Monday, August 28, 2017

నారీ సత్తాత్మక్ - नारी सत्तात्मक

नर-नारी की बातें , 
प्रेम -इश्क -मुहब्बत की बातें 
कविता के मूल समझ 
रचना करना ही सही समझना 
कहाँ तक सार्थक है पता नहीं.
नारी का कठपुतली समझ
उसके अपहरण में ही वीरता,
बाल विवाह , सति प्रथा.
जवाहर व्रत , कितने अत्याचार .
सब केवल एक मान -मर्यादा के लिए .
पतिव्रता के सम्मान के लिए ,
नारी को दुर्बल बना रखे थे पूर्वज.
पढना मना, हँसना मन , खिड़की से झाँकना मन .
मुग़ल आये तो पर्दा प्रथा आयी ,
साथ ही तलाक का मन माना ;
बहुविवाह न केवल मुगलों में ,
हिन्दुओं में भी नहीं मना.
तमिल की एक कहावत हैं,
तोते से सुन्दर पत्नी के रहते ,
बंदरिया -सी एक रखैल रखना
बड़े-प्रमुख लोगों के लिए तो गौरव की बात.
अब ज़माना बदल रहा हैं ,
पुरुष कमज़ोर हो रहा है,
केवल पढाई लिखाई में ही नहीं,
कमाई में , और काम की शक्ति में.
युवा पीढी संयम भूल ,
अंग्रेज़ी सभ्यता के पीछे पढ़ ,
कथानक के नायक बनता बदमाश,
नायिका बनती पढी लिखी होशियार .
पर करती प्रेम उस नायक से जो खलनायक
बाद में बनता साद-नायक.
पुरुष को सतानेवाली नारियां,
तलाक के मुकद्दमे बढ़ रहे हैं.
ईश्वरीय दृष्टी में नारी कोमल,
पर अति चतुर.
आगे नारी सत्तात्मक राज्य ,
पितृ सत्तात्मक ख़तम.

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