Tuesday, June 25, 2019

चित्र लेखन सृजन

सब को नमस्कार।
नव उदित विचार।
नवाकर्षण,नवपसंद,
यही दुनिया।
 यही मानव जीवन।
प्राचीनता  मिटाना,
नवीनता अपनाना,
काल परिवर्तन,
मौसम  परिवर्तन,
भाषा परिवर्तन,
हर चीज  में  बदलाव।
 छत्री जोर की वर्षा से बचने के  लिए।
वर्षा  के साथ  जोर हवा,
छाता उड जाता।
शरीर भीग जाता।
रैन कोट छाता का स्थान  ले लिया।
हाथ में  गलौस बस ,
भीगने का नाम न लेता।
सुविधाओं  के कारण
स्वास्थ्य  बिगड जाता  या स्वस्थ  होता ,पता नहीं।
सुस्ती बढती या चुस्ती।
मानव जीवन अति स्वर्गीय  आनंद।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

பாக்ய்भाग्य प्रधान

उडान।
मन का उडान
चंचलता
दुविधा
सही निर्णय
वर पुत्रों  से ही
संभव।
  हर कोई   मंजिल  तक
  पहुँचना असंभव।
  प्रयत्न, प्रयत्न, प्रयत्न।
   वही शक्ति प्रदान।
आशा प्रदान।पर
भगवान का अनुग्रह,
भाग्य  प्रधान।

भगवान भक्तवत्सल।
भाग्य विधाता।
एक भरोसा 
एक बल।
 एकता, शांति, संतोष।
 परमानंद ब्रह्मानंद
परमेश्वर के ध्यान  में।

Monday, June 24, 2019

तितली

फूल  पर  मंडराकर,
मकरंद केसर
 मिलाने का काम।
शायद  तितलियाँ ही
शुक्ल दान के गुरु हो।

सामने का दर्पण

परिषद को प्रणाम।
संचालक को नमस्कार।
 सामने आइना
रखकर देखिए।
दर्पण भगवान
 समझ लीजिए।
मन को गवाही का दर्पण
 बनाकर काम
करके देखिए।
धर्म कर्म  का आइना
सामने रखकर चलिए।
शांति, स॔तोष ,
आत्मानंद का प्रतिबिम्ब।
ब्रह्मानंद भोगकर देखिए।
भगवान दर्पण
 सामने रख,कर्म  करके,
पाप ,भ्रष्टाचार, रिश्वत  ,छोड  देखिए।
देश की प्रगति का प्रतिबिम्ब  देखिए।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

Sunday, June 23, 2019

पक्षी

प्रणाम।
 शीर्षक: पक्षी/विहंग/
  विधा : अपनी हिंदी-अपनी शैली-अपना भाव।
   जहाज  की पंछी,
   जहाज में।
  मन रूपी पक्षी
  अनंत  आसमान  ,
चंद्र  मंडल ,सौर मंडल,
अतल पाताल
समुद्र की गहराई  तक।
पर पक्षी  की ऊँचाई
 एक हद तक।
गरुड़ की  उडान शक्ति
मोर को नहीँ।
हरी वाहन गरुड़।
कार्तिक  वाहन मोर।
दोनों असुर संहारक
बगुला  भक्त  अलग।
कार्तिक  झंडा मुर्गा।
हंसवाहिणी  सरस्वती।
मीनाक्षी  तोता पसंद।
शनीश्वर कौआ।
वही साफ करता है
सडी माँस को आहार  बनाकर।
लाश  फेंकने  की रीति
वहाँ  खानेवाले  बाज नहीं  तो, क्या  होगा।
  चातक से आशा,
हंस से बुराई छोड,
अच्छाई ग्रहण।
विद्यार्थी  के पाँच  लक्षणों  में  दो
काक चेष्टा, वको ध्यानम्।
संक्षेप  में  कहें  तो
विविध  पक्षी,
विविध  रंग,  विविध  गुण।
सब  गुणों  मिश्रित  मानव।
उड नहीं  सकता।
पर बतख समान
 तैर सकता।
पर
प्रशिक्षण जरूरी।
बगुला  समान मछली पकड सकता,
पर जाल चाहिए।
पक्षी  की क्रियाएँ सहज।
खेद की बात  है---
मानव उसका
नामोनिशान  मिटा रहा है।
जीव संतुलन बिगाड  रहा है।
सनातन  धर्मी  हर पक्षी  को
ईश्वर  से जोड रखा है।
प्रशिक्षित  गुण  मनुष्य
सहज गुण से
 गया गुजरा है।
गौरैया  का घोंसला 
वह नहीं  बना सकता ,
उसको चाहिए 
सहायक सामग्रियाँ।
कल्पना के पंख  उडते रहते।
न विश्राम।
पाठक ऊब जायेंगे।
पक्षी  न तो न विमान।
कल्पना  का पक्षी  बनिए।
परिणाम  ज्ञानी।
शीर्षक दाता  को धन्यवाद।
प्रणाम।

