महावीर
हम ज़िंदा
रहते समय
जो सद्कर्म
करते हैं ,
वे ही हमें
अमर कीर्ति की ओर
ले जायेंगे .
जब जब हम
बुजुर्गों को ,
बच्चों को ,
गूँगे बहरों को ,
विदेशियों को ,
गरीबों को देखते हैं ,
उनको करुणा के
पात्र समझकर ,
उनकी आवश्यकता
पूर्ती करनी चाहिए.
शरणार्थियों की
रक्षा करना ,
आश्रय देना,
मदद माँगनेवालों की
सेवा करना ,
अभय दान है.
वह दानों में से
बड़ा दान है .
बड़ों और अच्छों को
हम जो भी छोटी -सी
मदद करेंगे ,
वह हमारे लिए
बढ़कर साथ रहेगी.
देने की आदत चाहिए .
दान देनेवालों को
कभी रोकना न चाहिए.
जिन्दगी में
परायों की चीज़ों को
अपना न बनाकर ,
दूसरों की भलाई में ही
अपनी भलाई
सोचनी चाहिए.
ऐसे सोचनेवाले
चन्दन पेड़ के
समान होते हैं .
चन्दन के पेड़
घिसकर
दूसरों को
सुगंध देता है.
वैसे ही मनुष्य को
दूसरों की सेवा
और भलाई के लिए
जीना चाहिए .
बुराई न करके ,
जीने की जिन्दगी ही
श्रेष्ठ जीवन है.
दुखों को सहने का
मन चाहिए.
हमारे जीवन
रेशम की गद्दी नहीं ,
कंकट और काँटों से
भरे जंगली मार्ग हैं.
लालच मुक्ति मार्ग की
बाधा है.
लालची अपने चारों ओर
दुश्मनी बढ़ा लेता है.
क्रोध मनुष्य की आयु को
घटा देता है.
क्रोध मानसिक चिंता को
बढ़ा देता है.
क्रोध ,
ईर्ष्या के बुखार,
कृतघ्नता ,
बेकार हठ
आदि
बुरे गुण होते हैं.
हमारे कल्याण कार्य ही
हमें अमर कीर्ति
की ओर
ले जायेंगे.
हम ज़िंदा
रहते समय
जो सद्कर्म
करते हैं ,
वे ही हमें
अमर कीर्ति की ओर
ले जायेंगे .
जब जब हम
बुजुर्गों को ,
बच्चों को ,
गूँगे बहरों को ,
विदेशियों को ,
गरीबों को देखते हैं ,
उनको करुणा के
पात्र समझकर ,
उनकी आवश्यकता
पूर्ती करनी चाहिए.
शरणार्थियों की
रक्षा करना ,
आश्रय देना,
मदद माँगनेवालों की
सेवा करना ,
अभय दान है.
वह दानों में से
बड़ा दान है .
बड़ों और अच्छों को
हम जो भी छोटी -सी
मदद करेंगे ,
वह हमारे लिए
बढ़कर साथ रहेगी.
देने की आदत चाहिए .
दान देनेवालों को
कभी रोकना न चाहिए.
जिन्दगी में
परायों की चीज़ों को
अपना न बनाकर ,
दूसरों की भलाई में ही
अपनी भलाई
सोचनी चाहिए.
ऐसे सोचनेवाले
चन्दन पेड़ के
समान होते हैं .
चन्दन के पेड़
घिसकर
दूसरों को
सुगंध देता है.
वैसे ही मनुष्य को
दूसरों की सेवा
और भलाई के लिए
जीना चाहिए .
बुराई न करके ,
जीने की जिन्दगी ही
श्रेष्ठ जीवन है.
दुखों को सहने का
मन चाहिए.
हमारे जीवन
रेशम की गद्दी नहीं ,
कंकट और काँटों से
भरे जंगली मार्ग हैं.
लालच मुक्ति मार्ग की
बाधा है.
लालची अपने चारों ओर
दुश्मनी बढ़ा लेता है.
क्रोध मनुष्य की आयु को
घटा देता है.
क्रोध मानसिक चिंता को
बढ़ा देता है.
क्रोध ,
ईर्ष्या के बुखार,
कृतघ्नता ,
बेकार हठ
आदि
बुरे गुण होते हैं.
हमारे कल्याण कार्य ही
हमें अमर कीर्ति
की ओर
ले जायेंगे.
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