Sunday, February 3, 2019

मेरी रचनाएँ (मु )




मेरी रचनाएँ 

नमस्ते! समिति के सदस्यों को और संयोजकों को !
शीर्षक =विष युक्त समाज।
मनुष्य के प्राण लेने जहर;
समाज को बिगाड़ने विष युक्त विचार।
समाज सुधारने एक दल ,
समाज में विषैले
विचार फैलने
एक दल।
धूम्र पान मना है -
स्वास्थ्य के लिए।
स्वास्थ्य के लिए -
मधशाला मना है -
यह सुविचार छोटे वर्णों में।
विषैले विचार
सरकार चलाने के लिए
पैसे /आय दोनों के लिए मधुशाला
यह विषैला विचार।
भ्रस्टाचार मना है , अपराध है.
चुनाव में करोड़ों
खर्च भ्रष्टाचारी ही करते ,
वह मना नहीं है.
शिक्षालय की वृद्धि के नाम
शिक्षालय में दान स्वीकार है ,पर
मन माना वसूल ,रसीद न देना ,
विषैला विष युक्त प्रणाली।
सुविचार न्यायाधीश न्याय प्रिय ,
न्यायधीश अवकाश के बाद
न्याय पर
कीचड उछालना
विष युक्त प्रणाली।
न्यायालय अय्यप्पन मंदिर में
महिला प्रवेश ,
न्याय युक्त ,
पर मस्जिद में महिला मना.
यह न्याय विष युक्त।
देखा ,अनुभव क्या ,
अपराधियों अमीर हो तो
जमानत।
राजनैतिक नेता हो तो बरोल।
यह विषयुक्त क़ानून।
थोड़े में कहें तो विषय मुक्त ,
विष युक्त समाज में जी रहे हैं हम.
स्वरचित। स्वचिंतक -यस। अनंतकृष्णन।
दिल का अंधेरा,
तन मन बुद्धि चरित्र
सब को कर देता.
वनमाली प्रह्लाद के दिल के अंधेरे से
विकसित चिंतन.
वाह!
दिलों के अंधेरा घना कुहरा है,
सूर्य देव से असंभव.
एक बडा है तो दूसरों को दबाते रहना.
राजा हमेशा सम्राट बनना है तो
जीतने के षडयंत्र में
दिल में हो जाता
निर्ममता.
भीष्म भी निर्दयी
तीन राजकुमारियों की
शादी एक नपुंसक से
कराकर संभोग के लिए
दूसरों का प्रबंध
यह दर्प, हिंसा, अहंभाव,
हजारों कोे मारकर खुद भी मर जाता
कष्ट सहकर अपमान सहकर.
द्रोण ने छल से अंगूठा कटवाया,
उनकी मृत्यु छल से पुत्र शोक से हुई.
जीने के लिए मानव के दिल में अंधेरा
ऐसा छा जाता, भला बुरा न सोच,
कष्टों पर कष्ट सह उसी को सुख मान
दुखी आत्मा बन छल छल के चल बसता है,
वाह! वाह! विवाह!
कितने प्रकार के बंधन!
यहाँ भी रोला का बंधन.
अभिभावक व्यवस्थित विवाह.
कितने तरीके, कितने प्रकार,
रखैल विवाह.
मंगल सूत्र विवाह
अंगूठी धारण.
मिलकर रहना,
शारीरिक सुख विवाह
प्रेम विवाह,
जातीय प्रेम, विजातीय प्रेम, मज़हबी प्रेम
अनमेल विवाह, मानसिक प्रेम.
जबरदस्ती ब्याह, अपहरण विवाह,
मज़बूरी विवाह. गैर हाजिरी विवाह
स्वर्गीय विवाह, नारकीय विवाह
विचित्रवीर्य विवाह, संतानोत्पत्ती परायों से
विवाह तलाक तक.
त्याग, भोग, धन, तन, मन से संबंधित.
नाम मात्र विवाह.
स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन द्वारा स्वरचित.
वाह! वाह! विवाह!
कितने प्रकार के बंधन!
यहाँ भी रोला का बंधन.
अभिभावक व्यवस्थित विवाह.
कितने तरीके, कितने प्रकार,
रखैल विवाह.
मंगल सूत्र विवाह
अंगूठी धारण.
मिलकर रहना,
शारीरिक सुख विवाह
प्रेम विवाह,
जातीय प्रेम, विजातीय प्रेम, मज़हबी प्रेम
अनमेल विवाह, मानसिक प्रेम.
जबरदस्ती ब्याह, अपहरण विवाह,
मज़बूरी विवाह. गैर हाजिरी विवाह
स्वर्गीय विवाह, नारकीय विवाह
विचित्रवीर्य विवाह, संतानोत्पत्ती परायों से
विवाह तलाक तक.
त्याग, भोग, धन, तन, मन से संबंधित.
नाम मात्र विवाह.
स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन द्वारा स्वरचित.
लक्ष्मी के नाम पत्र ,
देवी! चरण वंदन।
तेरी महिमा जन्म विदित है ,
सर्वत्र तेरे गुणगान।
चुनाव में जीतना ,
स्नातक -स्नातकोत्तर की उपाधियाँ पाना
व्यापार करना ,
रिश्ते-नाते दोस्तों के भीड़ में मज़ा लेना ,
कारखाने ,माल के मालिक बनना
चित्र पट के निर्माता - निदेशक बनना ,
चित्रपट -घर बनाना ,
संगणिक -अंतरजाल -यात्रा -सपर्क सब के मूल में
लक्ष्मी प्रधान।
जितना भी बल तुझमें हैं ,पर
तेरे अवहेलना करने का एक पल
हर एक के जीवन में अवश्य।
पहाड़ को चूर चूर भले करो।
धर्म -अधर्म कीजीत -हार तुम पर निर्भर।
अपार शक्ति तुझ में ,
तेरे वश में सब कुछ ,सभी प्रकार का आनंद सोच
न्याय -अन्याय तेरे अधीन।
भगवान की महिमा भी हीरे के मुकुट ,
सोने के कवच में.
इतना होने पर भी न जाने
तुझ से दूर न करनेवाले
कई विषय है संसार में.
करोड़पति के यहाँ असाध्य रोगी ,
डाक्टर के यहाँ पागल बच्चे,
करोड़पति के पुत्र का अकाल मृत्यु।
करोड़ों के खर्च कर चुनाव में हार.
गधे का स्वर संगीत प्रिय को।
जन्म से अंधे, निस्संतान दम्पति
कई विषय ऐसे संसार में
तुम्हारे अधीन नहीं।
रेगिस्तान को उपजाऊँ भूमि न बना सकती तू.
दक्षिण ध्रुव को गरम प्रदेश नहीं बना सकती तू.
जन्म से मंद बुद्धि को प्रतिभाशाली न बना सकती तू.
फिर भी यह पागल दुनिया ,
तेरे पीछे पागल।
हँसी आती है ,मुझे कई करोड़पति की आत्महत्या देख.
लक्ष्मी तू हार गयी.
कितने साल पुराना दीपावली न जाना.
पटाखे छूटना कब से शुरु न जाना.
मेरी उम्र सत्तर साल
लगातार पटाखे फटती
चुनाव के समय सांसद के उम्मीदवार
गिनती तक बदल बदलकर
पटाखे आ सेतु हिमाचल थोड़े दिन भर
भाजापी आगे हर गली में छूटती.
कांग्रेस आगे छूटती
अब की गिनती आगे पीछे
