Monday, January 9, 2023

मन

 हिंदी गौरव-कदम स्वाभिमान की ओर 

मन  --मनम्  மன்

तू बड़ा -- नी पेरियवन्  ।நீ பெரியவன் .

  छिपा हुआ. மறைந்திருப்பவன்.मरैंतु इरुप्पवन।

 बदमाश। पोक्किरी ।போக்கிரி.

समक्ष दीख नहीं पड़ता । ऍतिरिल तेन्पडुवतिल्लै।எதிரில் தென்படுவதில்லை.

इतना अप्रत्यक्ष  हो, -नी मरैमुकमानवन् நீ மறைமுகமான வன்.

 रहस्यमई हो। रहस्यमई निरैंदवन। ரகசியம் நிறைந்தவன்.

 भगवान भी न समझ सका பகவானும் உன்னை புரிந்து கொள்ள முடியவில்லை.

अंतर्मन की बात।। உள்மனவிஷயங்கள்.

मुँह में ईश्वर का नाम, वायिल् कडउळिन् पेयर।வாயில் கடவுளின் பெயர்.

अंतर्मन में बद विचार।  उळ मनतिल कॆट्ट ऍण्णंगऴ।

मुँह में राम बगल में छुरी। वायिल रामन, इडुप्पिल कत्ति।

வாயில் ராமா, இடுப்பில் கத்தி.

 ईश्वर  में भी न सोच विचार।। कडवुळुम योसिप्पतिल्लै,ऍण्णुवतिल्लै। கடவுளும் யோசிப்பதில்லை எண்ணுவதில்லை.

वर देकर भागने लगे , वरम् कोडुत्तु भयंतु ओडत्तोडंगिनार।।

வரம் கொடுத்து ஓடத்தொடங்கினார்.

अपनी जान बचाने।  தன் உயிர் காக்க.

महिषासुर  से भयभीत इंद्र। மஹிசாசுரனிடம் பயந்த இந்திரன்.

त्रिदेवों को अजेय  मून्रु देवर्कळुम वेल्लमुडियात  மூன்று தேவர்களும் வெல்ல முடியாத 

 दुर्गा को भेजना,  दुर्गावै अनुप्पुतल,துர்காவை அனுப்புதல் 

पौरुष  विवश होना,आण्मै वेरुवळियट्रताक ஆண்மை வேறுவழியற்றதாக.

 है बुद्धि काम करती नहीं। 

அறிவு வேலை செய்யவில்லை.

त्रिदेव को भी  मून्रु देवर्कळुक्कुम। முத்தேவர்களுக்கும்

 मन! लाचार। मन में!वेरुवऴियट्रनिलैयिल।வேறுவழியற்றநிலையில்

मूर्ख बन गये। मुट्टालाकिविट्टनर।  முட்டாளிகிவிட்டனர்.

नरसिंह अवतार लेना पड़ा।  नरसिंह अवतारम् एडुक्कनेर्न्ततु।

 நரசிம்ம அவதாரம் எடுக்கநேர்ந்தது.

भगवान के नाम लेने डरते।   भगवानिन पेयर चोल्ल अच्चम्।

பகவானின் பெயர் சொல்ல அச்சம்.

हिरण्यकशिपु के आतंक से। हिरण्यकशिपुविन भयत्ताल।

मन! मनमे,மனமே!

उनवलिमै,तेरे बल, உன் வலிமை!

 देवों से -देवर्कळै विंड, தேவர்களைவிட

 अनंत बल।  मुडिविल्ला बलम्।  முடிவில்லா பலம்.

सत्य समझकर भी  -उन्मै अरिंतालुम।

 உண்மை அறிந்தாலும் 

बोल न पाऊँ।  पेस मुडियातु। பேச முடியாது.


भ्रष्टाचारी जानकर भी उसको

  ऊऴळ्वादी एन्रु अरिऔतालुम् अवनै

 ஊழல்வாதி என்றே அறிந்தாலும் அவனை

करता हूँ।     चेय्किरेन செய்கிறேன்


चमचागिरी। पोय्प्पुकळ्च्ची। பொய்யான புகழ்ச்சி.

  स्वार्थता है  सुयनलम इरुक्किरतु। சுயநலம் இருக்கிறது.

   जानता हूँ।  अरिकिरेन्। அறிகிறேன்.

  मन!  मनमे  மனமே 

तू निर्दयी। नी  इरक्कमट्रवन। நீ இரக்கமற்ற வன்.

