लिखो। कुछ न कुछ।
नमस्ते। वणक्कम !
लिखो। कुछ न कुछ।
वह कुछ का कुछ हो जाएगा।
कुछ और अर्थ निकलेगा ,
और और लोगों तक फैलेगा
कुछ और संदेश मिलेंगे।
और कुछ कल्पनाएँ बढ़ेंगी।
कल्पना सपना बनेंगी
सपना साकार होंगे।
और कुछ करेंगे
समाज हित राष्ट हित ,
पहुँचाएँगी उन सब में बाधाएँ
मज़हबी नफरत और लड़ाइयाँ।
लड़ाई ईश्वर के नाम
कलह ,मानवता मर जाएंगी।
ईश्वर हैं ,पर ईश्वर के नाम लेकर
लड़ाना भिड़ाना बेचैनी का मार्ग।
ज्ञान चक्षु प्राप्त मनुष्य
ईश्वर को समझने में हो जाता
अज्ञानी अंधा।
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