मन माना पटाखे
इसका भी दीपावली के समान
प्रति बंधन लगाते तो
न्यायालय तटस्थ.
राजनैतिक दल के शव यात्रा में
सडक रोक पटाखे घंटों
अमीरी की शादी बारात में घंटों पटाखे
आहा! हमारे देश में तो न दंड
अमीर और राजनैतिक और नामी पटकथा नायक के
अपराध को, न्यायालय के फैंसलानुसार
अपराधी लड सकते हैं चुनाव.
चार साल से ज्यादा न रहें तो
मुख्यमंत्री बन सकते.
अतः केवल हिंदु पर्वों पर प्रतिबंधन.
तोता ज्योतिष अपराध.
गो माँस छूट.
जय हिंदू महा संख्या भारत.
अलग देश देकर अब अल्प संख्यक अधिकार देकर
अब पटाखे का आनंद अमुक समय पर.
रामचंद्र !?!?)
सत्य साई राम.
शाश्वत सत्य प्रमाण.
सांसारिक एकता का मूल.
मानवता के प्रचार में
न मज़हबी भेद
स्वार्थ मज़हबी यही सिखाते
अल्ला बडा,ईसा बडा, हिंदु बडा,
सिक्ख बडा,बौद्ध बडा, जैन बडा.
साई राम तो यही कहते
मानव धर्म मनुष्यता बडा.
भजन में मिलाते
अल्ला साई ईसा साई शिव साई विष्णु साई
सिक्ख साई, बौद्ध साई जैन साई.
मानो सब मत-संप्रदाय यही सिखाते
सत्य पथ पर चल.
प्रेम मत पर चल.
नेक पथ पर चल.
कर्तव्य पथ पर चल.
सेवा पथ पर चल.
मनुष्य मनुष्य भेद कर
अशांति हिंसा ठग निर्दयता,
अहंकार, क्रोध काम, लोभ स्वार्थ
सब तज, संसार है मिथ्या, अशाश्वत.
यही सब मजहब की सीख.
सोना एक, मिट्टी एक ,चाँदी एक
बर्तन, आभूषण, रूप अनेक.
वैसे ही भगवान एक.
दीन दुखियों की सेवा में
बढती संपत्ति.
भगवान रहेगा तेरा दिल में.
महान सत्य साई को नमन.
स्वचिंतक स्वरचित यस. अनंत कृष्णन.
.
स्टेट्यू ऑफ़ यूनिटी /ஸ்டேட்யு ஆப்
யூனிட்டி அதுவும் தமிழில் தவறாக.
खेद की बात है सरदार पटेल की मूर्ति में
अंग्रेज़ी को ही भारतीय भाषाओं में स्टेट्यू ऑफ़ यूनिटी लिखा है.
अंग्रेज़ी ही है आगे भारतीय भाषा .
एकता की मूर्ति या एकता की शिला लिखना है।
धीरे धीरे भारत की भाषा सिर्फ अंग्रेज़ी।
एकता की मूर्ति नहीं लिखी।
சர்தார் படேல் சிலையில் இந்திய மொழி ஆங்கிலம் தான் .எழுத்துக்கள் மட்டுமே இந்தியமொழி .
statue of unity என்றே இந்திய மொழிகளில்
மொழிகளில் எழுதப்பட்டுள்ளது.
நாட்டு மொழி ஆங்கிலமே .
மோடி அரசு ஆங்கிலமே இந்தியாவில்
என்று வையகத்திற்கு அறிவித்துள்ளது.
ஹிந்தி தமிழ்
ஒற்றுமையின் சிலை /ஏக்தா கீ மூர்த்தி / என்று எழுதவில்லை .
स्टेट्यू ऑफ़ यूनिटी /ஸ்டேட்யு ஆப்
யூனிட்டி அதுவும் தமிழில் தவறாக.
सबको प्रणाम।
हिन्दीतर भाषी हिंदी को
चाहकर प्रेरित करनेवाले सब
मुख-पुस्तिका के मित्रों को
धन्यवाद। मेरा सप्रेम नमस्कार।
प्रात: कालीन प्रणाम।
संसार स्वर्ग है,
संसार नरक है
संसार नश्वर है,
संसार अनश्वर है
संसार लौकिक है,
संसार अलौकिक है।
गंभीरता से सोचो,
जानो,समझो,पहचानो,
पता चलेगा, कैसे?
मौसमी परिवर्तन स्थाई।
फल फूल पत्ते अ्स्थाई।
काम क्रोध मंद लोभ स्थाई,
अंतर्मन में वास कर जीनेवाले अस्थाई।
वनस्पति,जीव जंतुओं, मनुष्य रचना स्थाई।
रचकर नष्ट करने की ईश्वरीय लीला स्थाई।
मनुष्य का रूपरंग गुण भाषा सब के सब
परिवर्तन शील , अमानुषय शक्ति स्थाई।
गुण शाश्वत,सत्य शाश्वत, अवगुण असत्य अशाश्वत।
स्वरित अनंत कृष्णन.
शब्द
स्वरचित
कुछ शब्द स्वर्गीय तो
कुछ शब्द नारकीय.
मल माल होना
माल मल होना
एक लकीर
पाप बाप बने तो संकट.
भाप बादल बने तो वर्षा.
मन बिगडा तो मान चलाजाता.
मद चलें तो मादा बनाता.
माता तो माँ, मादा तो पशु विशेष.
उच्चारण बिगड जाता तो
अर्थ बदल जाता,
चिंता चिता से बुरी,
बिंदु के कारण रोज जीना है
मर मरकर जीना पड़ता.
शब्द का प्रयोग सतर्क करना.
मधुर वचन मदिरालय.
नशा प्यार का चढाता.
कटुक वचन काट देता नाता -रिश्ता.
अश्वत्थामा का शोर,
कुंजरः का धीमा गुरु की हत्या
लकीर का बढना, शब्द का धीमा
कहानी बदल देता.
पूज्य प्रधान मंत्री महोदय ,
नमस्ते ! दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा ,चेन्नई ,गांधीजी स्थापित संस्था का शताब्दी वर्ष ,
केवल बाह्याडम्बर के लिए
बड़ी बड़ी इमारतें
अंग्रेज़ी माध्यम पाठशालाएं ,
इसकेलिए कार्यकर्ताओं से
जबरदस्त एक महीने का वेतन ,
हिंदी प्रचारक तमिलनाडु के सच्चे सेवक
उनसे सरकारी मान्यता
जो एक साल के एक बार देते हैं ,
उनसे जबरदस्त दान,
तमिलनाडु हिंदी विरोध कहकर
मनमाना प्रमाण पत्र , परीक्षा शुल्क ,दान ,
किताब खरीदना है , नहीं तो परीक्षा नहीं दे सकते।
एक घर में तीन लोग एक ही परीक्षा देनी है तो
तीन किताबें जबरदस्त सर पर मढ़ना कहाँ तक सार्थक है.
बाह्याडम्बर दिखाने इमारत के लिए आंशिक पूर्णकालीन विद्यालय के
गरीब प्रचारकों से पचास हज़ार तक दान लेना
क्या न्याय है?
मोहनदास करमचंद गांधी जी की आत्मा रोयेगी ज़रूर।
जहाँ हिंदी प्रचार मुफ़्त में करना है ,
वहाँ परीक्षा शुल्क ,अनिवार्य किताब बिक्री , अनिवार्य दान।
केवल इमारत बनवाकर लूटने।
हर एक परीक्षा केंद्र में नक़ल ,
सातवीं कक्षा में बी.ए
समकक्ष प्रवीण प्रमाण पत्र ,
विद्यार्थी मेला द्वारा
प्रश्न पत्र का व्यापार,
चुनाव में कितना भ्रष्टाचार,
प्रमाणित प्रचारक संख्या ,
कुछ प्रलोभन से बिना
चुनाव के सदस्य चुनना ,
बी.एड, कालेज में मनमाना लूट ,

