Thursday, January 3, 2019

पाठशाला,मधुशाला (मु )

सब को सादर प्रणाम.
वणक्कम.
भारतीयता, भारतीय  भाषाओं  को भारतीय  नहीं चाहते.
विदेशी चाहते हैं.
विदेशी  सब  को चाहते हैं,
सनातन धर्म को चाहते हैं,
अमेरिका चर्च तोडकर नहीं,
100करोड डालर में खरीदकर
मंदिर बनवा रहे हैं.
इंग्लैंड  के राजकुमार  हिंदु धर्म को
इतना चाहते  हैं कि चंदन तिलक फूल माला पहनाकर,
अगले जन्म हो तो हिंदू परिवार में जन्म लेना चाहते हैं.
  मगर भारतीय अर्धनग्न वस्त्र,
जनवरी पहली तारीख को नशे में नाचना,
तलाक मुकद्दमा, बलात्कार का समर्थन,
आदी में लगे हैं, 
चेन्नई  में मात्र सात नव वर्ष मनाने में मर गये, 270 घायल.

 अजब की बात है
तमिल हमारी जान, प्रेमिका, कन्या, माता ऐसे 
दुलारनेवाले नेता, संस्कृत के विरोधी  के देश में
तमिल माध्यम के स्कूल में पढने  नहीं आते.
विद्यार्थी  संख्या कम होने से सरकारी स्कूल बंद हो रहा है,
वहाँ तीन चार निजी अंग्रेजी  स्कूल खुल रहा है.
यल. के़जी  दान पचास हजार लेते हैं.
चार छात्र दान से भी कम
एक अध्यापक  का एक साल वेतन.
वह भी कई शर्त लगाकर.

 मातृभाषा  माध्यम स्कूल बंद, पर
मधुशाला अधिक.
जैसे मातृभाषा  माध्यम को

जनता बंद करने में सफल है तो
जनता मधुशाला की ओर न जाने पर
मधुशाला बंद हो जाएगी.
 जनता करेगी क्या?
 पैसेवालों को ही चुनाव जीत का
 मेरी मातृभूमि  में मेरा स्वप्न
दिवा या करके का पता नहीं.

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