भारत है देश पर्वों का . क्यों?
यहाँ के लोग हैं संतोषी . क्यों ?
इनमें हैं न लालची;
इनमें न जलन.
इनमें न अति चाह ;
जो मिले उससे संतुष्ट;
न मालिक होने की इच्छा ;
न मुल्क की चिंता;
विधिवाद् पर विश्वास;
भगवान पर भरोसा;
कोई मरे ,मारे या लूटे,
सब को मानते ईश्वरीय दें;
भगवान से वर लेकर भगवान की ही परीक्षा;
अहम् ब्रह्मासी पर अटल विश्वासी ;
हिरनी कश्यप खुद मानता सर्वेश्वर;
उनका बेटा प्रहलाद मानता नारायण को;
ब्रह्मा को कैद की कहानी;
शानीश्वर को सीढी बनाने की कहानी ;
कामदहन की कहानी ;
न जाने कहानी विचित्र;
उन सब में एक आध्यात्मिक शक्ति;
नागिन को देवता मान पूजा;
दुष्ट शक्तियों को ईश्वरीय बल से काबू .
इसी कारण ही भारत अद्भुत.
यहाँ के लोग हैं संतोषी . क्यों ?
इनमें हैं न लालची;
इनमें न जलन.
इनमें न अति चाह ;
जो मिले उससे संतुष्ट;
न मालिक होने की इच्छा ;
न मुल्क की चिंता;
विधिवाद् पर विश्वास;
भगवान पर भरोसा;
कोई मरे ,मारे या लूटे,
सब को मानते ईश्वरीय दें;
भगवान से वर लेकर भगवान की ही परीक्षा;
अहम् ब्रह्मासी पर अटल विश्वासी ;
हिरनी कश्यप खुद मानता सर्वेश्वर;
उनका बेटा प्रहलाद मानता नारायण को;
ब्रह्मा को कैद की कहानी;
शानीश्वर को सीढी बनाने की कहानी ;
कामदहन की कहानी ;
न जाने कहानी विचित्र;
उन सब में एक आध्यात्मिक शक्ति;
नागिन को देवता मान पूजा;
दुष्ट शक्तियों को ईश्वरीय बल से काबू .
इसी कारण ही भारत अद्भुत.
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