केवल तमिलनाडु में ही
हिंदी प्रचारक त्यागमय
जीवन बिता रहे हैं ;
सभा की गतिविधियों के लिए
एक जाँच आयोग नियुक्त करेंगे तो
प्रचार सभा के भ्रष्टाचारों का ,
कार्यकर्ता और प्रचारकों के
त्यागमय जीवन का
पता चलेगा।
मनमाना वसूल कर इमारतें ,
पर शताब्दी वर्ष में
सभा के कार्यकर्तावों को
बोनस न देकर ,
प्रचारकों को प्रोत्साहन न देकर
दान दान दान वसूल .
तोरण द्वार के लिए बीस लाख ,
पर कार्यकर्ता और प्रचारक के लिए
क्या किया है?
क्वाटर्स बनाना ठेकेदार
लाभ के लिए.
सभा का विस्तृत मैदान
अंग्रेज़ी के विकास के लिए ,
मनमाना लूटने .
सभा का उद्देश्य हिंदी प्रचार --
पर प्रचारक को कमीशन
एजेंट बना रही है सभा.
अंग्रेज़ी ज्यादा बोलनेवाला अहाता।
आशा है सच्चे दिलसे जांच कर
योग्य प्रचारकों द्वारा
हिंदी प्रचार करने की
कार्रवाई
प्रधान मंत्री लेंगे।
धन्यवाद !
स्वरचित रचना ,
दिमाग टटोलकर ,
रचना लिखने
ढूँढ रहा हूँ।
विषय? कथानक ?
बच्चे गैर कानूनी
कबीर हैं। कर्ण है।
निर्दयी शिशु हत्याएँ ,
नदी में अवैध बच्चे को बहा देना ,
कन्या अपहरण ,
नपुंसक की शादी ,
बहुत सोचता हूँ
सभी युगों की बात।
दूसरी पत्नी को उठा लेना
रावण तो
छद्मवेष में अहल्या से इंद्र का सम्भोग शाप.
त्रेता युग , द्वापर युग, कलियुग
वैज्ञानिक खोजों से
युग तो परिवर्तित ,
बर्तन नए नए धातु के
प्लास्टिक ,ग्लास , माइक्रो ओवन ,
पकाने की विधि परिवर्तन ,
स्वाद में ,वास में
मूल तो वही,
कैसे आएगी नयी रचना?
खलनायक एक सामान सभी युगों में,
हथियार तो अब बन्दूक ,
तलवार की निर्दयता बन्दूक से
पहले आमने -सामने
अब चुपके छिपके ,
नयी कल्पना
नयी कहानी ,
कुछ भी नहीं ,
मैं सब में पुरानी
बातों की कल्पना
देखता हूँ , प्रमाण भी दे सकता हूँ.
வணக்கம்.
वणक्कम.
नमस्कार.
ईद का संदेश.
रोजों रुपये जोडो
मौत कब आएगा,
पता नहीं,
भोगोगे नहीं.
तमिल कवयित्री औवैयार...
मूर्ख मनुष्यों! सुनिये..
मेहनत करके धन जमाओगे,
तहखाना में गुप्त रखोगे,
देह से प्राण छूटने पर,
हे पापियों! कौन भोगेगा
वह धन.



