Wednesday, January 2, 2019

तिरुप्पावै.. 16, 17

तिरुप्पावै... 16.17

आंडाल अपनी  सभी सखियों को जगाने  के बाद  स्नान करके 
नंद के महल पहुँची. 
द्वार पालक से महल में प्रवेश  करने की  प्रार्थना  करती हैं. 
सुंदर तोरण वाले महल के द्वार रक्षक! 
हम ग्वाल बालिकाओं के लिए दरवाजा खोलो.

श्यामवर्ण के कृष्ण  ने हमें छोटा ढोल देने का वचन दिया है. उसे लेने के लिए  स्नान करके आयी हैं. उनको जगाने गीत गानेवाली  हैं. हमें अंदर जाने से मना न करना. महल का द्वार खेलकर हमें अंदर जाने दो.
आंडाल तिरुप्पावै.. 17.

पंद्रह गीत तक आंडाल 
सखियों को जगाती रही. 
सब नही चुकी हैं. 
श्री कृष्ण से मिलने महल के द्वार 
पहुँचकर नंद, यशोधा,श्री कृष्ण 
आदि को जगाती है... 
हमारे दानशील, नेता नंद जी! जागिए.
आपको वस्त्र, खाना, नीर आदि को 
दूसरों को इतना देते हैं, सब का मन संतोष हो जाता है.  आप उठाए. 
लता  सी कमर वाली 
हमारी  नेत्री यशोधाजी, 
मंगलदायक दीप सा उज़्ज़्वल  सूरतवाली  !आप उठिए! 
 आकाश फाड़कर  जग नापे 
देवों के नेता  श्री कृष्ण जागो.
स्वर्ण घुंघुरु पहने लक्ष्मी 
पुत्र बलराम जागो. 
तुम और  तुम्हारा  भाई  दोनों उठकर

हमको दर्शन दीजिए.

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