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Tuesday, December 5, 2017
बुढापा
बुढापे में बचपन से बुढापे तक का जीवनावुभव
का सारांश
जवानी में परिवार की चिंता
कमाई की चिंता
बुढापे में कई चिंताएँं
बचपन की गल्तियाँ,
बचपन की आआनंद,
जवानी की नौकरी
विवाह प्रेम का उतावला
न जाने बुढापा कैसे आता है,
मन तो जवानी सी तडपता है.
कई बातें कई करम करने की लालसा
पर अंगों की शिथिलता
कमजोरी, जन्म से
बूढे तक के जीवन की
सफलताएं -असफलताएँ
मनुष्येतर कर्म
मन लद जाता है
ईश्वर प्रेम में, भक्ति में, मुक्ति में.
ईशंवरानुराग में.
अपनी नई पीढ़ी को संदेश यही
"कर्म कर, प्रयत्न कर
अपना धर्म न छोड.
सत्य का पालन कर
परोपकार में लग.
धन तेरी मेरी सभी मनोकामना
पूरी नहीं करता,
प्रयत्न और धन से
हमारी हर मनोकामना पूरी नहीं होती.
जवानी इन बातों को बूढे का बनवास कह
खिल्ली ' उड़ती.
पर बुढापा का. संदेश
सबहीं नचावत राम गोसाई.
का सारांश
जवानी में परिवार की चिंता
कमाई की चिंता
बुढापे में कई चिंताएँं
बचपन की गल्तियाँ,
बचपन की आआनंद,
जवानी की नौकरी
विवाह प्रेम का उतावला
न जाने बुढापा कैसे आता है,
मन तो जवानी सी तडपता है.
कई बातें कई करम करने की लालसा
पर अंगों की शिथिलता
कमजोरी, जन्म से
बूढे तक के जीवन की
सफलताएं -असफलताएँ
मनुष्येतर कर्म
मन लद जाता है
ईश्वर प्रेम में, भक्ति में, मुक्ति में.
ईशंवरानुराग में.
अपनी नई पीढ़ी को संदेश यही
"कर्म कर, प्रयत्न कर
अपना धर्म न छोड.
सत्य का पालन कर
परोपकार में लग.
धन तेरी मेरी सभी मनोकामना
पूरी नहीं करता,
प्रयत्न और धन से
हमारी हर मनोकामना पूरी नहीं होती.
जवानी इन बातों को बूढे का बनवास कह
खिल्ली ' उड़ती.
पर बुढापा का. संदेश
सबहीं नचावत राम गोसाई.
Thursday, November 23, 2017
जागो --जगाओ (SA)
कुछ न कुछ लिखो ,
मन की बात लिखो .
समाज हित की बात लिखो .
देश हित की बातें जागृत कर.
देशोद्धार में लगो.
मनुष्य शक्ति मिल जाती तो
देवों को भी कर देती टुकड़ा.
शिव के भक्त--
पर उनके अपने दल अलग .
विष्णु के भक्त -
उनके राम दल ,
कृष्ण दल.
ईश्वर के नाम
दल-दल में
झगड़ा.
अंधविश्वासों का बाह्याडम्बर ,
स्वर्ण-चाँदी-रूपये सब तहखाने में.
सुन्दर देव -देवी की मूर्तियाँ
समुद्र में विसर्जन.
न देश-समाज-गरीबों की चिंता.
राजनीतिज्ञ कब्र ,स्मारक , मूर्तियाँ ,तोरण-द्वार में
लाखों करोड़ों का खर्च.
सरकारी दफ्तर-धूल-दूषरित.
आम जनता की सुविधा कम .
भ्रष्टाचार-रिश्वत के रकम अधिक.
युवक-युवतियां ज़रा सोचो -जागो
अपने प्रतिनिधि चुनने में
दल के बंधन से दूर रह.
नेता का अन्धानुकर मत कर.
ऐसे नेता चुन ,मुख सामान.
जो चबाता हैं ,
उससे सभी अंगों को बल देता हैं.
