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Thursday, January 12, 2023

ईश्वर वंदना

ईश्वर वंदना 

ईश्वर वंदना।

बाह्याडंबर रहित

पवित्र , निश्छल,निश्चल मन से होना चाहिए।

 बाह्याडंबरता वाणिज्य वृत्ति हैं।

भारतीय भक्ति इतिहास में

ईश्वर का साक्षात्कार  उनको मिला ,जो एकांत स्थान में

मूक  तपस्या की है,घने जंगल में कुटिल में रहते थे।पर आजकल  भक्ति बाह्याडंबर है, भक्तों की भीड़ हैं,पर एकाग्र चित्त से अंतर्मन से भगवान का नाम नहीं लेते। कौन सा लाड्ज ठहरने योग्य है,कहाँ स्वादिष्ट भोजन मिलेगा।

सद्यः फल मिलाने वाले बाह्याडंबर पूर्ण आश्रम कहाँ?

 यह अलौकिक भक्ति नहीं है।

तीर्थस्थान  है या वाणिज्य  ठगों का केंद्र।

 उल्लास यात्रा या भक्ति यात्रा ?

पता नहीं।

हीरे मुकुट पहने विघ्नेश्वर के दर्शन की भीड़

वट वृक्ष के नीचे सर्दी धूप सहनेवाले विघ्नेश्वर को नहीं।


स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन।

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