साहित्य सुधा मंच को नमस्ते वणक्कम्।
यादें।
यादें नहीं तो
मानव में प्रगति नहीं।
मानव में वर्तमान योजना नहीं।
परीक्षा में अंक नहीं।
परीक्षा में उत्तीर्णता नहीं।
नौकरी में सदनाम नहीं।
नौकरी में तरक्की नहीं।
सुखद यादें अच्छी।
दुखद यादें बुरी।
सद्इच्छा स्मरणीय ।
बद्इच्छा विस्मरणीय।
संत कवि तिरुवळ्ळुवर का कहना है,
कृतज्ञ विस्मरण अच्छा नहीं,
जो अच्छा नहीं, उसका तुरंत,
विस्मरण ही अच्छा है।
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना
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