कुमहार के चित्र
जो कार्यरत देकर
उड़ान मुख्पुस्तिका में
कुछ लिखने को कहा
तो मेरे विचार :--
देखा ,यादें आयी,
प्राचीन भारतीय कितने परिश्रमी
,
कितने सहन शील कच्ची मिट्टी ,
पक्की घड़ा,
नारियां कितने सहन शील ,
रसोई मिट्टी के बर्तन में ,
जरा सी लापरवाही ,
पकाई पकवान
घड़े टूटने से बरबाद.
भू सी सहन शीलता ,
बर्तन बनानेवालों में ,
उसके उपयोग करनेवालों में ,
लकड़ी के न जलने पर
आँख के जलन
कितनी सहन शीलता उनमें
आज कठिनतम बर्तन भी टूट जाती,
ज़रा रसोई वायु बेलन खतम हुयी
न रसोई. बिजली नहीं न चलता कोई काम
छोटी-सी बात में दाम्पत्य अलग ,
अदालत में मुकद्दमा,
हमें ऐसे प्राचीनता से सीखना चाहिए
सहनशीलता, कच्ची को पक्की बनाना ,
सावधानी से चीज़ों का उपयोग प्रयोग ,
उड़ान के प्रबंधकों को सलाम
जिन्होंने ऐसे चित्र से ,
मेरे विचार प्रकट करने ,
प्रेरक बने.
जो कार्यरत देकर
उड़ान मुख्पुस्तिका में
कुछ लिखने को कहा
तो मेरे विचार :--
देखा ,यादें आयी,
प्राचीन भारतीय कितने परिश्रमी
,
कितने सहन शील कच्ची मिट्टी ,
पक्की घड़ा,
नारियां कितने सहन शील ,
रसोई मिट्टी के बर्तन में ,
जरा सी लापरवाही ,
पकाई पकवान
घड़े टूटने से बरबाद.
भू सी सहन शीलता ,
बर्तन बनानेवालों में ,
उसके उपयोग करनेवालों में ,
लकड़ी के न जलने पर
आँख के जलन
कितनी सहन शीलता उनमें
आज कठिनतम बर्तन भी टूट जाती,
ज़रा रसोई वायु बेलन खतम हुयी
न रसोई. बिजली नहीं न चलता कोई काम
छोटी-सी बात में दाम्पत्य अलग ,
अदालत में मुकद्दमा,
हमें ऐसे प्राचीनता से सीखना चाहिए
सहनशीलता, कच्ची को पक्की बनाना ,
सावधानी से चीज़ों का उपयोग प्रयोग ,
उड़ान के प्रबंधकों को सलाम
जिन्होंने ऐसे चित्र से ,
मेरे विचार प्रकट करने ,
प्रेरक बने.
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