Wednesday, October 25, 2017

चिंतन (स)


हिंदी प्रेमी - मुख-पुस्तिका  के

दोस्तों को प्रणाम .

हिमालय से  लेकर

 कन्याकुमारी तक के

यात्रा जो भी करते हैं ,

चेन्नई केंद्र रेल अड्डे से

 जो यात्रा करते हैं ,

वे भले ही कट्टर हिंदी- विरोधी हो ,

फिर भी हिंदी सीखने की आवाश्यक्ता को

अनिवार्य मानते हैं.

मुम्बई जाने वाले दो ही महीने में बोल चाल

व्यवहारिक हिंदी बोल लेते हैं.

कन्याकुमारी, रामेश्वरम मुझे ऐसे लगा

कितने लोग राष्ट्र भाषा बोलते हैं;

पर राजनीति में जीतने

तमिल का यशोगान करते हैं ,

हर एक हिंदी विरोधी -दल के नेता और बेनामी

केन्द्रीय स्वीकृत पाठशाला ही चलाते हैं .

देव विरोध के सब नेता बेनामी द्वारा मन्दिर बनवाते हैं.

बगैर प्रार्थना के , ज्योतिषों की सलाह के

एक तिनका भी नहीं हटाते.

जब मैं बच्चा था ,

तब के सारे मंदिर सरकार के हाथ में ,

अतः आजकल कई निजी मंदिर बनवाये गए हैं.

मस्जिद ,गिरजा घर की संख्या तो

भारतीय लोगों के मन की उदारता दिखाती हैं .

हर हिन्दू  मन्दिर के अतिनिकट ,

 एक भाग मस्जिद .

तिरुच्ची में , तिरुप्परंकुन्रम में.

पूजा सामग्री मुसलामानों के टोपी लगाकर

पलनी में ही नहीं,

चेन्नई में भी दूकानें हैं .

राजनैतिक स्वार्थ नेताओं को

देवता न मान

युवक युवतियाँ

 देश की भलाई चाहने लगेंगे तो

भारत में जो धार्मिक कट्टर लोग

 जैसे ओवासी
दुम दबाकर
 एक कोने में बैठ जायेंगे .

गाँधी भजन ही देश को
 मजहबी लड़ाई से बचेगा.
"रघुपति राघव राजा राम ,
ईश्वर अल्ला तेरे नाम ,
सबको सन्मति दें भगवान.

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