Thursday, October 26, 2017

खिले विचार खुले --भारतीय संत चिंतन --1 (स)

    भारत  में सद्विचारों की

कमी नहीं हैं,

  जितने महानों के 

उपदेश निकल  रहे  हैं ,
   उतने  ही

 तीर्थ   स्थानों  में

         ठग    भी 

 ठगने में चतुर   हैं.

   आज  से 

  आदी  शंकराचार्य   से  लेकर

   माता  अमृतानंद मई  तक   के सदविचार

 जो   उनके मुंह  से  खिले  उन्हें

 हिंदी  में खोलने  के विचार  में 

 तमिल  से  हिंदी में अनुवाद करने

  मैं  लगा  हूँ.

 श्री  गणेश जी  के  नाम   से 
श्री  गणेश करता हूँ ;

 निर्विघ्नता   से

  पूरा   करने  का अनुग्रह करें.

     पाठकों  से  निवेदन है ,

    इस अनुवाद के   गुण-दोष   के

विचार प्रकट कीजिये.

  जिससे  सुधरने और भी मन लगने की

 प्रेरणा   और   प्रोत्साहन  मिलें.

    सर्वेश्वर  सब को  भला  करें .
************

          आदी   शंकराचार्य   के चिंतन
                   
  देवी  माता   को

 मन  में   बसाकर

 प्रार्थना  करनी  चाहिए.

     भय एक रूई का बोरा हैं ,

उसे जलाने वाली अग्नि

ज्वाला  देवी  हैं.

 भय के नागिन के   लिए 

 वह   नेवला  है.
 अपने भक्तों    के दुखों को 

मिटाने के  गुणवाली हैं.
 ईश्वर को भक्तिपूर्वक

 प्रार्थना करनेवाले    को 

ऐश्वर्य   मिलेगा  ही .
मनुष्य  जन्म में

बहुत बड़ा  भाग्य

 स्वस्थ तन    ही  होता  है.
स्वस्थ  शरीर  के  लिए 

 मन   की   चंचलता   को 

 नियंत्रण में  रखना  चाहिए.
     ज्ञान  ही मोक्ष पाने  का

 सीधा  मार्ग  है.
  बिन  आग  के

पकाना  असंभव  है ;
 वैसे  ही   बिन  ज्ञान    के

  मोक्ष    संभव  नहीं  है.

पंचेन्द्रिय
 तेरे  नियंत्रण  में   हैं  तो

   अपने   आप
 जो   कुछ   मिलता  है ,
उनसे  संतुष्ट  रहो.

   जो भी  विषय  हो ,

उससे  निस्पृह 
तटस्तथा   से  रहो ;

  सांसारिक लोगों  की    प्रशंसा 

और   निंदा     की  उपेक्षा  करो .

 एकांतवास की चाह  करो.
चित्त  को भगवान   पर  लगाओ.
जो  अपनी  सारी इच्छाओं को

 तज  देता  है, 
 वही सच्चिदानद  परमेश्वर    के

  प्रत्यक्ष   दर्शन  कर    सकता  है.

निष्काम  सेवा करने   से 

  मानसिक गंदगी    मिट  जाती  है.
.
बिना काम  करके

 मन  को  साफ रखना

मुश्किल     है.

 पंचेन्द्रिय तेरे  नियंत्रण  पर

आजाएँगे     तो 
  मन     की गहराई   में  वास  करने  वाले
  ईश्वर   के  दर्शन करना     निश्चित  हो   जाएगा.

No comments:

Post a Comment