Friday, January 3, 2025

जल संबंधी

 

 

 

नमस्ते,वणक्कम्।
हम सफ़र। सिर्फ़ तुम।
हे भगवान! सिर्फ़ तुम हो।
आंडल का प्रेमी।
मीरा का प्रेमी।
भक्तों के भक्त वत्सल।
सिर्फ़ तुम ही है हनुमान के दिल में।
हे राम! तुलसी दास ने सिर्फ
तुमको मन में बसाया।
साहित्य का चंद्र बना।
हे राम! भक्त त्यागराज
सिर्फ़ तुमको अपनाया।
संगीत मूर्ति बने।
हे राम! तेरा नाम ,सिर्फ तेरा नाम
जपकर आदी कवि वाल्मीकि बना।
आधुनिक काल में कलियुग।
लैला सिर्फ तुम! मजनूं सिर्फ तुम।
जीवन को व्यर्थ गँवाया।
बदमाश ही नायक बनता।
सिर्फ़ तुम नश्वर प्रेम में
अनश्वर आत्मबोध तजकर।
नर शरीर, जगत मिथ्या
अनश्वर आत्मा, आत्मज्ञान आत्मबोध।
सिर्फ़ परमात्मा है हम सफ़र।
दुख के समय और कोई सहायक है।
हे राम ! सिर्फ़ तुम हो।
संताप दूर करने
चलन मन को निश्चल करने।
सिर्फ़ तुम हो। हम सफ़र।
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

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