-0:26


नमस्कार.
भगवान,
ईश्वर,
देव,
गणेश, कार्तिक, शिव, दुर्गा,
विष्णु, राम, कृष्ण, अल्ला, ईसा,
नाम ही है भिन्न.
कर्म है लोक रक्षा,
तटस्थ दंड/पुरस्कार.
हर नाम के अनुयायी
सब के सब सुखी नहीं,
सब के सब दुखी नहीं,
सबके सब ज्ञानी नहीं,
सब के सब बुद्धु नहीं,
.सब के सब स्वस्थ नहीं,
सबके सब रोगी नहीं,
असीम भूभाग,
अनंत आसमान,
एक ही सूर्य,
एक ही चंद्र
पर
एक समान
रोशनी नहीं,
एक समान
गर्मी नहीं.
एक समान
शीतल नहीं,
वनस्पति हरियाली,
छाया
भिन्न भिन्न.
गुण, स्वाद में भी भिन्न..
देखिए, मीठा फल मीठा ही है,
खट्टा खट्टा ही,
कडुआ कडुआ ही.
बदलना मुश्किल.
पर मानव के गुण में
प्रेम, दया, परोपकार,
स्वार्थ, लोभ,
डर, निडर,
कायर, ज्ञानी,
अज्ञानी,
चतुर ,
चालाक,
ईमान
बेईमानी
संगति के अनुसार,
बदल सकते हैं,
अत्याचार क्रूर शासक,
सुशासन बने,
बनाया, बनवाया
देखा ,
गर्मी में स्वीडन की गर्मी
हिमाचल मेंकैसे?
दक्षिण के सुखी मौसम,
पाश्चात्य देश में कहाँ?
धनी सुखी नहीं,
गरीबी दुखी नहीं,
कर्म फल ही प्रधान.
अमीर गरीब बनता
देखते हैं.
पापी सुखी,
पुण्यात्मा दुखी.
ईश्वरीय लीला अति सूक्ष्म..
ईश्वर के नाम में
पुण्य प्रचार,
ईश्वर के नाम लेकर
अपहरण ,लूट..
विचित्र जग में,
सब को समान दंड मृत्यु.


Anandakrishnan Sethuraman to संगम
संगम दोस्तों को प्रणाम.
हर भाषा के पंडित
अपनी भाषा शैली पर ही
टिके रहते हैं.
फिर भी नयी शैलियाँ पनपकर ,
किया --करा में नेता तक के भाषण में प्रयोग
भाषा बहता पानी है --बाढ़ सी बहते समय
रूढ़िया बंद.
भारत की आज़ादी के सत्तर वर्ष में भारतीय भाषाओं
की तारीफ में प्रमाण पत्र --
भारतीय भाषाएँ जीविकोपार्जन के लायक नहीं.
जय हिन्द! जय सोनिया , जय अंग्रेज़ी .
जय हिंदी कहने कांग्रेस के सारे नेता अंग्रेज़ी में पटू.
बस अंग्रेज़ी जिन्दगी के लिए फिर चंद सालों में भारतीय भाषाओं की हालत ?!!

विष युक्त संसार ,विषय मुक्त रचना (मु )

विष युक्त संसार ,विषय मुक्त रचना (मु )

नमस्ते! समिति के सदस्यों को और संयोजकों को !