 तटस्थ रहने देता नहीं। नडुनिलमै   நடுநிலைமை யாக இருக்கவிடுவதில்லை.

अपराधी जानता हूँ,

  कुट्रवाळि अरिकिरेन। குற்றவாளி என்று அறிகிறேன்.कुट्रवाळि एन्रु अऱिकिरेन।

 मन! मनमे।  மனமே.

 तू विवश कर देता।  नी वेरुवऴि इल्लामल चेय्तु विडुकिराय।

நீ வேறு வழி இல்லாமல் செய்து விடுகிறார்.


  मेरा मनोबल, ऍन मनवलिमै, என் மனவலிமை.

 तनोबल,  उडल् वलिमै, உடல் வலிமை

धनोबल। पणवलिमै। பணவலிமை.

 तेरे आगे दबता है। उन मुन अमुंगिविडुकिरतु। உன் முன் அமுங்கி விடுகிறது.

 न ईश्वर से डरता, कडवुळिडम् अंजुवतुइल्लै। கடவுளிடம் அஞ்சுவதில்லை.

 न न्याय,   नियायम इल्लै। நியாயம் இல்லை.

पाप पुण्य का भय। पावम पुण्णियम् भयमिल्लै।  பாவம் புண்ணியம் இல்லை.

 अंतर्मन  की बात  उळ् मन विषयम् உள் மனம் விஷயம்

अत्यंत गुप्त। मिकमिक कटु  मंदनम्। மிக மிக கடு மந்தணம் 

 अति महाबली मन। अतिक बलम उळ्ळ मनम्। அதிக பலம் உள்ள மனம்.

तेरा नियंत्रण रखूँ तो  उन्नै कट्टुप्पाट्टिल वैत्ताल  உன்னை கட்டுப்பாட்டில் வைத்தால்.

 मैं ही राजाओं राजा, நான்தான் அரசனுக்கெல்லாம் அரசன்.

  नान् मानव  अरसरुक्केल्लाम्  अरसन।  

जहांपनाह,सिकंदर। उलकप्पेररसन्। अलेक्सांदर।உலகப்பேரரசன். அலெக்சாண்டர்.


एस.अनंतकृष्णन, अवकाश प्राप्त प्रधान अध्यापक हिंदू हायर सेकेण्डरी स्कूल,तिरुवल्लिक्केणी, चेन्नै।

स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक ।


हाथ में न बंदूक

Thursday, January 5, 2023

हिंदु धर्म की एकता

 सबको एस.अनंतकृष्णन का विनम्र नमस्कार।

       यह  मेरा पहला लेख है इस दल में।

  भारतीय संस्कृति पर आध्यात्मिक एकता पर बहुत सोच विचार  करता हूँ। आ सेतु हिमाचल राम,कृष्ण,शिव, विष्णु पर विश्वास रखते हैं। आश्चर्य की बात यही है कि  भारत में धर्म परिवर्तन ज्यादा क्यों? गिरिजाघर, मस्जिद की संख्याएँ बढ़ती क्यों? हिंदुओं  की समस्या  दूर करने  एकता नहीं क्यों?

मंदिर के सामने या आसपास  व्यापार दलीलों का धोखाधड़ी क्यों?

आजकल ऐसा लगता‌है यह  मंदिर है या माल बाज़ार के बीच ‌पाँच मिनट के दर्शन‌स्थल हैं!

  हिंदु क्यों जल्दी धर्म परिवर्तन कर लेते हैं।

 ब्राह्मण कन्याएँ जल्दी कैसे अन्य धर्मावलंबियों के प्रेम जाल में फँसती है। कारण क्या है?

   एक विष्णु के ,एक शिव के अनुयायियों में मतभेद,लड़ाई झगड़ा क्यों?

  ये सब हिन्दू धर्म के लिए सबलताएँ हैं या निर्बलता!??

धर्मनिरपेक्ष देश में ईसाई मुसलमान के लिए  अल्पसंख्यक अधिकार क्यों ?

  मुगलों के लिए अलग देश, ईसाइयों को भगा दिया फिर भी धर्म निरपेक्षता और अल्पसंख्यकों के अधिकार, आर्थिक सहायता सरकार की ओर से क्यों?

