गोसाई.
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