शीर्षक =विष युक्त समाज।

मनुष्य के प्राण लेने जहर;
समाज को बिगाड़ने ,
विष युक्त विचार।
समाज सुधारने एक दल ,
समाज में विषैले विचार फैलने
एक दल।
धूम्र पान मना है - स्वास्थ्य के लिए।
स्वास्थ्य के लिए - मधु शाला मना है -
यह सुविचार छोटे वर्णों में।
विषैले विचार सरकार चलाने के लिए
पैसे /आय दोनों के लिए मधुशाला यह विषैला विचार।
भ्रस्टाचार मना है , अपराध है.
चुनाव में करोड़ों खर्च भ्रष्टाचारी ही करते ,
वह मना नहीं है.
शिक्षालय की वृद्धि के नाम
शिक्षालय में दान स्वीकार है ,पर
मन माना वसूल ,रसीद न देना ,
विषैला विष युक्त प्रणाली।
सुविचार न्यायाधीश न्याय प्रिय ,
न्यायधीश अवकाश के बाद न्याय पर कीचड उछालना
विष युक्त प्रणाली।
न्यायालय अय्यप्पन मंदिर में महिला प्रवेश ,
न्याय युक्त , पर मस्जिद में महिला मना.
यह न्याय विष युक्त।
देखा ,अनुभव क्या ,
अपराधियों अमीर हो तो
जमानत।
राजनैतिक नेता हो तो बरोल।
यह विषयुक्त क़ानून।
थोड़े में कहें तो विषय मुक्त ,
विष युक्त समाज में जी रहे हैं हम.
स्वरचित। स्वचिंतक -यस। अनंतकृष्णन।

Saturday, February 2, 2019

लौं जलन(मु )

लौं    जलन
  अंग्रेज़ी  LOVE 
 युवकों के चिंतन लौं को
बुझा देती है.
प्यार प्यार  लडकी से
 न मिलें तो पागल बन ,
पियक्कड़ बन
आवारा बना देता .

मधु शाला, अबला के बल 
झांकता हैं , गोता लगाता  है ,
डुबोता  है ,डूबता है,
अबला के कारण
आया  बला.
 लौं जलनपर  डाक्टर एल. एन.  निष्पावी का कमंट
मुझे अच्छा  लगता है धन्यवाद.
Thanks so much kavivar Anand krishnan seturaman ji
डा.  रामशंकर चंचल का कमंट:
Kya khub kaha gajb  lekhn  aadraniy

अद्भुत अभिव्यक्ति।

हाहाहाहा ।बहुत खूब

Friday, February 1, 2019

आज मन में उठे विचार (मु )

आज मन में फटे विचार. இன்று என் மனதில்
வெடித்த. எண்ணங்கள்.
रिश्वत से प्राप्त सुख,
ईश्वर के दिल से दुखप्रद होगा. 
லஞ்சத்தால் பெற்ற சுகம், ஈசன்
நெஞ்சத்தால் இன்னல் தரும்.

अशोक, तमिल कवि अरुणगिरी के पापों की क्षमा,

पश्चात्ताप व सुधरने से लोक सेवा से होगा उद्धार.
அ சோ கர்,தமிழ் கவி அருணகிரி செய்த
பா வ மன்னிப்பு த னை உணர்ந் து வருந்திதிருந்தினா ல் மக்கள் பணி
செ ய் தா ல் மு ன் னே ற் றம் கா ண்.

कबीर के दोहे கபீர் ஈரடிகள் -1 முதல் 50 வரை


 
         ஹிந்தியில்  பக்தி  காலத்தில்  ஞான மார்க்கம் 
 தோற்றுவித்தவர் கபீர் தாஸ் .
இறைவனை அடைய ஞானம் வேண்டும் .

ஹிந்தி இலக்கியத்தில் அவரை சொல்லின் சர்வாதிகாரி என்று

போற்றப்படுகிறார் .பிறப்பால் அந்தணர் . வளர்ப்பதால் முகலாயர் .

நெசவாளி. அவரது ஈரடிகளில் (தோஹைகளில் ) குருபக்தி ,இறைபக்தி ,இறைபக்தியின் உன்னத நிலை ,மூடநம்பிக்கைகளை நிந்தித்தல் ,
பக்தி ஆடம்பரமல்ல என்ற வழிகாட்டல் ஆகிய கருத்துக்கள் வலியுறுத்தி கூறப்பட்டுள்ளன.

  அவரின் சிறந்த ஈரடிகள் :--

I .குரு  மகிமை .

1.  குருவும் இறைவனும்  எதிரில் காட்சி அளித்தால் யாரை  வணங்குவது ?
 
     நான் முதலில் குருவை வணங்குவேன் .ஏனென்றால் குரு தன்  ஞானத்தால்

        இறைவனைக் காணும் வழிமுறைகளை நமக்கு காட்டுகிறார்.

குரு அருள் இன்றி இறை அருள் கிடைப்பது அரிது .

2.  இந்த உடல் விஷத்தன்மையால் நிரப்பப்பட்டுள்ளது.
அந்த விஷ எண்ணங்களை  அகற்றி
அமிர்தத்தின்  சுரங்கமாகத் திகழ்பவர்  குரு.
சிறந்த குருவை கிடைத்தால்   அரிய  விலைமதிப்பற்ற
உயிர் தலை கொடுத்தும்  அவரைப்பெறுவது  மிகவும் மலிவானது .

3. இந்த உலகின் நிலப்பரப்பு முழுவதும் வெள்ளைத் தாளாக மாற்றி ,
மரங்கள் அனைத்தும் எழுதுகோலாக மாற்றி ,
ஏழு கடல் களையும் எழுதும் மையாக மாற்றி எழுதினாலும்
உயர்ந்த குரு மகிமை எழுத போதுமானதாகாது.


II .சொல்லின் மகிமை :-

4. மனிதர்கள் கேட்பவர்களுக்குப் பிடித்த 
இனிய உயர்ந்த சொற்களைப்  பேசவேண்டும் .
இப்படிப்பட்ட இனிய மொழி கேட்பவர்களுக்கும்
பேசுபவர்களுக்கும்  சுகமும்  ஆனந்தமும் தரக்கூடியன .

5. இந்த நாக்கு மிகவும் பொல்லாதது.
விரும்பத்தகாத சொற்களைச்  சொல்லி பாதுகாப்பாக
வாயிக்குள் சென்றுவிடுகிறது . அதன் விளைவால் வாங்கும்
செருப்படி தலையில் விழுகிறது. கவனமாக சொற்களைக் கையாள வேண்டும்.

