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Wednesday, December 30, 2020

मौसम

 नमस्ते वणक्कम।

३०-१२-२०२०

साहित्य संगम संस्थान  पंजाब इकाई

मौसम .


  मौसमों का बदलना,

  पसंद हो या न हो,

  हर मौसम के चाहक

 अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए।

 शक्कर और नमक के व्यापारी

 वर्षा नहीं चाहते। गर्मी चाहते।

  गरम कपड़े के व्यापारी ,

  सर्दी  चाहते, गर्मी नहीं।

  स्कूल के बच्चे वर्षा चाहते

  बार बार  स्कूल  की छुट्टी।।

   मरुभूमि और ध्रुव प्रदेश।

   मौसम की चिंता नहीं।

   छात्रों के लिए 

   मार्च-अप्रैल वार्षिक

   परीक्षा का मौसम।।

   अनपढ़ों के लिए  भय।।

   पढ कर जो परीक्षा देने तैयार हैं,

    उनके लिए आनंद का मौसम।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

 

  

   

 

  

  

  

 



 


   

 


  

हाथी

 नमस्ते। वणक्कम।

 

माँ हाथी, बच्चा हाथी।

 अति प्रिय ,पर कुमुकी हाथी।

  अलग ले आने में समर्थ।

   देखने में बड़ा हाथी,

  पर प्यार  का प्यासा,

 पालतू हाथी,

 सरकस हाथी,

 पूजा की घंटी बजाता।

  दोनों पैरों से नाचता।

 एक स्कूल पर खड़ा हो जाता।।

 जंगली हाथी और सनकी 

 अति भयंकर जान।।

 शहतीर उठाने में मदद।

 पागल हो जाता तो शहतीर

उठाकर फेंकने माउत को भी

मारने तैयार।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

Tuesday, December 29, 2020

माया

 नमस्ते। நமஸ்தே.


वणक्कम।। வணக்கம்.


 माया ।शैतान।  மாயை . சைத்தான்.


வணக்கம்.நமஸ்தே!


தமிழும் நானே.ஹிந்தியும் நானே.


கவி குடும்பம்..कवि कुटुंब।


இன்றைய தலைப்பு.


शीर्षक :माया-योगमाया ।மாயை யோகமாயை.


6-12-2020.


असली माया।। உண்மையான மாயை


नकली माया।। பொய்யான மாயை.


रंग माया। வண்ண மாயை.


रंगीली माया।।  கேளிக்கை மாயை


चमकती माया।। ஒளிரும் மாயை.


नर-नारी, प्रेमी-प्रेमिका माया।। ஆண்-பெண்,காதலன்-காதலி மாயை


धन माया, अहं माया।। தன மாயை,ஆணவமாயை


लोभ माया ,सत्ता माया,  பேராசை மாயை,


ஆட்சி மாயை


पद माया, अधिकार माया।। பதவி மாயை ,அதிகாரமாயை.


न जाने विविध माया।। அறியாத பல வித மாயைகள்.


माया से बचना अति मुश्किल।। மாயையில் இருந்து தப்பிப்பது அதிக கடினம்.


माया महाठगिनी  மாயை மஹா மோசக்காரி


 त्रिदेव भी न बचे।।  மூன்று. தேவர்களும் தப்பவில்லை.


मामूली मानव सद्य: फल के लोभी।।


சாதாரண மனிதன் உடனடி பலன் 


அடையும் பேராசைக்காரன்.


परिणाम असाध्य दुखी ईश्वरीय दंड।।


பலன் தீர்க்க முடியாத 


கடவுளின் தண்டனை.


+++++++++++++++++++


 योगमाया   योग साधना ध्यान। 


 யோகமாயைகடவுள் விருப்பம்- யோகசாதனை -தியானம்.


कितने करते वे सुखी।।


செய்கின்ற அளவிற்கு சுகம் அதிகரிக்கும்.


செய்யாத அளவிற்கு துன்பம்.


அதனால் மனிதனால் 


மாயையில் சிக்கி


மனிதன்  சொல்கிறான்--


உலகம் இன்னல் மயமானது.


யோகமாயை (ஈஸ்வரசக்தி மாயை)


பெற்ற மனிதன் சொல்கிறான்---


"பூமி சுவர்க்கம்."


नमस्ते।


वणक्कम।।


 माया ।शैतान। 


असली माया।।


नकली माया।।


रंग माया।


रंगीली माया।।


चमकती माया।।


नर-नारी, प्रेमी-प्रेमिका माया।।


धन माया, अहं माया।।


लोभ माया ,सत्ता माया,


पद माया, अधिकार माया।।


न जाने विविध माया।।


माया से बचना अति मुश्किल।।


माया महाठगिनी  त्रिदेव भी न बचे।।


मामूली मानव सद्य: फल के लोभी।।


परिणाम असाध्य दुखी ईश्वरीय दंड।।


 योगमाया   योग साधना ध्यान।


कितने करते वे सुखी।।


कितने न करते  दुखी।


अतः मनुष्य कहता है 


दुख भरा संसार।।


 योगमाया प्राप्त मानव कहता,


स्वर्ग है वसुंधरा।।


स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।।


कितने न करते  दुखी।


अतः मनुष्य कहता है 


दुख भरा संसार।।


 योगमाया पर्याप्त मानव कहता,


स्वर्ग है वसुंधरा।।


स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।।

पूजा अर्चना और वंदना

 नमस्ते। वणक्कम।

 शीर्षक   पूजन अर्चन वंदना।

  29-12-2020.