सूचित।

परिषद को नमस्कार।
लघु कहानी।
  आधुनिक  शिक्षा  गुरु  केंद्रित  नहीं  है।
छात्र  केंद्रित।
छात्रों  को पीटने,गाली देना,जाति के नाम  से
अपमानित  करना मना है। फिर  भी  आवेदन  पत्र  भरते समय जाति  बताना,जाति प्रमाणपत्र  नत्थी  करना जरूरी  है।
हर साल सूचित अनु सूचित,पिछडे वर्ग,बहुत  पिछडे वर्ग छात्रों  की सूची  भेजना प्रधान अध्यापक का कर्तव्य  है।
कभी कभी हर वर्ग  में  जाकर छात्रों  से उनकी सूची माँगनी पडती है।
नाम न छूटे, इसपर ध्यान देना चाहिए।
 गरीब  उच्च वर्ग  छात्रों  को छात्रवृत्ति  नहीं।
 जब मैं  स्कूल  में  पढता था,न पढने पर कठोर  दंड, अनुशासन  भंग  होने पर  कठोरता सजा।
आजकल छात्र  नहीं, शिक्षक डरते हैं।
सोचा, हमारा जमाने  में
पक्षपात  का व्यवहार  था।पर भक्त  प्रह्लाद  के गुरु  भी राजा हिरण्यकषिपु के डर से
सिखाते थे।
द्रोण भी पक्षपात करते थे।
आजादी  के बाद  तो
अमीरी-गरीबी स्कूल,  बडे रई सोंचकर का स्कूल  ।संविधान  के सामने सब बराबर है।
पर व्यवहार  में  भगवान  के मंदिर  में  भी नहीं, यों
सोचते सोचते  सरकार  और समाज  की निंदा  करते हुए  वर्ग  की ओर जा रहा था।
 तब  गुंडे नामक छात्र
नमस्ते जी कहा।
सर, आपसे कुछ  कहना है। मेरा नाम  अनुसूचित 
जाति  की सूची  में  है।
मेरे दो भाई अभियंता है।
एक बहन डाक्टर  है।
पिता जी  राजनीतिज्ञ  हैं।
सांसद  भी है।
अतः मेरी छात्रवृत्ति  लेकर   जगदीश  अति गरीब  ब्राह्मण  लडके को दीजिये। वह होशियार  भी है। यह तो नियम विरुद्ध  है। नहीं  कर सकते।  फिर  भी मैं ने गुंडे की प्रशंसा  की।
ऐसे ही समाज  आत्मचिंतन से सुधारना है।ये राजनीतिज्ञ वोट  के लिए  मनुष्य  मनुष्य  में  समानता  लाना नहीं  चाहते।  आजादी  के बाद   सत्तर साल में  वोट  के लिए  सूचित जातियों  की सूची  बढती रहती है।
कारण वोट और नोट।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।

सुमन

लता/बेल/कुसुम  फूल सुमन पुष्प।
 सब को नमस्कार।
 स्वर्ण लता नाम।
स्वर्ण  पुष्प।
स्वर्ण  बेल  नाम नहीं।
 कुसुमांजली/पुष्पाजली है।
सुमनांजली नहीं।
  लता/बेल
  लपेटने
 पेड चाहिए। 
फूलांजली भी
व्यवहार में  नहीं है।
शब्द भिन्नता पर अर्थ एक।
प्रयोग  भिन्न।
गुलाब फूल 
 सुनने में  मधुर।
 स्वर्ण गुलाम 
स्वर्ण  फूल।
स्वर्ण  पुष्प।
  बोली में  जान पडता।
  जाति। धर्म।  संप्रदाय।
भगवान/खुदा/ ईश्वर।
इबादत। पूजा।स्तुति।
कहने  में  मजहब का पता।
 हर हर महादेव। ऊँ  नमः शिवाय।
कार्तिक। सुब्रह्मण्यम। मुरुगा।
कहने में   भगवान  भले ही एक हो, पर पता चलता, उत्तर, दक्षिण, केरल,कर्नाटक, तमिलनाडु  का पता लगता।
ये प्रयोग, ये समझ  कैसे।
सोचा  तो दाँतों  तले उंगली  दबाकर बैठ जाता।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।