6. பேரிச்சம்பழமரங்கள்  போல்  உயர்ந்து வளர்வதால் பயனில்லை.

 வழிப்போக்கர்களுக்கு நிழல் இல்லை.பழங்களும்  மிக உயரத்தில்
பழுக்கின்றன. இப்படி உயர்ந்த மனிதர்களால் எவ்விதப் பயனும் இல்லை.

7.    நாம் எப்பொழுதும் நம்மைக்  கண்டிப்பவர்களை அருகில் வைத்துக்கொள்ளவேண்டும்.நம் வீட்டின் முற்றத்திலேயே கூட அவர்களைத்
தங்க வைக்கலாம்.அவர்கள் மூலம் நம் குறைகளை அறிந்து நிறை காணலாம்.

8. தீயவர்களையும்  கெட்டவர்களையும்  தேடிச் சென்றால்  எனக்கு தீயவர்கள் ஒருவருமே  கிடைக்கவில்லை. நான் என் மனதில் சிந்திக்கும்  போது
என்னைவிட தீயவர்கள் எவரும் இல்லை. இப்படி ஒவ்வொரும் தன்னையே நினைத்துத் திருந்தினால் உலகில் தீயவர்கள் காண்பதரிது.

9.  இறைவனை வழிபட மனத்தூய்மை வேண்டும். கையில் ஜெப  மாலை ,
 மனம் உலக ஆசைகள் ,கவர்ச்சிகள் என பத்து திக்குகளிலும் அலைபாய்ந்தால் அது ஜபம் கிடையாது, கடவுளின் பக்தி கிடையாது.
மாலையைச் சுற்றுவதை நிறுத்தி விட்டு மனம் சுற்றுவதை விடுத்து
இறைவனை ஜபிக்க வேண்டும்.

10. துன்பத்தில் அனைவரும் இறைவனைத் துதித்து ,சுகங்கள் கிடைத்தவுடன்
இறைவனைத்  துதிப்பதை விட்டு விடுகிறார்கள். இன்பத்திலும் இறைவனைத் துதித்தால்   இன்னலுக்கே  இடமில்லை.

11. மண் குயவனிடம் ,நீ இன்று என்னைப்  பிசைந்து அடித்து துன்புறுத்துகிறாய்.ஆனால்  உன் இறப்பு என்று ஒருநாள் வரும்.
அப்பொழுது உன்னை நான் அரிக்கும் காலம் வரும்.நீ பயனற்றுப் போய்விடுவாய்.

12.  மனித ஆசைகள் நீர்த்திவளைகள்  போன்றதாகும் .ஒரு நொடியில் வந்து ஒருநொடியில் இல்லாமல் போய்விடும். சிறந்த உயர்ந்த குரு கிடைத்தால் உலகின் மாய மோக இருள் அகன்றுவிடும்.

13.   சுற்றும் திருகைக்கற்களின் நடுவில் சிக்கும் தானியங்கள் படும் இன்னல்களும் உருமாற்றமும் கண்டு கபீர் வேதனைப்படுகிறார்.அவ்வாறே நாமும் இவ்வுலகம் என்ற இயற்கை என்ற திருக்கையில் சிக்கி வேதனைப்படுகிறோம்.

14. தோட்டக்காரன் வருகை கண்டு  மொட்டுக்கள் தங்களுக்குள் பேசின.
இன்று மலர்ந்த பூக்கள் பறிக்கப்பட்டுவிடும். நாளை நமது முறை வந்துவிடும். இவ்வுலகின் நிலையாமை குறித்து  கபீர் மொட்டுக்கள் மூலம் கூறுகிறார்.

15.நாளை செய்யும் வேலையை இன்றே செய். இன்று செய்யும் வேலையை இன்றே செய்.ஒருநொடியில் பிரளயம் வந்து அழிந்து விடுவோம்.
நம்மிடம் அதிகமான நேரமே இல்லை.

16. உன் கடவுள் உனக்குள்ளே ,பூவில் மணம் இருப்பதுபோல்.
 கஸ்தூரி மான் வயிற்றில் கஸ்தூரி மணம்  . ஆனால் அந்த மணம்  தன் வயிற்றில்  இருப்பதறியாமல்  மான் தன்  அறியாமையால் வெளியில் தேடித் திரியும். அதுபோல் அறியாத  மனிதர்கள் இறைவனைத்தேடி அலைவார்கள்.ஒவ்வொரு மனிதர்களுக்குள்ளும் இறைவன் இருக்கிறான்.

17. எள்ளில் எண்ணெய் இருப்பதுபோல் ,சிக்கிமுக்கிக் கல்லில் நெருப்பு இருப்பதுபோல் உன் கடவுள் உனக்குள் இருக்கிறார். இறைவனை எழுப்ப முடிந்தால்  எழுப்பி அறிந்துகொள்.

18. இறக்கமுள்ள   இடத்தில்  அறம்  இருக்கும்.
     பேராசை உள்ள இடத்தில் பாவங்கள் இருக்கும்.
    கோவம் உள்ள இடத்தில் பேரழிவு இருக்கும்.
 மன்னிப்பு உள்ள இடத்தில்  இறைவன் வசிக்கிறான்.

19. அன்பில்லா  இடம் மயானத்திற்கு சமமானது.
  கொல்லனிடம் இருக்கு தோல் உயிரில்லாமல் காற்று இழுத்து வெளியிடுவதுபோல் அன்பில்லாதவன் உயிரற்ற  மிருகம் போன்றவன்.