 मतलब सनातन धर्म की कमियाँ हैं या कमजोरियाँ।

 हिंदुओं का निष्कर्ष है

सबहिं नचावत राम गोसाईं।

 तम तो नादिरशाह  , औरंगजेब ,मालिकापूर  का मंदिर तोड़ना,गोरी गजनि का आक्रमण भी ईश्वरीय लीला है।

तब उनके विरुद्ध लड़कर  जिन्होंने वीरता दिखाई उनका योगदान क्यों नहीं भारत भर में।

 ताजमहल जाननेवाले भारतीय  हिंदू मंदिरों की वास्तुकला का यशोगान क्यों नहीं करते।

  कारण खान वौश गांधीवंश हो गया।

 नेहरू के अंतर्मन में पाश्चात्य प्रेम था।

वसीयत में राख मात्र भारतीय के लिए।

आत्मा इटारसी , इंग्लैंड, ईसाई मुगलों के लिए।

 अंतर्राष्ट्रीय परिवार। वसुधैव कुटुंबकम्।

 ओवैसी के लिए ऐसा नहीं,पौद्रह मिनट का समय।

 ख़ामोश क्रांति क्या है?

परिवार नियोजन,गर्भविच्छेद  कुरान बाइबिल अनुसार पाप है।

 हिंदु ओं के लिए देशहित।

 बच्चे नहीं हैं तो गर्भ निरोधक कारण नहीं,पूर्वजों ने नाग सर्प को मारा है ।सर्प दोष्।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।

Wednesday, December 28, 2022

नैतिक चिंतन

 प्रणाम।सादर प्रणाम।सविनय नमस्कार ।पुष्प चरण वंदन । कमल चरण वंदन । 

दास का चरण ।  दास के दास का चरण । 
हमारे पूर्वज ईश्वर के दास थे । जो ज्ञान मिला वह ईश्वरीय वरदान मानते थे ।
देवी काली के वरदान से महा कवि बने  कवि कालीदास ।
रामदास,तुलसीदास,कण्णदास,मुरुगदास।
आजकल तो विचार बदल गये । 
गुरु वेतनभोगी बन गये । गुरु केंद्रित विद्या शिष्य केंद्रित बन गया ।
संपूर्ण ज्ञान केंद्रित उपाधियाँ ३५ प्रतिशत ज्ञान से मिल जाती है।
जातीय आधार पर  उच्च पद,सिफारिश के आधर पर तरक्की,
पैसे के आधार पर विधायक,सांसद.
आश्चर्य की बात है ---विश्व विद्यालय  की संख्याएँ बढ रही है। 
स्नातक,स्नातकोत्तर की संख्या बढ रहीहैं ।
अनुशसन नदारद,संयम नदारद,
तलाक,बलात्कार,अवैध संबंध,पत्नी परिवर्तन मेला,
सार्जनिक स्थान में चुंबन आलिंगन  मेला क्रांति,
बगैर शादी के मिलकर रहना, न्यायालय में भी शारीरिक सुख न तो गैर संबंध का समर्थन.
प्यार करने से इनकार तुरंत तेजाब या हत्या. सामूहिक बलात्कार।इन अपराधियों को बचाने प्रतिभावान वकील.अपराधियों को नाबालिगछूट ।कल कीखबर बारह साल की लडकी गर्भवती ।स्नातक स्नातकोत्तर  ही अपराधी ,आडिटर कर बचाने का सलाहकार, वकील रिशत भ्रषटाचार मंत्री,सांसद बचाने सन्नद्ध,  
कर्मफल.अपना अपना भाग्य ।
पर देश का सर्वांगीन विकास.सही है-  --सबहिं नचावत राम। गोसाईं ।.

Saturday, December 24, 2022

नागरी लिपि द्वारा भारतीय भाषाएँ आचार्य विनोबा का सपना

 देवनागरी द्वारा भारतीय भाषा सिखाना आचार्य विनोबा भावे का संदेश है।

 मैं तमिल सिखाता हूँ। 


नमस्ते। वणक्कम्।  


कहते हैं कि 

 मनुष्य स्वार्थी है।  

 मनितन सुयनलवादी  एन्रु चोलकिरार्कळ।


मैं ने किसी स्वार्थी मनुष्य को नहीं देखा।

 नान ऍन्त  सुयनलवादियैयुम पार्क्कविल्लै ।


संन्यासी नाम जप करता है।

  चन्नियासि नाम जपम् चेय्किरान ।

स्वार्थ के लिए या अपनी मुक्ति के लिए।

सुयनलत्तिर्का अल्लतु तन् मुक्तिक्का।।


वह  भक्ति का प्रचार अनजान में ही करता है।

अवन् अरियामलेये भक्ति प्रचारम् चेयकिरान।



उसके कारण कई  दानी भक्त ईश्वर नाम जपते हैं।

अवन् कारणमाक  अनेक दानम् चेय्युम भक्तर्कळ कडवुळिन नामत्तै जपिक्किन्रनर।

 

