3701. ज्ञानी समाज से भ्रष्ट होते समय समाज ज्ञान न पाएगा। लेकिन यथार्थ ज्ञानी कर्मयोग में भीउनको
अज्ञान समाज के साथ रहकर, अज्ञानी समाज को उनके विश्वास ओर संकल्प ईश्वरीय भक्ति को, निष्कलंक करके,अज्ञानियों के साथ अज्ञानी -सा व्यवहार करके , उनको आत्मबोध का एहसास कराएँगे। कुछ ज्ञानी चमत्कार दिखाकर
उनको निस्वार्थ सेवा करके आत्मबोध को उद्धार करेंगे। वैसे ज्ञानी नित्य संतुष्ट रहेंगे।वे दूसरों से याचना न करेंगे।जिस समाज में ज्ञानी ऐसा क्रियावान होते हैं, उस समाज में ही शांति और आनंद होगा।इसलिए दुखी सामाजिक जीवियों को चाहिए कि ज्ञानियों को समाज से भ्रष्ट होने नहीं देना। तभी सभी दुखों से विमोचन पाकर आनंद का अनुभव कर सकते हैं।जिस समाज के लोग ज्ञानियों को समाज से भ्रष्ट करना सिखाते हैं या समाज ज्ञानियों से दूर हो जाता है, वह समाज दुख का पात्र बनता है।
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