20. தாமரை  தண்ணீரில் மலரும்.
நிலவு ஆகாயத்தில் இருக்கும்.
ஆனால்  நிலவின் பிம்பம் தண்ணீரில் தெரியும் போது
 இரண்டும் மிக அருகில் இருக்கும்.
அவ்வாறே கடவுளிடம் நீ உண்மையான பக்தியும் அன்பும்
 வைத்தால் இறைவன் உன்னருகில் வந்துவிடுவான் .

21. ஒரு சாதுவிடமோ அறிஞனிடமோ 
அவனின் ஜாதி பற்றி விசாரிக்காதே,
அவன் ஞானத்தை அறிந்துகொள்.
கத்தியைத்தான்  அதன் கூர்மை அறிந்து வாங்கவேண்டும்.
உரைக்கு முக்கியத்துவம் அளிக்கக் கூடாது.

22. கோபமில்லா மனதில் குணம் இருக்கும்.
  மனம் குளிர்ந்து இருந்தால் எதிரிகள் இருக்கமாட்டார்கள்.
எல்லோரின் கிருபையும் கிட்டும்.

23. இன்றுவரை  நல்ல அறிஞர்களின் சேர்க்கையின்றி வாழ்க்கை கழிந்து விட்டது. அன்பும் பக்தியும் இன்றி மனிதன் மிருகத்திற்கு சமமானவன்.
பக்தனின் இதயத்தில் இறைவன் வாழ்வான். வாழ்கிறான்.

24, புனித ஸ்தலங்களுக்கு சென்றால் பலன் கிடைக்கிறது.
 ஆனால் நல்ல மஹான்களில்  சேர்க்கையால்
புண்ணியமும் ஞானமும் கிடைக்கின்றன.
ஆனால் நல்ல உயர்ந்த குரு கிடைத்தால்
பலவகையான ஞானமும் புண்ணியங்களும் கிடைக்கின்றன.

25. மனிதர்கள் தினந்தோறும் குளித்து உடலைத் தூய்மையாக
வைத்துக்கொள்கின்றனர். ஆனால்  மனத்தூய்மை இன்றி வாழ்கிறார்கள்.
ஆனால் மனத்தூய்மை உள்ள மனிதன் தான்  உண்மையான மனிதன்.

26. அன்பு என்பது தோட்டங்களில் விளையாது. அன்பு என்பது சந்தையில் விற்காது. அன்பு வேண்டுவோர்கள் கோபம் ,காமம்,ஆசை ,அச்சம் ஆகியவற்றை விட்டுவிட வேண்டும்.

27.சாதுக்களையும் சத்தியத்தையும்
பூஜிக்காத வீட்டில்
 பாவங்களே குடி கொள்ளும்.
அந்த வீடுகள் பகலிலும்
 பூத -பிரேதங்களை வாழும் மயானம் தான்.


28.  சாதுக்கள் முறம் போல் இருக்கவேண்டும்.
முறம் நல்லதை வைத்துக்கொண்டு
உமி தூசி போன்றவற்றை விட்டுவிடும்.
அப்படியே சாதுக்கள் தீயவைகளை விட்டு விட்டு
நல்லவைகளை மனதில் கொண்டு அறவழியிலேயே செல்வார்கள்.

29.  நல்ல நாட்கள் ,நல்லநேரம் வாய்ப்புகள் இருக்கும்போதே
  நாம் நம்  எண்ணங்களை செயல்களை புரிதல் வேண்டும்.
அறுவடையைத் தாமதமாக செய்ய  நினைத்து  பறவைகளுக்கு இறையானபின்  வருத்தப்படுவதால் எவ்வித பயனும் இல்லை.
காலத்தே பயிர் செய்யவேண்டும்.

30.  ஆணவம் இருக்கும் போது ஆண்டவன் நினைவில் இல்லை .
ஆணவம் சென்ற பின் ஆணவம் மனதில் இல்லை.
 நல்ல குரு  என்ற விளக்கு பெற்ற 
பின் மன  இருள் முற்றிலும் போய் விட்டது.

31. தினந்தோறும் குளித்தாலும் ,மனதில் உள்ள
அழுக்கான எண்ணங்கள்  இருந்தால் ,
குளிப்பதால் பயன் இல்லை. மீன் எப்பொழுதும்
தண்ணீரில் இருந்தாலும் அதன் துர்நாற்றம் கழுவினாலும் போகாது.

32. கடவுளின் அன்பும் அருளும் ,மனதில் இறை அன்பு ,பக்தி
பெற வேண்டும் என்றால் ,     முக்கியபணியாக
ஆணவம் ,கோபம் ,பயம் ,ஆசைஆகியவற்றை
  விட்டுவிடுதலாகும்..

33. மனிதன் மற்றவர்களின்  மனவேதனை
 மற்றும் துன்பங்களை  புரிந்து கொள்ளவேண்டும் .
அப்படிப்பட்ட வான் தான் மனிதன் ,உயர்ந்த மனிதன்.
மற்றவர்கள் துன்பம் அறியா  மனிதன் மனிதனாக இருந்தும்
பயனில்லை.

34.  குருவின் மகிமை அறியாதவர்கள் குருடர்கள் ,முட்டாள்கள் .
கடவுள் உங்களிடம் கோபப்பட்டு விலகிச் சென்றால் குருவின் உதவி கிட்டும் ,
குரு சினந்துகொண்டால்  உலகில் உங்களுக்கு யாருமே உதவமாட்டார்கள்.

35.  நீ எப்பொழுதும் தூங்கிக்கொண்டிருக்கிறாய்.
சற்றே விழித்துக்கொள் .கடவுளின் மேல்
அன்பையும் பக்தியையும் செலுத்து.
இல்லை என்றால் உனக்கு நிரந்தர தூக்கம் ,
அதாவது  மரணம் வந்துவிடும்.