उसने घर तो त्याग दिया,

अवन् वीट्टै तुरंतु विट्टान ।

सोचा --निनैत्तेन।


पर वह आँखें मूँदकर बैठते रहने पर भी कई श्रद्धालु के मन में भक्ति स्त्रोत  बहकर दानी बनाता है।

आनाल् अवन् कण्णैमूडि अमर्न्तिरुंदालुम् अनेक चिरत्तैयुळ्ळवर्कळिन मनतिल्  भक्ति ऊट्रैप्पेरुक्की  दानी आक्कुकिरान।

साधू  अपना मोह त्यागकर जनता में भक्ति मोह उत्पन्न करता है।

साधु तन मोहत्तैत् तुरंदु मक्कलिडत्तिल  भक्ति मोहत्तै  उंडाक्कुकिरान।




    मानव स्वार्थी है। ----मनितन् सुयनलवादी।

    नहीं,  इल्लै।

वह काम करता है =अवन् वेलै चेयकिरान।


   अपने परिवार के लिए।=

 तन कुटुंबत्तिर्क्का।


बच्चों का पालना ।=कुऴंतैकळै वळर्त्तल।


 दूधवाले के लिए कमाता है।== पालकारनुक्काक चंपादिकक्किरान्।

 पाठशाला शुल्क के लिए। 

 पळ्ळि कट्टणत्तिर्क्काक।


 कपड़ों की दूकानदार के लिए।तुणिक्कडैक्कारनुक्काक ।


दर्जी के लिए। 

तैयल कारणुक्काक।


किराने की दुकान के लिए। पलचरक्कुक् कडैक्काक।


भले ही बहुत बड़ा कंजूस हो,

अवन् पेरिय कंचनाक /(करुमियाक) इरुंतालुम,


उपर्युक्त खर्च करना ही पड़ेगा। 

मेलुळ्ळ चेलवुकप्पळ् चेय्यत्तान वेंडुम।


 अतः स्वार्थी मनुष्य अनजान में ही  परार्थी बनता है।

अतनाल् सुयनलमनितन्  अरियामलेये  परोपकारी आकिरान्।

एस.अनंतकृष्णन ,चेन्नै।

Wednesday, December 21, 2022

तमिल नागरी लिपि की तुलना।

 अ ---அ.

क--க

च--ச

प----ப

य---ய

ए ----ஏ

म---ம

 र   --- ர

व --வ

ल---ல

त--த

न --ன

ण ---ண

  दोनों लिपियों की तुलना कीजिए।

  आसान लगेगा।

भाषा की माँग।

 भाषा जो भी हो माँग के अनुसार सीखनी ही पढ़ती है।

मेरे शहर पवनी में एक ही  हिंदी परिवार था। अब 100से ज्यादा परिवार।

 कई तमिल ग्रंथों के कवि जैन मुनि थे।

तिरुवल्लुवर का  तिरुक्कुरल , त्रिकटुकम्, चिरु पंच मूलम्-आचारक्कोवै आदि तमिल साहित्य में जैनों की देन है। 

 महाकाव्य शिलप्पधिकारम मणि मेखलै जीवक चिंतामणी  ये जैन बौद्ध ग्रंथ है। पंच तमिल काव्यों के नाम संस्कृत है।

शिल्प अधिकार शिलप्पधिकारम।

जीव की चिंता जीवक चिंतामणी।

कुंडल +केश कुंडल केशी।

विद्यापति। मणि मेखला मणिमेखलै।

 अब भाषा तमिल हो या हिंदी हो या अंग्रेज़ी  समय की माँग है।

अंग्रेज़ी आते तो हमारा पहनावा बदल गया। गर्मी देश में शू साक्स  टै। बुद्धिजीवी ने संस्कृत को तजकर अंग्रेजी  सीखी। कल्रर्क बनने।वकील बनने। अंग्रेज़ों की चालाकी उनके जाने के बाद भी अंग्रेज़ी हमारी जीविकोपार्जन और गौरव की भाषा बन गयी।

