सबको एस.अनंतकृष्णन का विनम्र नमस्कार।
यह मेरा पहला लेख है इस दल में।
भारतीय संस्कृति पर आध्यात्मिक एकता पर बहुत सोच विचार करता हूँ। आ सेतु हिमाचल राम,कृष्ण,शिव, विष्णु पर विश्वास रखते हैं। आश्चर्य की बात यही है कि भारत में धर्म परिवर्तन ज्यादा क्यों? गिरिजाघर, मस्जिद की संख्याएँ बढ़ती क्यों? हिंदुओं की समस्या दूर करने एकता नहीं क्यों?
मंदिर के सामने या आसपास व्यापार दलीलों का धोखाधड़ी क्यों?
आजकल ऐसा लगताहै यह मंदिर है या माल बाज़ार के बीच पाँच मिनट के दर्शनस्थल हैं!
हिंदु क्यों जल्दी धर्म परिवर्तन कर लेते हैं।
ब्राह्मण कन्याएँ जल्दी कैसे अन्य धर्मावलंबियों के प्रेम जाल में फँसती है। कारण क्या है?
एक विष्णु के ,एक शिव के अनुयायियों में मतभेद,लड़ाई झगड़ा क्यों?
ये सब हिन्दू धर्म के लिए सबलताएँ हैं या निर्बलता!??
धर्मनिरपेक्ष देश में ईसाई मुसलमान के लिए अल्पसंख्यक अधिकार क्यों ?
मुगलों के लिए अलग देश, ईसाइयों को भगा दिया फिर भी धर्म निरपेक्षता और अल्पसंख्यकों के अधिकार, आर्थिक सहायता सरकार की ओर से क्यों?
मतलब सनातन धर्म की कमियाँ हैं या कमजोरियाँ।
हिंदुओं का निष्कर्ष है
सबहिं नचावत राम गोसाईं।
तम तो नादिरशाह , औरंगजेब ,मालिकापूर का मंदिर तोड़ना,गोरी गजनि का आक्रमण भी ईश्वरीय लीला है।
तब उनके विरुद्ध लड़कर जिन्होंने वीरता दिखाई उनका योगदान क्यों नहीं भारत भर में।
ताजमहल जाननेवाले भारतीय हिंदू मंदिरों की वास्तुकला का यशोगान क्यों नहीं करते।
कारण खान वौश गांधीवंश हो गया।
नेहरू के अंतर्मन में पाश्चात्य प्रेम था।
वसीयत में राख मात्र भारतीय के लिए।
आत्मा इटारसी , इंग्लैंड, ईसाई मुगलों के लिए।
अंतर्राष्ट्रीय परिवार। वसुधैव कुटुंबकम्।
ओवैसी के लिए ऐसा नहीं,पौद्रह मिनट का समय।
ख़ामोश क्रांति क्या है?
परिवार नियोजन,गर्भविच्छेद कुरान बाइबिल अनुसार पाप है।
हिंदु ओं के लिए देशहित।
बच्चे नहीं हैं तो गर्भ निरोधक कारण नहीं,पूर्वजों ने नाग सर्प को मारा है ।सर्प दोष्।
सबहिं नचावत राम गोसाईं।
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