आँधियाँ
          2. गम की बरसात
          3. जिंदगी की धूप
नमस्ते।  वणक्कम ! तमिलनाडु के हिंदी प्रचारक 
१९६६-६७ --आँधियाँ  चली तमिलनाडु में ,
         कौन-सी आँधी  हिंदी विरोध की आँधी। 
         कालेज -स्कूल के छात्र सत्ता पकड़ने अस्त्र -शस्त्र  बने 
        निर्दयी राजनीती कुर्सी पकड़ने आंदोलन की चरम सीमा 
        रेल जले ,बसें जली ,पुलिस की गोलियों के शिकार बने 
       गम की बरसात ,लाठी का मार.
       बस ,चुनाव में ईमानदार नेता हार गए ,
      राष्ट्रीय चेतना को लेकर आंधी समाप्त।
     प्रांतीय द्रमुक दल ,फिर अण्णा द्रमुख दल। 
     तभी मैं  हिंदी प्रचार में लगा.
      हर चुनाव के समय यह आंधी आती ,
       आँधी  के बीच या बाद ऐसे नहर-नाले -नदी 
        हिंदी के स्वाद लेकर बही ,
       द्रमुक नेता अपने वारिश को 
     सांसद - मंत्री बनाने हिंदी सीखी ,
    पर  जनता को सीखने नशीन देते। 
     संस्कृत का विरोध ,पर उनके दाल का चिन्ह "उदय सूर्य।
 अब ऐसी आँधी  की प्रतीक्षा में ,
  जिससे उनके छद्म वेश /दुरंगी चाल का मुखड़ा उड़ जाएँ।
  आँधी  से हानी पर भला होती ही है। 
  अब सारे दक्षिण में तमिलनाडु में ही 
  बिना केंद्र के या राज्य के समर्थन बिन 
   दो लाख से ज्यादा जनता की प्यारी बन गयी हिंदी।  हिंदी !
एस। अनंत कृष्णन ,चेन्नै। 
गम की बरसात 
  तमिलनाडु में देव विरोध के गम की बरसात। 
   हजारों मूर्तियाँ  ई। वे.रामसामी नायक्कर की 
  भगवान नहीं के नारे के साथ.
   भगवान कहनेवाला अयोग्य ,
   भगवान को माननेवाला बेवकूफ। 
    अंग्रेज़ी  पढ़ेंगे भले ही तमिल माध्यम के स्कूलों का बंद  हो। 
     हिंदी के विरुद्ध प्रांतीय दलों का नारा।
     उनके साथ राष्ट्रीय दल कांग्रेस।
     अब भारतीय जनता की शिक्षा नीति के विरुद्ध ,
      किसान सुधार बिल के विरुद्ध वर्षा।
      यही  तमिलनाडु में  गम की बरसात।
जिंदगी धूप। 
ईश्वर की लीला या मानव के पाप। 
पता नहीं कोराना  का मरुभूमि धूप। 
अस्पतालों में दिवा लूट ,
व्यवसायों में मंद ,शिक्षालय बंद। 
टैक्सी वालों का लूट ,सरकारी यातायात बंद.
मनमाना दाम ,पुलिस का कठोर व्यवहार।
जिंदगी धूप  अति गरम ,
कब होगा ठण्ड पता नहीं।
सर्वेश्वर से प्रार्थना ,धुप को ठंडा करें। 
करना का दहकता धूप मिट जाएँ। 
स्वरचित -स्वचिंतक -एस। अनंतकृष्णन ,चेन्नै