Friday, December 27, 2024

बराबरी कैसे

 नमस्ते वणक्कम्।

 मानव में बुद्धि है,पर

 समानता नहीं है।

 मानव में क्षमता है,

 पर समान क्षमता नहीं है।

 मानव में खून बहता है,

 मैं सब के खून एक नहीं है।

 मानव विचार में फर्क है,

 मानव चिंतन में अंतर हैं।

 संकीर्ण विस्तृत विचार व्यवहार।

 संविधान में लिखा है,

 कानून सब के लिए बराबर है,

  समान अधिकार है,। 

लिखित रूप में ही,

 ईश्वरीय सृष्टि में,

 भाग्य की रेखा में 

 ईश्वर की दृष्टि में 

 न सब के सब 

बराबर।

स्वस्थ अस्वस्थ 

 तन मन धन।

 धन न तो न शिक्षा,

 तन स्वस्थ न तो न शिक्षा 

 मन स्वस्थ न तो मानव

  पशु बराबर।

 ईश्वर  की सृष्टि में 

 शीतलता है,

 गर्मी है, सर्दी है।

 पर्वत है, घाटी है,

 मीठा पानी है,

 खारा पानी है,

 उत्तुंग शिखर है

 अतल पाताल है।

 समानता ला सकता है

 यह शासक दल,

 विपक्षी दल।

 ईश्वरीय भक्तों में 

 दिगम्बर है

श्वेताम्बर है

 तरुतले बेठे भिक्षुक हैं, 

 राजमहल बराबर आश्रम से।

 अघोरी है, आचार्य हैं,

 भक्ति में भी समानता नहीं,

 मुक्ति में भी समानता नहीं,

 संविधान में समानता लिखित है,पर

 व्यवहार में तो

 पैसे के आधार पर ही

 देव दर्शन,

 चुनाव  विजय पराजय।

 मानव मानव में समानता कैसे?

 जिला देश बराबर चपरासी कैसे?

 चींटी बराबर हाथी जैसे,?

 सिंह बराबर सियार कैसे?

 सब के ऊपर अमानुष्य शक्ति।

 सब्हीं नचावत राम गोसाईं।

 रत्नाकर डाकू आदी कवि।

जोरु दास तुलसी   भक्त कवि।

 सबहीं नचावत राम गोसाईं।

पतिव्रता भद्र महिला है,

 विषय कन्या है, रंडी है,

 मानव मानव में समानता कैसे?

   एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति यथार्थवादी कविता।

No comments:

Post a Comment