 हमारे स्वतंत्रता संग्राम  के नेता अंग्रेज़ी के पारंगत थे। सत्तर साल उन्हीं का शासन था। हिंदी के लिए अधिक खर्च। पर जीविकोपार्जन बग़ैर अंग्रेज़ी के असंभव।

 तमिलनाडु में 52% तमिल भाषी नहीं।

तमिलनाडु के नेता तेलुगू भाषी हैं।

वै.गोपालसामी, विजयकांत करुणानिधि परिवार, प्राध्यापक अनबलकन आदि।

हाल ही में एक वीडियो आया कि  स्वर्गीय अण्णातुरै की माँ तेलुगू भाषी हैं।

तमिलनाडु  के जैन में कई तमिल के प्रकांड पंडित है।

यहां के तेलुगू कन्नड मराठी लोग तमिल ही पढ़ते हैं।


 भाषा तमिल सीखना या हिंदी आज तक अपनी अपनी मर्जी।

अनिवार्य नहीं।

पर अंग्रेजी अनिवार्य है। 

इस पर विचार करना है सोचना है।

आचार्य विनोबा भावे के भूदान यज्ञ में

वे हिंदी ही बोलते थे। उनके कारण आ सेतु हिमाचल हिंदी गूँजी थी।

उन्होंने ही बताया भारतीय सभी भाषाओं की लिपि देवनागरी करने पर भारतीय भाषा सीखना आसान है।

इसीलिए मैं ने नागरी लिपी में तमिल सिखा रहा हूँ।  यह तो कोई अनिवार्य नहीं है। इच्छुक लोगों के लिए।

देवनागरी लिपि को रोचक बनाना मेरा उद्देश्य है। तमिल का प्रचार नहीं है।






 


Friday, December 16, 2022

प्रार्थना

 


श्री गणेश के नाम से करता हूँ,श्रीगणेश!
श्री की कृपा रहें! श्री विद्या की भी;
श्री शक्ति की भी;श्री शिव,श्री विष्णु की भी;
इन सब से मिश्रित एक ईश्वरीय शक्ति मिले!!
जिससे कर सकूँ, मैं जगदोद्धार!!
आगे बढूँ मैं,आगे बढ़ें संसार!
न तो ऐसी शक्ति करो उत्पन्न,
जो रोक सके तेरे नाम से लूटना’
धर्म –कर्म के बाद नाम बचें;
करोड़ों की संपत्ति,न ऐक्य हो सागर में;
मानता हूँ तेरी बड़ी शक्ति,लेकिन एक तेरी
अपमान की शक्ति जो साल पर साल
बढ़ती रहती हैं,तनाव,कलह ,मृत्यु ,मार-काट के
आतंक फैलता बढ़ता रहता है;
मुक्ति करो भक्तों को,ऐसी तेरी मूर्ती –विसर्जन के
दुष्कर्म से; बचाओ धर्म को;मिटाओ अंध-धार्मिकता को’
करता हूँ,श्री गणेश श्री गणेश के नाम से;
करो कुछ शक्ति का प्रयोग;बचें संसार!!
भक्ति तो मुक्ति का साधन है ,पर
शक्ति है संसार में धन की ;ज्ञान की ;
ज्ञानी भक्त हो जाता हैं,तो
धनी नाचता नचाता मन माना;
अतः जन का मानना है .
धनी की बात;
यह तो बात ख टकती;
जीते हैं हम लेके नाम तेरे;
रखो हम पर कृपा तेरी;
श्री गणेश करता हूं,काम;
श्रीगणेश करो कामयाबी ,
कामना मेरी!
सनातन हिन्दू धर्म सिखाते हैं बहुत;
स्वदेशे पूजिते राजा;विद्वान सर्वत्र पूजिते;
वसुदैव् कुटुब्बकम ;
मनुष्य सेवा ही महेश की सेवा;
धन न जोड़ो;दान –धर्म में लगाओ;
वही महान है,जो सब कुछ तज,
जीता है परायों के लिए;
त्याग में है सुख;
भोग में हैं दुःख!
राजकुमार सन्यासी बन्ने की कहानियाँ है
भारत में;भोगी रोगी बनता है;
प्रकृति के साथ जीने में ब्रह्म के साक्षात्कार है;
अहम् ब्रह्मासमी ;आत्मा-परमात्मा में विलीन है ;