तटस्थ नेता चाहिए,
जो जीतने के बाद
केवल देश की ही चिंता करता हो .
जागो,जगाओ .
देश ही प्रधान.
याद रखो जय जवान, जय जवान .
मन की बात लिखो .
समाज हित की बात लिखो .
देश हित की बातें जागृत कर.
देशोद्धार में लगो.
मनुष्य शक्ति मिल जाती तो
देवों को भी कर देती टुकड़ा.
शिव के भक्त--
पर उनके अपने दल अलग .
विष्णु के भक्त -
उनके राम दल ,
कृष्ण दल.
ईश्वर के नाम
दल-दल में
झगड़ा.
अंधविश्वासों का बाह्याडम्बर ,
स्वर्ण-चाँदी-रूपये सब तहखाने में.
सुन्दर देव -देवी की मूर्तियाँ
समुद्र में विसर्जन.
न देश-समाज-गरीबों की चिंता.
राजनीतिज्ञ कब्र ,स्मारक , मूर्तियाँ ,तोरण-द्वार में
लाखों करोड़ों का खर्च.
सरकारी दफ्तर-धूल-दूषरित.
आम जनता की सुविधा कम .
भ्रष्टाचार-रिश्वत के रकम अधिक.
युवक-युवतियां ज़रा सोचो -जागो
अपने प्रतिनिधि चुनने में
दल के बंधन से दूर रह.
नेता का अन्धानुकर मत कर.
ऐसे नेता चुन ,मुख सामान.
जो चबाता हैं ,
उससे सभी अंगों को बल देता हैं.
तटस्थ नेता चाहिए,
जो जीतने के बाद
केवल देश की ही चिंता करता हो .
जागो,जगाओ .
देश ही प्रधान.
याद रखो जय जवान, जय जवान .
Wednesday, November 22, 2017
जागो, जगाओ .( ச )
मनुष्य शक्ति मिल जाती तो
देवों को भी कर देती टुकड़ा.
शिव के भक्त--
पर उनके अपने दल अलग .
विष्णु के भक्त -
उनके राम दल ,
कृष्ण दल.
ईश्वर के नाम
दल-दल में
झगड़ा.
अंधविश्वासों का बाह्याडम्बर ,
स्वर्ण-चाँदी-रूपये सब तहखाने में.
सुन्दर देव -देवी की मूर्तियाँ
समुद्र में विसर्जन.
न देश-समाज-गरीबों की चिंता.
राजनीतिज्ञ कब्र ,स्मारक , मूर्तियाँ ,तोरण-द्वार में
लाखों करोड़ों का खर्च.
सरकारी दफ्तर-धूल-दूषरित.
आम जनता की सुविधा कम .
भ्रष्टाचार-रिश्वत के रकम अधिक.
युवक-युवतियां ज़रा सोचो -जागो
अपने प्रतिनिधि चुनने में
दल के बंधन से दूर रह.
नेता का अन्धानुकर मत कर.
ऐसे नेता चुन ,मुख सामान.
जो चबाता हैं ,
उससे सभी अंगों को बल देता हैं.
तटस्थ नेता चाहिए,
जो जीतने के बाद
केवल देश की ही चिंता करता हो .
जागो,जगाओ .
देश ही प्रधान.
याद रखो जय जवान, जय जवान .
Sunday, November 19, 2017
हिंदी( ச)
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी जगत
और राष्ट्र जगत .
हिंदी एक सेतु .
किसने बाँधा ,
पता नहीं ,
अपभ्रंश , मैथिली , अवधि , व्रज ,
भोजपुरी , मारवाड़ी , सब भाषाएँ
हड़पकर खडीबोली हिंदी ,
कैसे पनपी?
किसने विकसित किया?
हिन्दीवालों की देन--नहीं
वे अन्यों की हिंदी को
ज़रा दूसरी या तीसरी श्रेणी ही देते.
वज़ह क्या ? कारण क्या ?पता नहीं .