36. நிலவும் குளிரல்ல ,பனிக்கட்டியும்  குளிரல்ல.
உயர்ந்த மனிதர்கள் மனதால்  எல்லோரையும் குளிரவைப்பார்கள்.
எல்லோரையும் நேசிப்பார்கள்.

37.   நூல்கள் பல படிப்பதால் ,ஒருவரும் பண்டிதவராவதில்லை.
அன்பு என்ற இரண்டரை எழுத்தை அறிந்து புரிந்து தெரிந்தவர்கள்
பண்டிதர்களே இல்லை.

38 மரணம்  நெருங்கும்  போது
ராமதூதர்கள் அழைப்பு வரும்போது
கபீர்தாசர்  மிகவும்  வருத்தப்பட்டார்.
ஏனென்றால் சாதுக்கள் ,உயர்ந்தவர்கள்
சாத்துமஹாத்மாக்களுடன் சேர்ந்திருக்கும் ஆனந்தம்
சுவர்க்கத்திலும்  இருக்காது.

39 .உலகில் அமைதியும் குணமும்
 ரத்தினங்களை விட  மிக உயர்ந்தது.
நற்பணப்பிற்கும் மூவுலக  செல்வமும் இரத்தினத்திற்கு
இணையாகாது.

40.    இறைவா !எனக்கு அதிகம் தேவை இல்லை.
எனக்கும் ,என் குடும்பபத்திற்கும்
என் வீட்டிற்கு வரும் விருந்தினர்கள் ,சாதுக்கள் போன்றவர்களுக்குத் தேவையான  போதுமான செல்வம் பசிப்பிணி போக்கும் அளவிற்கு அளித்தால் போதும்.

41. ஈ  முதலில் வெல்லத்தில்  ஒட்டிக்கொண்டிருக்கும் .
தன்   இறக்கைகளை   வெல்லத்தில்  ஒட்டிக்கொண்டிருக்கும் .
அப்பொழுது அது பறக்க முயற்சிக்கும் .பறக்க முடியாது.
அது வருத்தப்படும் .
அவ்வாறே  மனிதன் உலகியல் சுகங்களில்
இணைத்துப்  பிணைத்து வாழ்கிறான் .
இறுதிக்காலத்தில் மிகவும் வருத்தப்படுகிறான் .

42.  மறுபிறவியில் இருந்து விடுபட ஞானம்
பெற முயற்சிக்க வேண்டும்.
இந்த உலகம் வெறும் மண் தான்.
ஞானம் பெறவேண்டும்  இல்லை என்றால்
 மீண்டும் மீண்டும் இந்த மண்ணுலகில் பிறந்து
இன்னலுறவேண்டியிருக்கும்.

43. கசப்பான சொல் தான் எல்லாவற்றிலும் தீய செயல்.
மஹான்கள்  சாதுக்களின் சொற்கள் ,நீர் போன்று அமிர்த
மழை  பொழியும்.

44.  உயர்ந்த குலத்தில்   பிறந்து செயல்கள்
 உயர்ந்த செயல்கள் இல்லை  என்றால்,
அது விஷம் நிறைந்த பொற்கலசத்திற்கு சமமாகும் .
நாலா பக்கத்தில் இருந்தும்  வரும் நிந்தனைக்கு சமமாகும்.

45. இரவைதூங்கி கழிக்கின்றோம் ,பகலை உண்டு கழிக்கின்றோம்.
வைரம் போன்ற மதிப்புள்ள வாழ்க்கையை செல்லாக்காசாக்கியுள்ளோம் .
வாழும்  வாழ்க்கையைப் பயன்டுத்தள்ளதாக்கவேண்டும்.

46.  காமம் ,கோபம் ,பேராசை இந்த நான்கும் குடி கொண்டால் பக்தி செய்ய முடியாது. தன்  ஜாதி ,குலம் ,ஆணவம் ஆகியவற்றை தியாகம் செய்தவர்கள் தான்  பக்தியில் மூழ்கும் வீரனாவான்.

47.  காகம்  செல்வம் திருடுவதில்லை.இருப்பினும் யாருக்கும் பிடிப்பதில்லை.
குயில் ஒருவருக்கும் பணம் தருவதில்லை . ஆனால் எல்லோருக்கும் பிடிக்கிறது. இந்த வேறுபாடு  குயிலின் இனிமையான குரலால் தான் இந்த வேறுபாடு.இனிமையான குரலால் அனைவரையும் கவரலாம் என்பதற்கு காகமும் குயிலும் தான் காரணம்.

48. இந்த உலகம் அறிவால்  நிறைந்துள்ளது.
ஒவ்வொரு இடத்திலும் கடவுள் இருக்கிறார்.
அறிவைப் பெற்றுக்கொள்.பக்தியை ஏற்றுக்கொள்.
இல்லை என்றால் இறுதித் தருணத்தில் வருத்தப்பட வேண்டியிருக்கும்.

49. காலுக்குக்கீழ் இருக்கும் தூசி என்று நிந்திக்காதீர்கள்.
காற்றில் பறந்து அது கண்களில் விழுந்தால் மிகவும் உறுத்தும் .
வலியும்  ஏற்படும்.  அவ்வாறே எளியோரை நிந்திக்கக் கூடாது.

50.  அனைத்து செயல்களும் மெதுவாக காலத்தால் கனிந்து வரும்.
 அவசரப்பட்டு எந்தக் காரியமும் நடைபெறாது.
தோட்டக்காரன் நூறு குடம்  தண்ணீர் ஊற்றினாலும்
உரிய பருவகாலத்தில் தான் பலன் கிடைக்கும்.