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

  फूलों से  अष्टोत्तर, सहस्रनाम,

   अर्चना  मनोकामना  पूरी होने वंदना।।

 भारतीय परंपरा ईश्वर वंदना का।।

पू माने फूल। सेय  माने करना।

पूजा  फूल से सहस्रनाम,

एक एक फूल डालकर अर्चना।।

कर जोड़ ईश्वर से प्रार्थना।।

लाखों नामों की अर्चना भी है।

 मानसिक शांति , संतोष ,आनंद

 पूजा,अर्चना और वंदना है

मनोकामना होती है पूरी।

अनंत कृष्णन चेन्नै तमिलनाडु




 


Monday, December 28, 2020

फूल

 नमस्कार। वणक्कम।

 शीर्षक    सुमन। २९-१२-२०२०

  सुख  शांति से जीने

   मन सु+मन  होना रे।

  सुमन से

 सुमन हाथ में

   लेना,

  अष्टोत्र नाम कह कह,

  एक एक करके भगवान के

  पाल कमलों पर चढ़ाना।

    वंदना कीर्तन करना।

    सुमन सुगंधित है मन भी सुमन हो।।

    चमेली फूल अति सुगंधित।।

    सर पर रखते , द्वार पर खड़े

    सबेरे गये पति की प्रतीक्षा में।

    सुमन भगवान पर चढ़ाते,

    मन सुमन हो तो भगवान

     खुश हो जाते।।

     फूलों का किरीट 

     भगवान की शोभा

     बढाता।

    शादी में तो फूलों  की माला।

    वर, वधु  की खूबसूरती बढ़ाती।

      अमीरों के शव उठाने,

      सुमनों की पालकी,

     सुमन और सिक्का फेंकना।

     मदन मोहन मालवीय जी,

     हैदराबाद निजाम

     विश्वविद्यालय बनवाने 

     दान नहीं दिया तो

    शव पर फेंके 

   सिक्का चुनने लगे।।

 यह भी कहने लगे,

 नवाब से मिलकर 

खाली हाथ कैसे लौटूँ?

 भारतीय आत्मा ,

 माखनलाल जी का कहना था 

 हे वनमाली, फूल की चाह यही,

  तोड़कर उस पर पर फेंकना,

   जिस पर जावे वीर अनेक।।

   रंग-बिरंगे विविध फूल हम,

    भारत वासी, भारत उद्यान सुंदर।।

  स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

वाह!वाह!

 साहित्य बोध में 

मेरी पहली रचना ।।

 दल में सम्मिलित कर लिया।

तदनर्थ धन्यवाद।।

***********


सर्वेश्वर से  मेरी प्रार्थना।।

साहित्य कार में 

शैतानियत का वास न हो।।

सदा  प्रेम प्रेमिका की बात,

लौकिक इच्छा बढ़ाने की बात न हो।।

संयम जितेन्द्र परहित ही मानवता।।

सार्वजनिक स्थानों पर,

समुद्र तट पर खुल्लमखुल्ला प्यार।

आलिंगन चुम्बन मानवता नहीं,

पशुतुल्य व्यवहार मान।।

मजहबी कट्टरता, मनुष्य मनुष्य में नफ़रत 

खुदा के नाम हत्या, मूर्ति तोड़ना,

बहुत बड़ा पाप, ऐसा करें तो 

धरती  में ही नरक तुल्य 

जहन्नुम की वेदना जान।।

 खेती की भूमि को नगर विस्तार के लिए,

 कारखाना, स्कूल,कालेज बनवाना

जंगल का नाश देश को नरक बनाना जान।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै तमिलनाडु।

साहित्य में

 साहित्य बोध में 

मेरी पहली रचना ।।

 दल में सम्मिलित कर लिया।

तदनर्थ धन्यवाद।।

***********


सर्वेश्वर से  मेरी प्रार्थना।।

साहित्य कार में 

शैतानियत का वास न हो।।

सदा  प्रेम प्रेमिका की बात,

लौकिक इच्छा बढ़ाने की बात न हो।।

संयम जितेन्द्र परहित ही मानवता।।

सार्वजनिक स्थानों पर,

समुद्र तट पर खुल्लमखुल्ला प्यार।

आलिंगन चुम्बन मानवता नहीं,

पशुतुल्य व्यवहार मान।।

मजहबी कट्टरता, मनुष्य मनुष्य में नफ़रत 

खुदा के नाम हत्या, मूर्ति तोड़ना,

बहुत बड़ा पाप, ऐसा करें तो 

धरती  में ही नरक तुल्य 

जहन्नुम की वेदना जान।।

 खेती की भूमि को नगर विस्तार के लिए,

 कारखाना, स्कूल,कालेज बनवाना

जंगल का नाश देश को नरक बनाना जान।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै तमिलनाडु।