राजा राम मोहन राय , दयानंद सरस्वती ,
आचार्य विनोबा . मोहनदास करम चंद जी ,
(गांधी कहने पर सब को खान परिवार की ही याद आती ).
हिंदी या हिन्दुस्तानी ?
गांधीजी का समर्थन हिन्दुस्तानी से था .
संस्कृत मिले या उर्दू मिलें
चित्र पट दुनिया तो अधिक
शुक्रिया को , किस्मत को ,इश्क मुहब्बत को
शोर ,आवाज़ को जोर दिया.
क्रोध को दबाया, रूठ रूठ को बढ़ाया.
जो भी हो खडीबोली बाजारू हिंदी
आज विश्व मित्र को जोड़ रही है.
अतः हम मिल रहे हैं .
संभाषण करते हैं .
वार्तालाप या संवाद?
सब में हैं हिंदी यार बोलो ,सखा बोलो
दोस्त बोलो , मित्र बोलो ,
सब में चमकती हिन्दी.
और राष्ट्र जगत .
हिंदी एक सेतु .
किसने बाँधा ,
पता नहीं ,
अपभ्रंश , मैथिली , अवधि , व्रज ,
भोजपुरी , मारवाड़ी , सब भाषाएँ
हड़पकर खडीबोली हिंदी ,
कैसे पनपी?
किसने विकसित किया?
हिन्दीवालों की देन--नहीं
वे अन्यों की हिंदी को
ज़रा दूसरी या तीसरी श्रेणी ही देते.
वज़ह क्या ? कारण क्या ?पता नहीं .
राजा राम मोहन राय , दयानंद सरस्वती ,
आचार्य विनोबा . मोहनदास करम चंद जी ,
(गांधी कहने पर सब को खान परिवार की ही याद आती ).
हिंदी या हिन्दुस्तानी ?
गांधीजी का समर्थन हिन्दुस्तानी से था .
संस्कृत मिले या उर्दू मिलें
चित्र पट दुनिया तो अधिक
शुक्रिया को , किस्मत को ,इश्क मुहब्बत को
शोर ,आवाज़ को जोर दिया.
क्रोध को दबाया, रूठ रूठ को बढ़ाया.
जो भी हो खडीबोली बाजारू हिंदी
आज विश्व मित्र को जोड़ रही है.
अतः हम मिल रहे हैं .
संभाषण करते हैं .
वार्तालाप या संवाद?
सब में हैं हिंदी यार बोलो ,सखा बोलो
दोस्त बोलो , मित्र बोलो ,
सब में चमकती हिन्दी.
Sunday, November 12, 2017
कलियुग की आजादी (ச)
संगम के मित्रों को
प्रातः कालीन प्रणाम.
कलियुग की बातें निराली ,
आजादी प्राप्त युग ,
आ साथी कहें तो
कर्ण सा कृतज्ञता होना है ,
पर
दल बदल कर शासन करने तैयार .
बड़े भाई शासित दल में ,
छोटे भाई विपक्ष दल में ,
बुआ ,मामा , चाचा , भतीजा या
कोई विश्वस्त साथी बड़े ओहदे पर .
आजादी मिल गई तो भ्रष्टाचार के ढंग
क़ानून से बचने दिन ब दिन बढ़ रहे हैं.
एक ही दूकान, विभिन्न रसीद बुक विभिन्न नामों में ,
सलाह देने तैयार क़ानून की आँखों में धुल झोंकने ,
वकील, आडिटर , अफसर , उनको चाहिए
काले धन , साथी वकील न्यायाधीश ,
साथी मित्र या नाता रिश्ता उच्च पद पर
आजादी से बचने बेनामी के नाम पर
बड़े -बड़े होटल कारखाने ,
गहराई से सोचा तो राजतंत्र ही
लोकतंत्र के आवरण में ,
मरने -मारने -मजदूरी सेना ,
आज कल तो एक ऐसी सेना
आत्महत्या की सेना.
लव जिहात की सेना
प्यार के चंगुल में फंसाकर
सम्पत्ति हड़पना, धर्म -परिवर्तन , हत्यायें ,व्यभिचार .
