तिरुप्पावै... 25
आंडाल कृत (दक्षिण की मीरा.)
सरल भावार्थ.
एक के गर्भ में जन्म लेकर,(देवकी )
दूसरे के पुत्र बन पले श्री कृष्ण!(यशोधा)
कंस से छिपकर ही
उसके रखा भयभीत!
तेरेअनुग्रह मिलें तो
तेरा यशोगान करेंगी.
तेरी वीरता की प्रशंसा में
गाती नहीं थकती.
तेरा दर्शन से
हमारे दुख भी होगा दूर.
हम आनंद मनाएँगे.
हिंदी अनुवाद आंडाल तिरुप्पावै. 26.
हे कृष्ण भक्तवत्सल!
नील पन्ने रंग के तन,
दया पूर्ण मन!
बोधि पत्ते पर शयनित कृष्ण!
मार्गशीर्ष
महीने के व्रत के लिए
जग विधारकशंख ध्वनी बजाओ।
हमें
बजने ढोल,
वाम तिरची शंख,
तेरे प्रशंसक के साधु
मंगल दीप,
तोरण प्रदान कर अनुग्रह कर.
यस. अनंतकृष्णन ,सरल अनुवादक
आंडाल कृत (दक्षिण की मीरा.)
सरल भावार्थ.
एक के गर्भ में जन्म लेकर,(देवकी )
दूसरे के पुत्र बन पले श्री कृष्ण!(यशोधा)
कंस से छिपकर ही
उसके रखा भयभीत!
तेरेअनुग्रह मिलें तो
तेरा यशोगान करेंगी.
तेरी वीरता की प्रशंसा में
गाती नहीं थकती.
तेरा दर्शन से
हमारे दुख भी होगा दूर.
हम आनंद मनाएँगे.
हिंदी अनुवाद आंडाल तिरुप्पावै. 26.
हे कृष्ण भक्तवत्सल!
नील पन्ने रंग के तन,
दया पूर्ण मन!
बोधि पत्ते पर शयनित कृष्ण!
मार्गशीर्ष
महीने के व्रत के लिए
जग विधारकशंख ध्वनी बजाओ।
हमें
बजने ढोल,
वाम तिरची शंख,
तेरे प्रशंसक के साधु
मंगल दीप,
तोरण प्रदान कर अनुग्रह कर.
यस. अनंतकृष्णन ,सरल अनुवादक
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