Sunday, January 20, 2019

छंदबद्ध कविता -निकली यह सांत्वना.(मु )

सब मित्रों  को सप्रेम प्रणाम.
सब को बहुत बहुत धन्यवाद.
कविता नियमानुसार  कुछ
लिखने के प्रयास में
निकली  यह सांत्वना.
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छंदबद्ध  कविता -निकली  यह सांत्वना.(मु ) मात्रा गिना ,
शब्द खोजा ,
समय तो हुआ
 बेकार.
मन के विचार 
प्रकट में
छंदबद्ध 
खोजना बेकार.

दोहा  ,चौपाई शब्द
कोई स्नातकोत्तर,  शोधार्थी  न करते.

मन लगाता नव कविता  है कूँ में.

ईश्वरीय  देन कविता,
जैसे आदी कवि, तुलसी, कबीर
तपस्वी, अनपढ की रचना,सतसंग
बने अमर सूर सूर तुलसी शशि.

 पढ बन जाते स्नातक स्नातकोत्तर.

तमिल कवि कण्णदासन, वर कवि भारती सम
न कवि बना स्नातक स्नातकोत्तर  डाक्टरेट.

उपाधियां पाना अन्यों की रचना खा ,
कै करना .
जग विख्यात  कोई आविष्कर्ता,
 धनी  आदि ने न पायी
उपाधी.
चायवाले  की चतुराई  न स्नातकोत्तर  को.

तमिलनाडु  के शिक्षा  मंत्री एम. ए.,
मुख्य मंत्री करूणा, यम.जी.आर,जया  न स्नातक.
सोचते विचारे पता चलता
सबहीं  नचावत राम गोसाई.
  माफ करना  मैं हूँ
 अधजल गगरी छलकत जाय.
  वेतन पाने पाया एम. ए,
 वेदना में सांत्वना ऐसा बकना -संभलना.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन

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