सोचो , आजादी सब को मिल गई क्या ?
आजादी उनको मिल गयी ,
जो सरकारी बैंक से कर्जा लेकर
न चुकाता हो ;
आजादी उन नेताओं को मिल गयी
जो फोन से बोलकर ही
पैसे बैंक से मिलता हो ,
आजादी उनको मिलगई जो कालेधनी हो.
आजादी उनको मिलगई ,
जो आश्रम चलाकर
करोड़ों की संपत्ति जोड़ता हो,
नए नए मंदिर काले धन छिपाने
नए नए आश्रम काले धन बटोरने ,
आजादी तो मिल गयी
धनियों को मनमाना करने.
धन जोड़ो बलात्कार करो ,
धन जोड़ो मन मनमाना कमाओ ,
धन जोड़ो , पद जोड़ो ,
मजदूरी आत्महत्या , धन लोलुप
तुझको बचानी भीड़ ,
इकठ्ठा करके
बचाने तैयार.
वकील ,न्यायाधीश कानून के खोखले से
बचाने मुकद्दमा को १८ -बीस साल तक
स्थगित रखने तैयार.
हाँ , आजादी उनको मिलगई ,
जो मन माना लूटता हो.
ईमानदारियों को बचने -बचाने तो कोई नहीं ,
भ्रष्टाचारियों को बचाने
राजनैतिक शासक,
विपक्षी , प्रसिद्द चित्रपट अभिनेता आदियों की
बड़ी सेना तैयार .
मिलगई आजादी उनकी ,
जिनके पास
लाखों करोड़ों का काला धन हो ,
भ्रष्टाचारी में सर मौर हो.
यही नाटक देख रहे हैं आसाराम , राम -रहीम .
,
राजीव के हत्यारे, दिनाकरण के आय कर खोज ,
और अन्य राजनैतिक भ्रष्टाचार जैसे कोयले ,
बोफर्स , २जी , ३जी में .
जय लोकतंत्र, जय ऐसे नेता ,
वोट देने तत्पर तैयार
वोट देने तत्पर तैयार
भारतीय मतदाता.
आदि काल में राक्षसों के शासन देव भी कैद .
कलियुग में भी वैसा;
पर कलियुग अच्छा,
जरा डरते डरते चलते हैं.
Wednesday, November 8, 2017
आत्म मंथन (ச)
मनुष्य समाज,
घर परिवार
व्यक्ति को
मानसिक संतुष्ट के लिए
सोने के पहले
बहुत सोचना है,
किस के बारे में.
सबेरे से ऱात तक
हमारे कर्मों में
कितनी सफलता मिली,
कितनी असफलता मिली.
कितने हम से सुखी हुए ,
कितने दुखी हुए,
कितने भले किये
कितने बुरे.
हमारे कर्म अपने को
कितना आनंदप्रद रहा,
कितने कर्म आम सभा में
कहने योग्य रहे,
कितने खुद को लज्जित किये?
यही आत्म मंथन
मनुष्य को ईश्वर तुल्य बनाएगा.
मनुष्य को सुधारेगा.
आगे बनाएगा.
आत्मचिंतन मंथन
संतोषप्रद होंगे.
घर परिवार
व्यक्ति को
मानसिक संतुष्ट के लिए
सोने के पहले
बहुत सोचना है,
किस के बारे में.
सबेरे से ऱात तक
हमारे कर्मों में
कितनी सफलता मिली,
कितनी असफलता मिली.
कितने हम से सुखी हुए ,
कितने दुखी हुए,
कितने भले किये
कितने बुरे.
हमारे कर्म अपने को
कितना आनंदप्रद रहा,
कितने कर्म आम सभा में
कहने योग्य रहे,
कितने खुद को लज्जित किये?
यही आत्म मंथन
मनुष्य को ईश्वर तुल्य बनाएगा.
मनुष्य को सुधारेगा.
आगे बनाएगा.
आत्मचिंतन मंथन
संतोषप्रद होंगे.
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